ठेले वाले के बर्गर – नेकराम : Moral Stories in Hindi

हर मोहल्ले में कोई ना कोई एक व्यक्ति ऐसा जरूर होता है जो हमेशा फोकट का खाना चाहता है कहने का अर्थ है उसे फ्री का सामान चाहिए

हमारे ही मोहल्ले की बात है नाम तो उसका शंकरलाल था लेकिन लोग उसे पेटू के नाम से पुकारा करते थे पेट फूल कर उसका गुब्बारा हो चुका था

लेकिन खाने-पीने के लिए कभी उसने मना नहीं किया उससे कोई भी दोस्ती नहीं करना चाहता था ना कोई उसे अपने घर बुलाता था

पुरानी नौकरी करने का मूड नहीं था नई नौकरी की तलाश थी मैं बेरोजगार घूम रहा था रिश्तेदारों में जाकर खोजबीन की मगर खाली हाथ ही घर लौटना पड़ा आखिरकार मेरी मुलाकात उस पेटू से हो ही गई उसने मेरा उदास चेहरा देखा और पूछा क्या बात है नेकराम जी तुम उदास क्यों हो तुम्हारी तो शादी हुई है तीन बच्चे हैं तुम तो शादीशुदा हो तुम्हें तो खुश होना चाहिए

जीवन में आनंद ही आनंद है तुम्हारे ,,

मैं उससे बात नहीं करना चाहता था सड़क पर घूमने निकला था मगर वह मेरे पीछे-पीछे आने लगा मुझे डर था कहीं मेरे पीछे-पीछे मेरे घर तक ना आ जाए आज घर पर बीवी ने कहा था गरमा गरम आलू के पराठे बना कर रखूंगी अगर यह पेटू पीछे-पीछे मेरे घर तक पहुंच गया तो सारे आलू के पराठे ,,यह अकेला ही खा जाएगा

मैं तेज कदमों से चलने लगा आगे एक पेड़ के पीछे छिप गया वह मुझे चारों तरफ ढूंढने लगा अब वह उसी पेड़ के नजदीक आ रहा था जिस पेड़ के पीछे मैं छिपा हुआ था उसके कदमों की आहट धीरे-धीरे मेरी और बढ़ने लगी मुझे डर था अब मैं पकड़ा जाऊंगा

लेकिन अचानक उसके पैर का एक जूता निकल गया वह अपने जूते को उठाने के लिए जैसे ही नीचे की ओर झुका मैं फौरन पेड़ के पीछे से निकल कर तेजी से सामने बने कच्चे मकान के पीछे भाग कर छिप गया वहां से एक गली से दूसरी गली से निकल कर तुरंत अपने घर पर पहुंचा

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बीवी ने मुझे देखा और कहा आप इतना हांफ क्यों रहे हो क्या बात है कोई शेर पीछे पड़ गया या हाथी

मैंने चेहरे का पसीना तौलिया से पोंछते हुए कहा तुमने आलू के पराठे बना लिए बीवी ने थाली में आलू के चार पराठे रखते हुए कहा गरमा गरम है बस अभी बनाकर ही तैयार किए हैं लो,, खा लो ,,,

मैंने पराठे को जैसे ही छुआ तभी दरवाजे पर खटखट हुई बीवी ने बिना पूछे दरवाजा खोल दिया वह पेटू महाशय सामने ही खड़े नजर आए

मेरी नजर तुरंत आलू के पराठे पर गई वह मुझे फिर बोला नेकराम जी तुम्हारी अम्मा ने ही मुझे बताया था तुम्हारे पास नौकरी नहीं है इसलिए मैं तुम्हें नौकरी देने के लिए आया हूं मगर तुम रास्ते में न जाने कहां गायब हो गए इसलिए मुझे तुम्हारे घर पर आना पड़ा

उसने मुझे एक सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी का पता बताते हुए कहा

हमारे दो रिश्तेदार भी वहां नौकरी करते हैं और मैंने कई बेरोजगार लोगों को वहां पर नौकरी पर भी भेजा है वहां पढ़ाई लिखाई की इतनी आवश्यकता नहीं है ठीक-ठाक सैलरी मिल जाएगी तुम्हारा गुजारा हो जाएगा उसने मुझे एक कार्ड देते हुए कहा

इतने में अम्मा भी आ गई अम्मा को जब पता चला कि मेरी नौकरी की बात करने के लिए शंकरलाल आया है तो अम्मा ने पराठे की थाली उसकी ओर सरका दी

