नंदिता एक 28 वर्षीय महिला है, जो एक छोटी सी कंपनी में एक उच्च पद पर काम करती है। उसकी ज़िन्दगी बहुत ही सुसंगत और व्यवस्थित दिखती है। लोगों के बीच उसकी छवि एक आत्मविश्वासी और सशक्त महिला की है, जिसे अपने जीवन का नियंत्रण पूरी तरह से है। लेकिन असल में वह एक गहरी अंदरूनी चुप्पी की चपेट में है
नंदिता का बचपन बहुत ही कठिन था। उसके माता-पिता का तलाक हो गया था और वह दोनों के बीच के तनाव का हिस्सा बन गई थी। उसकी माँ ने हमेशा उसे यह सिखाया कि, “दुनिया को दिखाने के लिए हमेशा खुश रहो।” इसी सीख के तहत, नंदिता ने कभी अपनी
परेशानी को सामने नहीं आने दिया। वह हमेशा अपनी असली भावनाओं को छिपाने की कोशिश करती रहीं ।
लेकिन एक घटना ने उसकी ज़िन्दगी को हमेशा
के लिए बदल दिया। जब वह 22 साल की थी, उसने किसी से प्रेम करने की गलती कर दी जबकि अपने माता पिता के नाकाम रिश्ते को करीब से देखा था और उस माता पिता के अलगाव के दंश को झेला भी था। एक करीबी दोस्त ने उसे धोखा दिया था। उस व्यक्ति ने उसकी आँखों के सामने उसकी भावनाओं के साथ खेला था। सब कुछ देखते समझते हुए भी वह सब कुछ चुप चाप देखती रहीं। उस शख्स के जाने के बाद नंदिता ने खुद से वादा किया कि वह कभी किसी को अपने दिल का हाल नहीं बताएगी। वह उसी घाव के साथ जीने लगी, और धीरे-धीरे अपने आपको समाज के सामने मजबूत दिखाने लगी।
इसी बीच नंदिता की जिंदगी में उसकी बचपन की दोस्त रागिनी वापस आती है। जिस शहर में नंदिता रहती थीं उसी शहर में उसके पति का तबादला हुआ था। रागिनी और नंदिता बचपन से ही दोस्त थे और दोनों अलग-अलग शहर में रहते जरूर थे लेकिन जब भी मौका मिलता था वह मिलते थे और फोन पर एक दूसरे का खोज खबर रखते थे। रागिनी नंदिता को उसकी सच्चाई को समझती थी। वह जानती थी कि नंदिता के भीतर कुछ बहुत गहरे घाव हैं, लेकिन वह कभी भी उसे मजबूर नहीं करती थी। रागिनी ने हमेशा नंदिता को सपोर्ट किया, लेकिन कभी भी उसने नंदिता के अतीत के बारे में खुलकर बात करने को नहीं कहा। वह जानती
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थी कि नंदिता जब तक तैयार नहीं होगी, तब तक वह उसे कोई भी सलाह नहीं दे सकती। रागिनी की यह चुप्पी कभी-कभी नंदिता को
परेशान करती थी। वह चाहती थी कि कोई उसे अपनी वास्तविकता दिखाने का मौका दे लेकिन वह खुद कभी अपने घावों को शब्दों में नहीं बदल पाई। रागिनी हमेशा उसकी मदद करने की कोशिश करता थी, लेकिन नंदिता अनजाने में उसे अपने से दूर करती जाती थी ।
इसी बीच रागिनी ने नंदिता को बताया की उसके पापा नंदिता से मिलना चाहते हैं उन्हें अपने की हुई गलती पर अब पश्चाताप हो रहा है और वह चाहते हैं कि वह नंदिता और उसकी मां को वापस अपनी जिंदगी में लाना चाहते हैं और एक नए परिवार के रूप में नए जीवन की शुरुआत करना चाहते हैं। यह सब सुनकर नंदिता अंदर तक हिल जाती है। उसे पुरानी बातें वापस से याद आने लगती हैं कैसे उसके माता- पिता के बीच में रोज-रोज लड़ाई झगड़े होते थे, कैसे वह झगड़ा बहस गाली गलौज और कभी-
कभी मारपीट तक चले जाते थे कैसे उसके माता-पिता ने अपने मत भेदों के चलते अलग होने का फैसला ले लिया और नंदिता और उसकी भविष्य के बारे में एक बार भी नहीं सोचा कैसे उसे पूरी जिंदगी बिना पिता के अपना जीवन जीना पड़ा उसे पिता के होते हुए अपनी मां की आंखों में सुनापन देखा माँ की आंखों में अपने पिता का इंतजार देखा । जब जब जिंदगी में उसे पिता की जरूरत हुई कैसे वह अकेले खुद से लड़ती रही।
रागिनी की बातों से नंदिता तनाव में आ गई। जिससे नंदिता की पुरानी यादें ताज़ा हो गई, और वह लगातार यह महसूस कर रही थी कि वह कहीं ना कहीं टूट रही है। एक शाम, जब वह ऑफिस से घर जा रही थी, वह अचानक रागिनी
