“तो फिर वकील साहब को बुलाया जाये ?” – अनुज सारस्वत

5 साल बाद अंकिता और उसकी सहेलियां एक पार्टी में मिली, सब एक दूसरे से मिलकर खुश हुई ,फिर वही हुआ जो लेडीस गैंग के मिलने पर होता है, दो परसेंट अच्छाई की बातें फिर  98% निंदा रस से भरी खीर सब चाव से खाते हैं, निष्कर्ष कुछ नहीं होता है ,सबने अपने-अपने पतियों की बुराई से स्टार्ट हुई और ससुराल तक पहुंची और सब ने बिल्कुल उधेड़ दी अपने ससुराल में अपने पतियों नंद सास-ससुर को ले दे के ताने दे देकर बिल्कुल संतुष्ट नजर आईं ।

यह सारी बातें अंकिता खड़े हुए सुन रही थी ,फिर एक सहेली बोली

“कि तू भी तो कुछ बता “

फिर अंकिता बोली

” भगवान की कृपा है जो अच्छा  परिवार मिला है,  मुझे कोई कष्ट नहीं है ना पति से ना ससुराल से “

फिर एक सहेली बोली

“हां हां तेरा पति तो एलियन है क्या?”

अंकिता मुस्कुराई फिर बोली

“एलियन नहीं साधारण ही है, मैं तुम लोगों कुछ बताती हूं ,सुनो 5 साल पहले जब हमारी शादी हुई थी तो शुरू के छह-सात महीने बहुत अच्छे से निकले ,उसके बाद तो हम लोग इतना झगड़ा करते थे, हर बात पर झगड़ा होता था ,मैं इनके सासू मां से बात करने पर भी गुस्सा होती और तो और गुस्से में क्या-क्या बोल जाती फिर यह भी मुझे सुनाते रहते सारे दिन मोबाइल में चिपके रहने की वजह से।

व्हाट्सएप फेसबुक पर जो फेमिनिज्म का ज्ञान मिलता, मैं उससे और शक्तिशाली हो कर इन पर बरसती ,यह भी गूगल पर

” जो लड़की मायके में घुसी रहती है वह अपने घर का नाश करती है”

जैसे स्लोगन फेंक कर मारते, हम लोगों को पता ही नहीं चला कि कि हम लोग एक दूसरे से इतना नफरत करने लगे , कि अलग-अलग कमरे में सोने लगे ,और फिर मामला इतना बढ़ गया कि हम दोनों ने तलाक लेने का सोचा ,”

सारी सहेलियां बोली

“सही करा ऐसा पति न ही हो”

अंकिता बोली

“नहीं हम लोगों ने अपनी-अपनी अपनी मां को बोलते कि कहां फंसा दिया तुमने, यह वह जब बात ज्यादा आगे बढ़ी “

तो दोनों की मां ने कहा कि


“बेटा एक काम करो तुम लोग कहीं बाहर जाओ चार-पांच दिन के लिए,फिर जब तुम लौट आओ तो हम तुम दोनों का तलाक खुशी-खुशी करवा देंगे “

यह सब सुनकर हम लोग बड़े खुश हुए सोचा तीन-चार दिन की तो बात है यह भी कट जाएंगे ,और फिर आजादी ही आजादी ,हम लोग एक हिल स्टेशन पर निकल पड़े ।

एक-दो दिन के बाद मैं बालकनी में खड़ी थी प्रकृति के नजारे देख रही थी मंद मंद हवा पहाड़ों पर ताड़  के वृक्षोंो को झूमते हुए मन को शीतलता प्रदान कर रही थी ,फिर मन में विचार आया कि मैं हमेशा इन्हीं पर दोष देती रहती हूँ  कभी खुद की तरफ नहीं देखा क्योंकि हमेशा खुद को सही मानने का भूत जो सवार था, कभी आराम से हमने बात नहीं की पति से ,हमेशा टोन में ही बात की और तो और खाना भी खाना इनका दूभर कर देती ।

मुझे समझ आया कि जब तक खुद में खोट है तो दूसरे में भी खोट दिखेगा,चाहे पति ले लो या सास का उदाहरण, ताली एक हाथ से नहीं बजती,एक औरत घर बना भी सकती है और बिगाड़ना भी उसीके हाथ में है ,हर परिस्थिति को अधिक संभालने की शक्ति भगवान ने हम स्त्रियों को दी है, जहां तक प्रकृति, धरती यह सब स्त्रीलिंग क्यों हैं,हमारे अंदर असीम शक्ति दी है प्यार की मूरत के रूप में

मैं हर बात में उनके परिवार को कोसती, हमारी दिक्कत है यह है कि जो आदमी 25 साल मां का प्यार मिला हो ,तो बीवी शादी के तुरंत बाद अपना अधिकार समझती है और माँ के प्यार और पत्नी के प्यार में अंतर नहीं कर पाती,हालांकि संतुलन होना जरूरी है, फिर मुझे खुद से घृणा होने लगी कि क्या कर रही थी मैं यह सब।

यह आए और कहा

” खाना खा लो अंकिता “

मैं तुरंत इनसे जाकर लिपट गयी, आदमी कितना भी सख्त हो लेकिन दिल बहुत नाजुक होता है इनका,यह तुरंत पिघल गए ,फिर मैंने सारी बात बताई इनको, इन्होने कहा

”  मेरी भी बहुत बड़ी गलती है बहुत टोकता हूं हर बात पर तुम्हारे फोन करने पर अपनी मां से ,कितना सुनाता हूं ,जैसे मैं 25 साल तक अपनी मां से जुड़ा हूं तुम भी तो अपनी मां के पास से सब कुछ छोड़ छाड़ कर आई हो बात तो करोगी ही,और मेरा भ्रम मिट गया है, लड़की की मां घर बर्बाद नहीं करती है वरन् उसे गृहस्थी संभालने और इज्जत करने की ट्रेनिंग देती है ससुराल में , मैंने तुम दोनों की कल सुनी थी बात और बड़े लोग भले पढ़ें लिखें ना हो लेकिन जिंदगी का अनुभव उन्हें सबसे बड़ा ज्ञानी बना देता है ,इसलिए सोच विचार कर उन्होंने हमें यहां भेजा”

इतना कहकर उन्होंने मेरा माथा चूमा और झट से माफ कर दिया ,तलाक शब्द का नाम उस दिन के बाद से हमारी जुबां पर नहीं आया और कहा तन का नही यह हमारा दिल का रिश्ता है,फिर हम लोगों ने दोनों मम्मीयों को कॉन्फ्रेंस वीडियो कॉल की ,हमें देखते ही दोनों ने मजाक में कहा

“तो फिर वकील साहब को बुलाया जाये?”

और सब हंसने लगे ।

सारी सहेलियां एक टक सुनती रहीं और अंकिता को बहुत सारा धन्यवाद कहा , फिर पार्टी खत्म होने के बाद घर जाकर पतियों को गले लगी, पति भी  स्तब्ध रह गए और अपने बाहों का हार अपनी पत्नियों के गले में डालकर खो गये।

#दिल_का_रिश्ता

-अनुज सारस्वत की कलम से

(स्वरचित एवं मौलिक रचना)

(सारे अधिकार सुरक्षित)

 

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