त्रिकोण – गीतांजलि गुप्ता

वरुण निशा के मुँह बोले भाई वीरेन का दोस्त था। साहिल की बहन निशा के साथ ही पढ़ती थी। निशा वरुण से आकर्षित थी और अपनी सहेली उर्मि के साथ किसी न किसी बहाने उस के घर आती जाती रहती। साहिल को भाई भी बना रखा था।

वरुण अक़्सर छुट्टी वाले दिन वीरेन के घर आ जाता था। ये बात निशा को पता थी और वो भी उर्मि से मिलने पहुँच जाती। दरअसल निशा वरुण को पसंद करने लगी थी।

उधर उर्मि को भी वरुण का साथ अच्छा लगता था।

बातों बातों में निशा ने अपने भाई की नौकरी की बात चलाई तब वरुण ने उसे कहीं काम भी दिला दिया। निशा का खिंचाव वरुण से और बढ़ गया। उधर उर्मि भी किसी न किसी बहाने वरुण से घनिष्ठता बढ़ने की कोशिश करती थी।

इसी बीच वीरेन की शादी आ गई। निशा के साधरण से रूप रंग के आगे उर्मि में अधिक आकर्षण था। शादी में भले ही निशा खूब सजधज कर आई पर वरुण उर्मि के ज़्यादा ही नज़दीक दिखाई दे रहा था। निशा अपनी कोशिशों के बाद भी उतना अच्छा डांस भी नहीं कर पा रही थी जितना उर्मि आसानी से कर रही थी।

माध्यम परिवार की निशा वरुण में अपना भविष्य देख रही थी। उसे किसी तरह उर्मि को अपने रास्ते से हटाना था। सब की नज़र बचा निशा वरुण को एक कमरे में ले गई। वहां उसने वरुण को वो सब करने के लिए मजबूर कर दिया जो वरुण कभी सोच भी  नहीं सकता था। बाहर आ दोनों ने सहजता से वीरेन की शादी में भाग लिया।


उर्मि के मासूम दिल को निशा के इरादों का आभास तक नहीं हुआ। अपने मन में वरुण को लेकर अनेक सपने बुन लिए थे। इधर वरुण पर निशा शादी का दवाब बनाने लगी। वह कोई न कोई बहाना बना टालता रहता क्योंकि उस के मन में तो उर्मि थी।

“दोस्त की बहन अपनी बहन समान होती है।” एक दिन निशा वरुण से बोली, तुम उस की तरफ़ ऐसे कैसे देख सकते हो।”

“कैसे देख रहा हूँ बताओ।” वरुण ने प्रश्न किया।

“मुझे लगता है कि तुम मुझसे शादी इसलिए टाल रहे हो क्योंकि तुम्हें उर्मि पसंद है।” निशा ने आज फैसला करने की ठान ली थी।

कुछ जबाव दिए बिना वरुण वहाँ से चला गया। अपमानित निशा ने हार नहीं मानी। वो वरुण के घर जा पहुँची। एक लड़की किसी लड़के के घर अपनी शादी की बात करने ख़ुद ही चली आई ये बात तो बड़ी अटपटी थी। वहाँ पहुँच कर निशा को अपनी ग़लती का अहसास हुआ। भाई का नाम ले वरुण के लियें कुछ मेसेज़ छोड़ चली आई।

वीरेन को माध्यम बनाना होगा। निशा ने वीरेन को बताया कि वरुण को पसंद करती है और शादी करना चाहती है। कुछ समय बाद वरुण को समझा बुझा कर वीरेन ने निशा की शादी की बात वरुण के घर वालों से की। उन लोगों ने गोत्र आदि की अड़चन लगाई और प्रेम विवाह को राजी नहीं हुए। वीरेन की कोशिशों से दोनों का विवाह हो गया। उर्मि शादी में शामिल नहीं हुई इतनी पक्की सहेली की शादी वाले दिन वो अपनी बुआ के चली गई।


वरुण उतना ख़ुश तो नहीं था पर जो ग़लती उससे हो गई थी उसका निशा ग़लत इस्तेमाल कर सकती थी। बदनामी से किसे डर नहीं लगता। वरुण के मन में थोड़ा बहुत निशा के प्रति झुकाव तो था ही उसी के चलते शादी संपन्न हुई।

दिन बीत रहे थे। जब भी निशा और वरुण वीरेन के घर आते उर्मि बहाना बना किसी सहेली या रिश्तेदार के चली जाती। उन दोनों को साथ देख ही नहीं पाती थी। उर्मि अंदर अंदर टूट गई थी। घर वालों ने उर्मि की शादी तय कर दी। लड़के वालों के आने से पहले ही उर्मि ने आत्महत्या कर ली।

निशा को जब यह ख़बर मिली तो उस का मन  आत्मग्लानि से भर गया। वह सपने में भी उर्मि के इस क़दम के बारे में सोच नहीं सकती थी। निशा ने उर्मि के रूखे व्यवहार के बारे में कई बार उससे बात करने की कोशिश की थी परन्तु उर्मि कभी उसे मिलती ही नहीं थी। इस घटना की बारे में किसी से क्या कहती अपनी नजरों में उम्र भर के लियें ऐसे गुनहगार बना जाएगी अंदाजा तक नहीं था। सारा किस्सा तीन लोगों के बीच कहानी बन कर रह गया निशा, उर्मि व वरुण जिसके पात्र थे।

गीतांजलि गुप्ता

नई दिल्ली©®

 

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