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तोड़ दो ये बंधन – सुषमा यादव

जब जब सहदेव जी अपनी बेटी के लिए रिश्ता देखने जाते,तब तब संयोगवश एक युवक लंबा सा

आकर्षक व्यक्तित्व वाला उनसे अक्सर टकरा जाता, उनके पूछने पर पता चला कि वो पंतनगर नैनीताल में कृषि विश्वविद्यालय में बी,एस,सी, ए ,जी  द्वितीय वर्ष में अध्ययन कर रहे हैं,, उनकी ही बिरादरी के हैं,, सहदेव जी बहुत खुश हुए कि इतना काबिल लड़का मिल गया है, बातचीत हुई

लड़का, लड़की ने एक दूसरे को पसंद कर लिया,, किसी ने भी ज़्यादा छान बीन नहीं किया, सबको लगा कि राजेश, उस लड़के का नाम,, कोई बहुत बड़ी पोस्ट के लिए प्रशिक्षण वगैरह कर रहा है,, लड़की मीना टीचर्स ट्रेनिंग कर रही थी, बड़ी धूमधाम से शादी हुई,, एक साल कैसे बीत गए, शादी की खुमारी में पता ही नहीं चला,, शेरो शायरी से भरे हुए प्रेम पत्रों का आदान प्रदान होता रहा,,जब जब मीना किसी भी अवकाश में ससुराल जाती, उसकी सासूमां झट से बेटे को तार भेजकर बुलवा लेती,

एक बार मीना जब ससुराल गई, तो पति राजेश के एक दोस्त समीर आये हुए थे,जब मीना चाय देने पहुंची तो दरवाजे पर उनकी बातें सुन कर ठिठक गई,,समीर कह रहे थे, इस तरह तुम बार बार

भाग कर आते हो , और दो साल से तुम सेकंड इयर में ही लटके हो,कब तुम पोस्ट ग्रेजुएट करोगे, तुम तो बस कालेज के छात्र संघ का चुनाव ही लड़ते रहते हो, तुम्हें

कालेज के खिलाफ नारेबाजी करने के कारण बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है, तुम्हें कालेज से निकाल दिया गया है,

मीना ने सुना तो दंग रह गई,

रात में अपने विश्वास में लेकर राजेश से कहा, मुझसे सब सच सच बता दीजिए,अब भी कुछ नहीं बिगड़ा है, मैं आपके साथ हूं,



राजेश ने सब बता दिया, और कहा कि मां मुझे तार भेजकर बुलवा लेती है, मैं भी तुमसे मिलने के लिए अपने आप को रोक नहीं पाता और भाग कर आ जाता हूं,

उसने समझाया और कहा आप सुधर जाइए और अपना ध्यान पढ़ाई में अच्छी तरह से लगाईये,

मीना ने वापस आकर अपने मां पिता को सब बताया, वो बहुत दुखी थी, क्या सोचा था और क्या हो गया, पिता जी सब बातें सुन कर आगबबूला हो गए, इतना बड़ा धोखा हमारे साथ किया गया, बेटी,अभी से मैं तुम्हें उस रिश्ते से आज़ाद करता हूं, तुम अब ना तो ससुराल कभी जावोगी और ना ही उनसे कोई रिश्ता रखोगी,उस धोखेबाज को कोई पत्र नहीं लिखोगी, मैं तुम्हें तलाक दिला कर रहूंगा,

,,, तोड़ दो ये शादी का बंधन,,,

मीना ने दर्द भरे व्यंग से मुस्कुराते हुए कहा, क्या हमारी भी गलती नहीं है कि हम थोड़ा छानबीन करते, औरों से उनके डिग्री के बारे में जानकारी प्राप्त करते,, बाबू जी, ये तो अब सात जन्मों का बंधन है, एक जन्म का नहीं,

मैंने पूरे दिल से ये रिश्ता निभाया है, मैं किसी भी हालत में उन्हें तलाक नहीं दूंगी, ना ये बंधन तोड़ूंगी,

,, ये तो प्यार का बंधन है

जन्म जन्मांतर का बंधन है,

ये बंधन टूटे ना सांवरिया,

राम कसम तोहरी हूं मैं बावरिया,

मन में गुनगुनाते हुए मीना अपने कमरे में चली गई,

बाद में पूरी लगन और मेहनत से राजेश ने अपनी पढ़ाई कानपुर और जबलपुर से पूरी की और एक सफल, ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ संभागीय अधिकारी के रूप में मुख्य मंत्री और कृषि मंत्री के बहुत चहेते अधिकारी रहे,

राजेश ने प्रदेश के किसानों के लिए बहुत ही लाभकारी योजनाएं लागू किया,, किसानों को बिना मिलावट शुद्ध प्रमाणित बीज उपलब्ध करवाया,उनकी काबिलियत, श्रेष्ठता और किसानों के हितों के लिए समर्पित वचनबद्धता को देख कर इटली और जर्मनी जैसे विदेशी देशों ने राजेश को अपने देश आमंत्रित किया,,

 

आज़ मीना सोचती है कि अगर उसने अपने माता पिता की बात मान कर जल्दबाजी में गलत निर्णय ले लिया होता तो आज पछताने के सिवाय कुछ नहीं हाथ लगाता, अच्छा हुआ कि उसने अपने विवेक और धैर्य से काम लिया,, आखिर राजेश के साथ उसका सात जन्मों का बंधन है, ऐसे कैसे वो प्यारा बंधन तोड़ देती,,

#बंधन

सुषमा यादव, प्रतापगढ़, उ, प्र,

 

स्वरचित मौलिक अप्रकाशित

 

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