थोड़ा सा सम्मान – Blog Post by Anupma

सरोज की शादी को अभी दो महीने ही हुए थे की घर फिर से दुल्हन की तरह सजने लगा था सभी लोग दौड़ दौड़ कर सारे काम निपटाने मैं लगे हुए थे , चारो ओर खुशी का माहौल था , दो दिन बाद ही सरोज की ननद की शादी थी और ये सब उसके ही इंतजाम मैं लगे हुए थे । घर मैं रिश्तेदारों का आना शुरू हो चुका था । सरोज तो अभी अपने ही घरवालों को नही जान पायी थी ठीक से । सभी रिशेदारों के लिए सरोज ही मुख्य आकर्षण और बातों का केंद्रबिंदु थी , सरोज बस दुल्हन की तरह सज संवर के बैठ जाती थी सभी के बीच और शादी की हसीं ठिठोली चलती रहती थी । जो काम सासु जी द्वारा बताया जाता उसे सरोज बहुत ध्यान से और तल्लीनता के साथ कर देती थी । सभी रिश्तेदारों ने उसकी ये परिपक्वता को महसूस भी किया और उसकी ननद ने शायद  सीखा भी क्योंकि वो भी तो अब ससुराल जा रही थीं ।

ननद की शादी के बाद सामान्य रूप से दिन बीतने लगे वैसे तो सरोज को कम बोलने की आदत थी वो तभी बोलती थी जब जरूरी होता था अधिकतर हां मैं ही जवाब देकर सरोज अपनी दिनचर्या मैं व्यस्त हो जाती थी

उसकी ननद अक्सर मायके आती थी और घर परिवार मैं हुई छूट पुट बातें मां जी को बताया करती थी ।  सरोज भी वो बातें सुनती थी और हर बार अपनी ननद को मुखर होकर सही और गलत व्यवहार के बीच गलत बात न बर्दाश्त करने की सख्त हिदायत दिया करती थी और सही बात पर माफी मांगने को भी कहा करती थी । 

इस बार सरोज की ननद कुछ ज्यादा दिनों के लिए मायके आई थी । उनके बच्चे समर कैंप मैं गए थे और नंदोई अपने बिजनेस ट्रिप पर तो वो बीस दिन के लिए रहने आ गई थी 

रोज कुछ न कुछ नया बनता , घूमने जाती ननद भाभी खरीदारी करने भी चली जाती साथ साथ ,

जब जाने का वक्त आया ननद का उस दिन घर मैं बहुत शांति सी थी परिवार के सभी सदस्य साथ मैं बैठ कर नाश्ता कर रहे थे ।

तभी अचानक से ननद से सभी के सामने बोला । सरोज भाभी से भैया जिस तरह का व्यवहार करते है आप सबको कैसा लगता अगर मेरे साथ भी वही व्यवहार मेरे ससुराल मैं हो रहा होता ? 



सभी अचानक हुए इस तरह से ननद की बात सुन कर हैरान थे क्योंकि जानते तो सभी लोग थे की भैया कभी सीधे मुंह सम्मान से सरोज से बात नहीं करते थे । कभी भी कहीं भी उन पर चिल्ला देते थे , कभी उनको क्या चाहिए ,नही पूछते थे , स्कूल हो या बाजार जाना हो कभी न समय पर ले जाते थे जाते भी थे तो वहां हड़बड़ी मचा देते थे की उनका समय बर्बाद हो रहा है और सभी के सामने चिल्ला देते थे यही व्यवहार उनका भाभी के प्रति हर जगह ही था चाहे वो घर हो या बाहर । लेकिन घर के सभी सदस्य इसको उनकी आदत और पति पत्नी के बीच की बात बोल कर कुछ नही बोलते थे जिसकी वजह से उनकी इस आदत मैं दिनोदिन वृद्धि ही हो रही थी ।

फिर सरोज की ननद ने उससे भी पूछा भाभी आप मुझे तो समझा देती हो और घर मैं सभी कुछ संभाल कर चलती हो पर अपने खुद के लिए आप क्यू। नही कभी खड़ी होती हो । 

अगर मेरी मां और पापा आपके लिए नही बोलते है तो आप खुद तो अपने सम्मान के लिए बोल ही सकते हो । 

ननद ने एलान कर दिया की आज भैया का भाभी के प्रति यही रवैया रहा तो उससे अब मायके आने की उम्मीद कोई न करे और यह कह कर ननद जी दरवाजे से बाहर  निकल गई और सब अवाक से एक दूसरे का मुंह देखते रह गए।

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