देखते ही देखते वह चारों पराठे खा गया ,,

लेकिन उसका पेट ना भरा उसने रसोई की तरफ इशारा करते हुए कहा आलू के पराठे बड़े मजेदार हैं क्या और मिल सकते हैं तब हमारी धर्मपत्नी कहने लगी अब आटा गूंथना पड़ेगा तभी पराठे बन पाएंगे

शंकर लाल ने अपने पेट पर हाथ फेरा और उठकर बाहर की ओर चल दिया

अम्मा बताने लगी चलो नेकराम की नौकरी पक्की हुई किसी बड़ी कंपनी में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी मिलना कोई मामूली बात नहीं है

जैसे तैसे एक महीना बीत चुका था —

महीने का आखिरी दिन था सैलरी मिलते ही

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मैं तुरंत एक बस में चढ़ गया और घर की तरफ चल पड़ा

शायद 10 या 15 मिनट के बाद

मैं बस से नीचे उतरा

तो सामने बर्गर और समोसे वाले के दो ठेले दिखाई दिए मैंने अम्मा और पत्नी से वादा किया था शाम को आते वक्त बर्गर और समोसे लेता आऊंगा मैं जैसे ही बर्गर वाले की दुकान पर पहुंचा दुकान वाले से मैं कहने ही वाला था कि मुझे चार बर्गर चाहिए

इतने में वह पेटू ना जाने कहां से आ धमका उसे देखकर मेरी सांसे गले में ही अटक गई मुझे डर था कहीं यह मेरे चारों बर्गर अकेला ही ना खा जाए वैसे उसका पेट इतना बड़ा था वह पूरे ठेले के बर्गर भी अकेले खा सकता था

दुकानदार ने मुझसे पूछा हां जी भाई साहब  कितने बर्गर चाहिए

मुझे लगा दुकानदार को बर्गर के लिए मना कर देना चाहिए और मैंने तुरंत बात को बदलकर कहा मैं तो समय पूछने के लिए यहां रुका था कितना टाइम हुआ है दुकानदार मुझे देखने लगा कहने लगा जब समय पूछना था तो मेरे ठेले के बर्गरों को क्यों घूर रहे थे

फिर भी उसने समय बता दिया रात के 8:35 हो चुके हैं

मैंने शंकर को नमस्ते कहा और आगे को चलने लगा तब शंकर लाल कहने लगा आज तो तुम्हें सैलरी मिल गई होगी एक बर्गर मुझे खिला दो

मैंने तुरंत कहा अभी तो सैलरी नहीं मिली शायद कल मिल जाए इतना कह कर मैं घर की तरफ चलने लगा तभी पत्नी का फोन आया और उसने कहा आज सुबह तुमने कहा था बर्गर और समोसे लेकर आऊंगा

भूल मत जाना,, मैंने हां में हां मिलाई और कहा ठीक है मैं बर्गर लेकर आऊंगा अब बर्गर की दुकान बहुत पीछे छूट चुकी थी  पेटू मेरे पीछे-पीछे ही चला आ रहा था

बचपन से ही मुझे आदत थी सैलरी पहले घर पर लाकर अम्मा के हाथ में देनी होती है फिर अम्मा उस घर का राशन भरवाती है बस बचपन से यही शिक्षा लिए में जवान हो चुका था इसलिए मैंने शंकर लाल से झूठ कहा कि मुझे आज सैलरी नहीं मिली है

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आगे जाकर दो बड़ी-बड़ी कार खड़ी हुई थी मैं कार के पीछे ही बैठ गया

लेकिन उसकी आंखें बड़ी तेज थी वह तुरंत कार के पीछे आकर मुझे देखने लगा और कहने लगा नेकराम जी यहां क्या कर रहे हो

तब मैंने कहा मेरा जेब से एक रुपया नीचे गिर गया है उसी को ढूंढ रहा हूं और मैं जमीन पर इधर-उधर उंगलियों से जमीन की मिट्टी को खुरचने लगा वह भी मेरे पास आकर मेरी मदद करने लगा

और कहने लगा अगर रुपया मैंने ढूंढा तो वह रुपया मैं ले लूंगा

मैंने शर्त कबूल कर ली ,,

और सच में ही उसे एक रुपए का सिक्का वहीं ढूंढने से मिल गया

उसने रुपया मेरी और बढ़ाते हुए कहा नेकराम जी यह रुपया आपका है आप इसे अपने पास रख लीजिए

