सविता जैसे ही बालकनी में सुबह की चाय लेकर बैठी सामने पेड़ पर चिड़ियाँ का जोड़ा बैठा चींची करके एक दूसरे की चोंच पर प्यार कर रहे थे । बहुत देर तक वह अपलक उसे निहारती रही । इन पक्षियों के पवित्र प्यार को ना कोई बनावट ना दिखावट । उसका और सुमित का प्यार क्या इस तरह का नहीं था । वह तो उसे टूट कर चाहती थी । सोचते हुये गुजरे पलों में पहुँच गयी ।
पापा का तबादला हर दो साल बाद हो जाता था । पापा एक अधिकारी थे ।परिवार सम्पन्न था । किसी चीज की कोई कमी नहीं थी । घर में मां पापा और उससे छोटे दो
भाई । जब तक वह छोटी क्लास में थे तो पापा के साथ साथ रहे और जब थोड़ी बड़ी क्लास में आये तब मां पापा ने निर्णय लिया कि एक जगह जहां अच्छी शिक्षा मिल सके वहाँ पर ही सबको रुकना चाहिये । पापा हर हफ्ते आजाया करेगे और इस निर्णय के बाद इलाहाबाद में मकान का इन्तजाम कर दिया क्योंकि सविता की ननिहाल भी इलाहाबाद थी ।
धीरे धीरे जिन्दगी चलने लगी । सविता बी. ए में आगयी । पढने के अलावा अन्य सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में भी उसकी अच्छी पकड़ थी । सुमित उसके पड़ोस में रहता था । वह उससे सीनियर था । मध्यम परिवार का लड़का पढ़ने में बहुत होशियार । दोनों की मुलाकात एक कार्यक्रम में हुई धीरे धीरे दोस्ती बढ़ती गयी । सुमित के परिवार वाले अधिक पसंद नहीं करते थे । उसी समय सुमित की सर्विस बहुत अच्छी कम्पनी में लग गयी । सुमित उससे बोल कर गया था कि वह उसी से शादी करेगा । सविता के मां पापा को पता चला तो वह राजी होगये । उन्होंने सुमित के मां बाप से बात की पर उनके सपने सुमित को लेकर बहुत ऊंचे
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थे ।
उनकी जिद के आगे सुमित हार गया । एक धनाढ्य परिवार की नकचढी लड़की से उसकी शादी होगयी । सविता बिलकुल टूट गयी उसने आगे की पढाई चालू रखी पर शादी के लिये मना कर दिया । उसकी नियुक्ति बेसिक शिक्षा अधिकारी के पद पर होगयी । बस जिन्दगी चल रही थी । कभी कभी सुमित का हाल और मित्रों से पता चल जाता था । वह अपने वैवाहिक जीवन से बहुत परेशान था पर पत्नी और उसके घर वालो के आगे कुछ कर नहीं पाता था । कल सुबह उसने जैसे ही समाचारपत्र हाथ में लिया । मुख्य खबर कि एक कम्पनी के अधिकारी ने गृह कलह से तंग आकर आत्महत्या कर ली । उसने फोटो और नाम देखा वह हताश सी बैठ गयी ।
आज वह सोच रही थी भाग्य की बिडंम्बना को कि उन दोनों का प्यार मर्यादित था । वह दोनों अलग होने के बाद परिवारों की इज्जत के कारण एक दूसरे से मिले भी नहीं पर दोनों को इससे क्या मिला एक को मौत और एक को तन्हाई ।
#मर्यादा
स्वरचित
डा.मधु आंधीवाल