तो वक्त निकालो  ना –   मीनू झा

इस लड़की को तो सजने धजने से फुर्सत ही नहीं है,जब देखो संवरने बैठ जाती है,अभी स्कूल का टाइम हो रहा है अभी भी वहीं हाल…इत्ती सी तो है रे तू फिर कहां से सीखा मेकअप लगाना हेयर स्टाइल बनाना??बता? मम्मा..इत्ती सी नहीं हूं मैं..पंद्रह साल की हूं! हां.. बहुत बड़ी हो गई है..अरे हमें तो अपने पंद्रहवें साल में मेकअप का एम भी नहीं पता था और तू जाने क्या क्या करती रहती है.. मैं पूछती हूं पढ़ने लिखने की इस उम्र में जरूरत क्या है फैशन की? अरे मम्मा मैं फैशन नहीं करती… स्किन केयर करती हूं,हेयर केयर करती हूं…सेल्फ केयर करती हूं..जो अभी से करना चाहिए..वरना आज के खान पान,स्ट्रेस और पाॅल्यूशन वाले समय में इंसान उम्र से ज्यादा दिखने लगता है। मैंने नहीं किया तो क्या हो गया… जितनी उम्र है उतनी तो दिखूंगी ही ना..और मेरी छोड़ मेरी तो शादी हो गई बच्चे हो गए..पर तुझे इस उम्र में कौन देखने बैठा है..किसको दिखाना है? ये दादी नानी वाले सवाल मत करो मम्मा…आजकल श्रृंगार दूसरों को दिखाने रिझाने के लिए नहीं किया जाता..खुद के कान्फिडेंस और प्रजेंटेबल दिखने के लिए किया जाता है और ये सबको करना चाहिए..आप बहुत दकियानूसी बातें करने लगी है…मेरे स्कूल का टाइम हो रहा है जा रही हूं मैं–कहकर पुण्या निकल गई।

शिवानी छोटी बेटी नित्या को स्कूल के लिए तैयार करने लगी।जो वहां खड़ी होकर उनकी बातें सुन रही थी। ये रोज की कहानी थी… शिवानी जब जब पुण्या को बाल संवारते, स्किन हेयर के डीआईवाई (डू इट योरसेल्फ) करते या आइने के सामने खड़ी देखती उसका पारा चढ़ जाता,उसे लगता पढ़ने लिखने की उम्र में ये सब करना समय की बर्बादी है..कहीं ना कहीं उसे लगता कि इन सबमें उलझ कर इंसान अपने कैरियर पर ध्यान नहीं दे पाता और अभी पुण्या का पीक समय चल रहा है…।

यही नहीं दिन रात घर,किचन बच्चों और पति के कामों में व्यस्त रहकर अस्त व्यस्त रहने वाली शिवानी को भी पुण्या खुद की केयर करने की सलाह देती तो शिवानी और चिढ़ जाती और अक्सर इसी बात पर दोनों मां बेटी की झड़प हो जाती। पति को आफिस और दोनों बच्चों को स्कूल भेजने के बाद शिवानी घर के काम जल्दी जल्दी निपटाने लगी, क्योंकि उसे अपने कपड़े स्टिचिंग करने के लिए एक नई बुटिक वाली छाया के बुटिक जाना था,जिसका पता उसकी सहेली ने दिया था। वहां पहुंचते पहुंचते उसे एक बजने को आए…छाया ने घर में ही बुटिक खोल रखा था..जैसे ही वो पहुंची उसके बच्चे स्कूल से आ गए। देखकर लग नहीं रहा था कि उसके बच्चे इतने बड़े होंगे,बेटा लगभग पुण्या के ही उम्र का होगा और बेटी उससे एक आध साल छोटी..उनके इंतजाम करके वो पांच मिनट में आ गई। साॅरी…वो बच्चे आ गए ना तो…बताइए क्या करवाना है आपको आंटी–उसने पूछा।