मैंने वह रूपया ले लिया और घर की तरफ चल पड़ा लेकिन मुझे याद था बीवी ने कहा था बर्गर लेकर ही घर पर आना है बर्गर की दुकान से मैं

200 मीटर आगे आ चुका था घर बहुत नजदीक था मगर मैं घर पर खाली हाथ नहीं जाना चाहता था तब मैंने जेब से मोबाइल निकाला और झूठ-मूठ फोन कान में चिपकाकर अपने आप से कहने लगा

शंकर लाल को सुनाने के लिए बस स्टैंड पर हमारे एक रिश्तेदार आए हुए हैं वह हमारे दूर के मामा जी हैं मुझे वापस बस स्टैंड पर जाना पड़ेगा

तब शंकर लाल कहने लगा तो मामा जी कोई छोटे बच्चे थोड़ी ना है क्या उन्होंने कभी तुम्हारा घर नहीं देखा वह अकेले आ जाएंगे

तब मैंने कहा हमारे घर में मामा जी का बड़ा सम्मान किया जाता है

इसलिए तुम घर पर जाओ,, मैं मामा जी को लेने जा रहा हूं तब शंकर लाल कहने लगा मैं भी तुम्हारे साथ चलता हूं मामा जी को लेने के लिए

अब मुझे उसे अपने साथ ले जाना पड़ा

बस स्टैंड पर मैं पहुंच गया सामने ठेले की दुकान थी बर्गर गरमा गरम तेल में तले जा रहे थे ठेले के चारों तरफ बच्चे बूढ़े जवान और लड़कियां बर्गर खाने में लगे हुए थे पत्तलों के ढेर इर्द गिर्द पड़े हुए थे

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तब शंकर लाल कहने लगा काश नेकराम अगर तुम्हारी सैलरी मिल जाती तो एक-एक बर्गर खा लेते हम दोनों

मैं बस स्टैंड पर आकर खड़ा हो गया तब शंकर लाल ने कहा तुम्हारे मामा जी दिखाई नहीं दे रहे हैं

तब मैं मन ही मन में कहने लगा मामा जी होंगे तभी तो दिखाई देंगे

तभी एक बस रुकी कुछ सवारी उतरी तो शंकरलाल ने कहा नेकराम  जी देखो कहीं इन सवारी में तुम्हारे मामा जी तो नहीं है

तब मैंने कहा नहीं शायद मामा जी लेट हो गए होंगे अभी बस से नहीं आए तभी बस से

कोर्ट पहने और सिर पर टोपी लगाए एक व्यक्ति उतरे उनके हाथ में एक छड़ी भी थी शंकर लाल ने कहा शायद वह तुम्हारे मामा जी होंगे वह टोपी वाला व्यक्ति मेरे पास आकर रुका

उसने मुझे ध्यान से देखा और कहा क्या तुम्हारा नाम नेकराम है

उन अजनबी के मुंह से मैं अपना नाम सुनकर हैरान रह गया

तब उन्होंने बताया मैं तुम्हारे दूर का मामा जी हूं

तब शंकर लाल ने कहा नेकराम जी तो कब से आपका इंतजार कर रहे थे चलो अब घर चलो रात काफी हो चुकी है

वह अजनबी मामाजी मेरे साथ-साथ मेरे घर की तरफ चलने लगे

मुझे डर था कहीं अम्मा मुझे धमकाने ना लगे और कहने लगे सड़क से किसी अजनबी आदमी को अपना मामा बनाकर ले आया

लेकिन शंकर लाल ने उसका हाथ पकड़ लिया और कहा चलो

मामा जी मैं तुम्हें नेकराम जी का घर बताता हूं

तब मैं चलते-चलते शंकर लाल को इशारे में कहने लगा यह नकली मामा है मेरा तो दूर-दूर तक कोई मामा नहीं है मगर  शंकर तक मेरी बात

नहीं पहुंच पा रही थी

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आगे रास्ता थोड़ा सुनसान था खंबे की लाइट भी बंद थी थोड़ा बहुत अंधेरा था मेरा दिल जोर-जोर से घबराने लगा कहीं यह कोई आतंकवादी या कोई लुटेरा या कोई चोर तो नहीं

तभी आगे एक पत्थर की ठोकर से उस नकली मामा का पैर फिसल गया और वह गिर पड़ा गिरते ही उसकी जेब से एक चाकू निकल