की कॉल आती हैं । रागिनी ने नंदिता से बात
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करने के दौरान पाया कि नंदिता बहुत परेशान
और तनाव में है, रागिनी ने नंदिता को अपने घर आने को बोला साथ ही यह भी बताया कि उसके पति शहर से बाहर कुछ काम से गए है और उसे अकेले अच्छा नहीं लग रहा तो वह उसके पास आ जाये इस बात को सुनकर पहले नंदिता ने मना किया बोला ऑफिस का प्रोजेक्ट है उस पर काम करना है और उस प्रोजेक्ट को लेकर वह बहुत परेशान हैं। तभी रागिनी कहती है कोई नहीं तुम नहीं आ सकती हो तो मैं तुम्हारे घर आ जाती हूं
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और कुछ ना कुछ तो मैं तुम्हारे प्रोजेक्ट में तुम्हारी हेल्प करा दूंगी तुम परेशान बिल्कुल ना हो यह सुनकर नंदिता कहती है ऐसा कुछ नहीं है चलो मैं ही तुम्हारे घर आती हूं। नंदिता कुछ देर में रागिनी के घर पहुंच जाती है। रागिनी नंदिता को अपने घर आया देखकर बहुत खुश होती है उसके लिए कॉफी बना कर लाती है। अपनी और उसकी काफी के कप को रख कर साथ बैठ जाती है। रागिनी साफ़ साफ़
देख सकती थीं कि नंदिता बहुत परेशान है उसके चेहरे पर तनाव, परेशानी, डर सब कुछ
साफ नजर आ रहा था।
रागिनी ने कहा, “नंदिता, क्या तुम मुझसे बात करना चाहोगी? मुझे पता है कि तुम बहुत कुछ महसूस कर रही हो । ‘
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नंदिता ने एक लंबी चुप्पी के बाद कहा, रागिनी, मुझे नहीं लगता कि मैं अब किसी से बात कर सकती हूँ। यह सब बहुत गहरा हो गया है । मैं तुम्हें परेशान नहीं करना चाहती।” लेकिन रागिनी ने उसे हल्के से कहा, “नंदिता, तुम कभी भी मुझे परेशान नहीं कर सकती। मैं तुम्हारी दोस्त हूँ, और तुम्हारी चुप्पियों को समझ सकती हूँ।”
नंदिता की आँखों में आंसू थे। वह धीरे-धीरे
खुलने लगी, और उसने अपनी पूरी कहानी रागिनी को बताई। कैसे वह माता पिता के अलगाव से उबर नहीं पायी थीं कि एक शख्स उसकी जिन्दगी में आता, उसने बताया कि कैसे उसे धोखा दिया गया था, और कैसे उस धोखे ने उसकी दुनिया को पलट दिया था। उसने बताया कि कैसे उसने कभी अपने दर्द को बाहर नहीं आने दिया, क्योंकि वह यह नहीं चाहती थी
कि कोई उसे कमजोर समझे। अब जब से तुमने बताया कि पापा वापस आना चाहते है मेरी रातों की नींद उड़ गई है समझ नहीं आता क्या करूँ, कैसे विश्वास करूँ, कैसे अपने माँ के दर्द को हरा कर दूं। नंदिता कहती है- रागिनी चाहे कुछ भी हो जाए कुछ गलतियां ऐसी होती हैं जिंदगी में जिनका पश्चाताप नहीं होता और मेरे पिता ने कोई गलती नहीं कि उन्होंने तो वह गुनाह किया है जिसका पश्चाताप अब इस जिंदगी में तो संभव नहीं है।
रागिनी ने उसे धैर्य से सुनती, और फिर उसने कहा, “तुमने बहुत संघर्ष किया है, नंदिता। माता पिता का साथ उनका प्रेम एक बच्चे के लिए उसके भविष्य के लिए कितना जरूरी होता है लेकिन अब तुम्हारा उस घाव से बाहर निकलने का समय आ गया है। तुम अपनी कहानी को दुनिया से छिपा नहीं सकती। तुम्हें खुद से प्यार करना होगा, और अपनी असली भावनाओं को स्वीकार करना होगा । ”
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रागिनी नंदिता के आँसू पोछते हुए कहा, “तुम सही कहती हो । मुझे अपनी असली भावना को पहचानने और स्वीकार करने की जरूरत है मुझे खुद को धोखा देना बंद करना होगा।’
नंदिता ने उस दिन से अपनी ज़िन्दगी में बदलाव लाने का निर्णय लिया। उसने अपने भीतर की
चुप्पी को तोड़ने का फैसला किया और अपने पिता को उस गुनाह के पश्चाताप का दूसरा मौका न देने का फैसला लिया।
सोनिका शर्मा
वाक्य:- # कुछ गुनाहों का प्रायश्चित नहीं होता है।