क्षणभर को शिवानी स्तब्ध रह गई..इसने उसे आंटी क्यों बुलाया?? कपड़े देकर समझाने के बाद शिवानी रोक नहीं पाई खुद को पूछने से–आपकी शादी कब हुई.. बच्चे बड़े बड़े हैं? बीस साल में हुई थी आंटी…अरे पैंतीस की हूं मैं…लगती नहीं अलग बात है–मुस्कुराकर बोली छाया मैं अड़तीस की—बोल ही दिया शिवानी ने क्या??–शायद उसे भरोसा नहीं हुआ। हां…ये बात अलग है कि मैं ब्यूटी पार्लर वगैरह नहीं जा पाती..वक्त ही नहीं होता! अरे वक्त किसके पास होता है आंटी..साॅरी भाभी…निकालना पड़ता है..पार्लर तो दूर आपको लगता है कि मेरे पास घर पर भी अपने लिए समय होता होगा.. बिजनेस,घर,पति बच्चे..पर करना पड़ता है भाभी, खुद को भी समय देना चाहिए।

मुझे तो लगता था शादी वादी हो गई,बच्चे भी बड़े होने लगे काम खत्म…अब ज्यादा सज धजकर,टिपटाॅप दिखकर क्या करना? यही तो गलत सोच है…देखिए हम अपना घर कितना सजाते हैं.. क्यों?? ताकि देखने वाले को ही नहीं हमें भी रहने में अच्छा लगे…खाना अच्छा अच्छा क्यों खाते हैं..ताकि हमारी जीभ हमारे पेट को अच्छा लगे..अच्छा क्यों पहनते हैं ताकि दूसरे ही हमें खाते पीते घर का नहीं समझे, बल्कि हमें भी अच्छा और आरामदायक एहसास हो….सब अच्छा अच्छा लगता है तो अच्छा दिखना क्यों नहीं..जिससे आत्मविश्वास भी बढेगा और स्मार्टनेस भी आएगी??अरे हम अभी मम्मा ही बने हैं दादी अम्मा तो नहीं..!

इतना आम सा उदाहरण देकर कितनी अच्छी तरह समझा गई छाया उसे..कि सब अच्छा दिखे ये हम चाहते हैं पर खुद को अच्छा दिखाना तो सबसे जरूरी है…अपने आत्मबल के लिए ही नहीं दूसरों के आगे भी प्रभावशाली और आकर्षक दिखने के लिए..। लौटते हुए वो पार्लर से लंबे समय के बाद थ्रेडिंग…फोरहेड और अपरलिप्स करवाती आई..तीन साल पहले करवाया था..देवर की शादी पर। घर पहुंचते ही नित्या भी आ गई…पुण्या ट्यूशन के बाद थोड़े देर से आती थी। नित्या को खाना खिलाकर, होमवर्क के लिए बिठाने के बाद वो ड्रेसिंग टेबल पर आ बैठी..पार्लर से वो सब करवाने और बेसन हल्दी मलाई का पैक लगाने के बाद उसका चेहरा बहुत निखरा और बदला बदला सा लग रहा था…क्रीम के बाद फेस पाउडर लगाया ही था,

तभी नित्या ब्रश लेकर दौड़ी आई.. मम्मा आज आप बहुत सुंदर लग रहे हो.. मैं आपका थोड़ा और मेकअप कर दूं–छह साल की नित्या को भी मां में फर्क दिख रहा था। पुण्या..बेटा धूप से आने के बाद तेरा चेहरा काला सा पड़ जाता है कल से छाता लेकर जाना..और हां स्लैब पर एक फेसपैक पड़ा है लगा लेना.. टैनिंग चली जाएगी–शिवानी को एहसास हो चला था कि पुण्या का खुद की केयर को दिनभर में एक आध घंटे देना उतना भी ग़लत नहीं है जितना वो समझ बैठी थी..आजकल के बच्चे ऐसे भी बहुत समझदार होते हैं उन्हें सब मैनेज करने आता है ..पुण्या तो वो बात जो आज छाया ने समझाई जाने कब से समझा रही थी..मम्मा प्रजेंटेबल तो दिखना ही चाहिए..। सही कहा छाया ने मम्मा ही हुई हूं अभी दादी अम्मा तो नहीं। इधर पुण्या भी मां का अंदर और बाहर दोनों से बदला रूप देखकर आश्चर्यचकित भी थी और खुश भी…आखिर वक्त के साथ मम्मा ने भी प्रजेंटेबल बनना जो सीख लिया था।

मीनू झा 

#वक़्त

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!