कर सड़क पर गिर गया उसने तुरंत अपना चाकू उठाया और अपनी जेब में वापस रख लिया

शंकर लाल ने पूछा मामा जी आपने चाकू अपनी पैंट की जेब में क्यों  रखा है और चाकू भी काफी बड़ा है

तब नकली मामा जी कहने लगे रास्ते में जब कभी मन करता है फल खाने का तो मैं चाकू से ही काट कर सेब फल इत्यादि खाता हूं

शंकर और मैंने हम दोनों ने खतरा भाप लिया था

जिस सड़क पर हम चल रहे थे वह सड़क आगे जाकर दो भागों में बटी हुई थी सड़क का एक छोर पश्चिम दिशा में और दूसरा छोर पूर्व दिशा की तरफ जा रहा था

पास में ही एक गहरा नाला था नाला ज्यादा बड़ा नहीं था लेकिन उसमें एक आदमी आराम से डूब कर गिर सकता था जैसे ही हम नाले के नजदीक से निकले शंकर लाल और मैंने पूरी ताकत से उस नकली मामा को धक्का देकर नाले में पटक दिया

क्योंकि शंकर लाल भी समझ चुका था वह कोई बहरूपिया है क्योंकि उसकी जेब में चाकू था

नकली मामा को नाले में फेंकने के बाद हम दोनों तेजी से भागते हुए आगे जाकर फिर शंकर लाल और हम एक सिंगल सड़क पर आकर मिले

मैंने शंकर लाल को  धन्यवाद देते हुए कहा आज तुमने मेरी जान बचा ली

अगर तुम मेरे साथ ना होते तो वह नकली मामा मेरे साथ कुछ भी कर सकता था

फिर हम दोनों साथ-साथ ही घर आ पहुंचे अम्मा दरवाजे पर ही बैठी हुई थी

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मुझे देखते ही कहा तुमने घर आने में बड़ी देर लगा दी गांव से कितनी देर से फोन आ रहा है दूर के जगदीश मामा जी बस स्टैंड पर खड़े होंगे उन्हें हमारा घर मालूम नहीं है ना उनके पास मोबाइल है

जाओ जल्दी जाओ बस स्टैंड से मामा जी को लेकर आओ

तब हमने अम्मा को सारी बात बता दी अम्मा ने गालियां देते हुए कहा वह नकली नहीं असली मामा थे और तुम दोनों उन्हें नाले में फेंक कर आ गए सर्दी के दिन चल रहे हैं नाले के गंदे पानी में उनकी कुल्फी जम गई होगी

तब मैंने अम्मा को कोने में ले जाकर धीरे से कान में कहा मुझे आज सैलरी मिली है मैंने सोचा कोई चोर है मेरी सैलरी ना छीन ले

तब अम्मा कहने लगी तभी तो कहती हूं थोड़ा बहुत गांव भी जाया करो गांव में हमारे कितने रिश्तेदार रहते हैं तुम लोग शहर में क्या पैदा हो गए  गांव के रिश्तेदारों के ना नाम मालूम,, ना उनके चेहरे मालूम

शंकर लाल को जब पता चला तो उसने कहा अच्छा जी नेकराम जी तुम्हें सैलरी मिल गई और मुझसे कहा की सैलरी नहीं मिली

मैंने शंकर लाल से सॉरी कहते हुए कहा मुझे माफ कर दो

चलो हम दोनों मामा को लेकर घर पर लाते हैं

मैं शंकर लाल को साथ लेकर फिर उसी नाले की तरफ चलने लगा जहां पर मामा जी को उठाकर फेंक था

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हमारी धर्मपत्नी बड़ी चिंतित थी अम्मा से कहने लगी एक बार गांव में फोन करके देख लो तब अम्मा ने फोन गांव में मिलाया तो उन्हें पता चला

जगदीश मामा को आज ही दिल्ली आना था मगर किसी कारण से वह आज नहीं आ सके अगले सप्ताह आएंगे इतना कहकर गांव वालों ने फोन काट दिया ,,

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मैं शंकर लाल को लेकर तेजी से नाले की तरफ चलने लगा और बहुत अफसोस जताने लगा मैंने बहुत बुरा किया नकली मामा समझ रहा था मगर वह तो असली मामा जी निकले

हम तुरंत नाले के पास पहुंचे तो वह नाले से निकलने की कोशिश कर रहे थे हमने हाथ पकड़ कर उन्हें नाले से बाहर निकाला और सॉरी कहते हुए कहा मामा जी हमसे गलती हो गई चलो घर चलो

इतने में पुलिस की जीप वहां से निकली उन्होंने तुरंत जीप रोककर हम लोगों से पूछा यहां अंधेरे में क्या कर रहे हो बच्चों यह साथ में कौन है तुम्हारे

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पुलिस की कड़क आवाज सुनकर वह तेजी से भागने लगा

तब हमने कहा मामा जी क्यों भाग रहे हो यह पुलिस तो हमारी सुरक्षा के लिए है पुलिस वालों ने तुरंत मामा जी को पकड़ लिया

तलाशी लेने पर उसकी जेब से नकली नोट के पैकेट बरामद हुए

जो पॉलिथीन के अंदर लिपटे हुए थे

अब तक दो-तीन पुलिस की जीप वहां पर आ चुकी थी उन्होंने मामा जी को पकड़ लिया और पूछताछ के लिए हमें भी थाने में ले गए

हमने सारी कहानी पुलिस वालों को बता दी

पुलिस वालों ने हमारे घर का पता नोट करके हमें घर जाने दिया

घर पहुंचे तो अम्मा और पत्नी नहीं थी किसी ने बताया वह ,,बस स्टैंड ,, की तरफ तुम्हें ढूंढने के लिए निकली है तुम्हारे बाबूजी भी डंडा लिए तुम दोनों को ढूंढने के लिए गए हैं क्योंकि अम्मा जाते-जाते बता रही थी गांव से कोई मामा जी नहीं आए बस हमने इतना ही सुना अम्मा जी के मुंह से

पड़ोसियों की बात सुनकर शंकर लाल के साथ में कमरे में ही बैठ गया

थोड़ी देर में अम्मा , बाबूजी और मेरी पत्नी घर आ चुकी थी

हमने अम्मा और बाबूजी को सब कुछ बता दिया वह मामा जी नहीं कोई नकली नोट सप्लाई करने वाला एजेंट था

रात भर हमें नींद ना आई शंकर लाल भी अपने परिवार के साथ हमारे घर पर ही बैठा था

अम्मा कहने लगी उसे तेरा नाम कैसे मालूम था उसे कैसे पता चला तेरा नाम ही नेकराम है

तब शंकर लाल ने कहा मैं बार-बार बस स्टैंड पर खड़े होकर कह रहा था नेकराम जी तुम्हारे मामा जी अभी तक नहीं आए क्या तुम उन्हें पहचान लोगे

तब नेकराम कहने लगा कोशिश करूंगा क्योंकि अम्मा ने कहा है मामा जी बस स्टैंड पर ही मिलेंगे

शायद इसी बात का फायदा उठाकर वह नेकराम का मामा बनकर नेकराम के सामने उपस्थित हो गया और हम उसे असली का मामा जी समझ बैठे

शायद वह हमारे जरिए पुलिस चौकी पार करना चाहता था

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रात कट नहीं रही थी बातों का दौर शुरू हो चुका था रात के 2:30 बजने पर जब आंखों में नींद भरने लगी तो शंकर लाल अपनी फैमिली को लेकर चला गया और हम भी सो गए

सुबह जांच पड़ताल करने पर पुलिस वालों को जानकारी मिली

नकली नोट बरामद किए जाने वाले शख्स का नाम जाहीर खान था

वह नोट यूपी के प्रयागराज के एक मदरसे में छापे जाते थे उस मदरसे की पहली मंजिल पर किसी का भी आना-जाना वर्जित था 2 सालों से वहां पर नोटों की छपाई चल रही थी सौ सौ के नकली नोट छापे जाते थे

नकली नोटों को बाजारों में खपाने के लिए वह एक असली नोट के बदले तीन नकली नोट दिया करते थे मदरसे को खाली करवा दिया गया है और पूछताछ अभी भी जारी है

अगले दिन जब मैं ड्यूटी पर पहुंचा तो मैंने यह जानकारी किसी को नहीं दी लेकिन समाचार और अखबारों में यह खबर तेजी से फैल गई

ड्यूटी से घर लौटा तो बस स्टैंड के पास वाले ठेले से चार बर्गर पैक करवाने के बाद एक बर्गर और एक्स्ट्रा शंकर लाल के लिए भी खरीद लिया तब मैं समझ गया दाने-दाने पर लिखा है खाने वाले का नाम

लेखक नेकराम  सिक्योरिटी गार्ड

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