तलाक- लड़की की बदनामी या नवजीवन ?? – संगीता अग्रवाल 

” बेटा नताशा कैसी हो तुम ?” रोहिणी जी ने अपनी नवविवाहित बेटी को फोन किया और पूछा।

” मैं ठीक हूं मां आप बताओ !” नताशा ने उत्तर दिया।

” बेटा हम भी ठीक हैं तुम्हारे पापा तुमसे मिलना चाहते है तो परसो हम लोग आ रहे हैं तुम्हारे ससुराल !” रोहिणी जी बोली।

” अरे मां आप क्यों परेशान होती हो मैं आती हूं ना आप लोगों से मिलने परसो छुट्टी तो है ही मेरी !” नताशा जल्दी से बोली।

” चलो ये भी ठीक है तुम ऐसा क्यों नही करती दो चार दिन के लिए रहने ही आ जाओ कहो तो मैं समधन जी से बात कर लेती हूं। ” रोहिणी जी बोली।

” उसकी जरूरत नहीं मां मैं आ जाऊंगी !” नताशा ने कहा और फोन काट दिया।

इससे पहले की मैं कहानी को आगे बढ़ाऊं आपको कहानी के पात्रों के बारे में संक्षिप्त परिचय दे देती हूं।

नताशा रोहिणी जी और नरेंद्र जी की बेटी है जिसने अपने सहकर्मी मनन से प्रेम विवाह किया है जिसमे नताशा के परिवार की तो रजामंदी थी क्योंकि वो बच्चों की खुशी में विश्वास रखते हैं और नताशा के भाई का भी प्रेम विवाह है और दोनो खुश है।  पर मनन के परिवार वाले खुश नही थे लेकिन मनन की जिद के हाथों उन्हे मजबूर होना पड़ा। अभी नताशा की शादी को चार महीने ही हुए थे। अब आगे की कहानी आप धीरे धीरे समझिए।

नताशा आई पर मनन के साथ ही और रात को चली गई अगले दिन उन्हे नौकरी पर भी जाना था। मनन के साथ आने के कारण बेटी से ज्यादा बात तो नही हुई पर बेटी का मुरझाया चेहरा बहुत कुछ कह रहा था।

” सुनिए चलिए नताशा के घर चलते हैं पता नही क्यों मुझे ऐसा लगता है कि कुछ तो बात है जो हमारी बेटी हमसे छिपा रही है !” अगले रविवार रोहिणी जी नरेंद्र जी से बोली।

” ठीक है मैं नताशा को फोन करके बता देता हूं कि हम आ रहे हैं !” नरेंद्र जी फोन निकालते हुए बोले।



” नही नही उसकी जरूरत नहीं बस आप गाड़ी निकालिए हम चलते है बेटी जमाई को सरप्राइज़ देंगे !” रोहिणी जी बोली क्योंकि वो नताशा को नही बताना चाहती थी कि वो लोग आ रहे है वरना नताशा फिर मना कर देती।

दोनो पति पत्नी बेटी के ससुराल पहुंचे जो कि २.5 घंटे की दूरी पर था।

” मां – पापा आप दोनो यहां कैसे ?” दरवाजे की घंटी बजाने पर नताशा दरवाजा खोलते ही चौंक गई।

” अरे वाह तुम्हारी मां का सरप्राइज़ देने का आइडिया तो बहुत अच्छा था कैसे सरप्राइज़ हो गई तुम हमे देख कर !” नरेंद्र जी खुश होते हुए बोले जवाब में नताशा फीकी हंसी हंस दी रोहिणी जी ने महसूस किया बेटी सरप्राइजड़ नही परेशान लग रही है उनके आने से।

” अरे कहां मर गई कौन है दरवाजे पर जिसके साथ बतिया रही है खाना क्या तेरा बाप बनाएगा आकार !” तभी अंदर से मनन के चिल्लाने की आवाज आई।

” बाप तो नही हां मां जरूर बनाती है इसकी खाना !” उसकी आवाज सुन रोहिणी जी गुस्से में भरी अंदर आई।

” अ… अ आप यहां ..!” सास ससुर को सामने देख मनन हकलाने लगा।

” हां हम क्यों..बेटी के घर नही आ सकते…अच्छा हुआ आ गए और तुम्हारा ये रूप देख लिया …नताशा ये क्या है मनन तुमसे कैसे बोल रहा है पत्नी हो तुम उसकी गुलाम नही !” नरेंद्र जी बोले।

” वो …वो पापा ..!” नताशा इतना बोल रोते हुए पापा के गले लग गई।

” साफ साफ बताओ नताशा क्या बात है रोने से काम नहीं चलेगा!” नरेंद्र जी बेटी को खुद से अलग करते कड़क आवाज में बोले उनकी आवाज सुन मनन भी कांप गया।



” वो …पापा मनन से शादी करना मेरी सबसे बड़ी भूल थी शादी के पंद्रह दिन बाद ही इसने नौकरी छोड़ दी मेरी सारी तनख्वाह ये ले लेता है। जब तक इसके मम्मी पापा भी ताना मारते रहते है कि मुझसे शादी करके उनका बेटा निकम्मा हो गया जाने मैने क्या किया है। पापा ये शादी ही इसकी चाल थी मेरे पैसों पर ऐश करने की पैसे न देने की सूरत में ये हाथ उठाने से भी गुरेज नहीं करता !” नताशा रोते रोते एक सांस में बोल गई।

” क्या …तो तुमने हमे क्यों नही बताया मां बाप है हम तुम्हारे । कहां है तुम्हारे सास ससुर उनसे मैं बात करती हूं !” रोहिणी जी हैरानी से बोली।

” मां वो लोग अपने गांव गए हुए हैं कुछ दिनों के लिए और  मैने अपनी पसंद से ये शादी की थी आपने स्वीकृति दे दी ये ही बड़ी बात थी अब आपको किस मुंह से बताती मैं कि मेरे साथ क्या हो रहा है !” नताशा रोते रोते सुबकने लगी थी।

” अरे तो तुम्हारे पैसे मेरे ही तो है और मुझे नौकरी नहीं करनी थी इसलिए छोड़ दी फिर तुम कर तो रही हो ना जब पति की कमाई से पत्नी बैठ कर खा सकती है तो पत्नी की कमाई पर पति क्यों नही!” मनन नताशा की बात सुन बेहयाई से बोला।

” तड़ाक़….शादी का और पति का मतलब भी जानते हो तुम मेरी बेटी पर हाथ उठाया तुमने अपने मतलब के लिए उससे प्यार का नाटक कर शादी की अब तुमसे तो कोर्ट में मुलाकात होगी अपनी बेटी को तुमसे आजाद करवाऊंगा और तुम्हे तुम्हारे किए की सजा भी दिलवाऊंगा !” नरेंद्र जी मनन को एक थप्पड़ मारते हुए बोले।

” ससुर जी …ससुर जी तलाक हो गया तो आपकी बेटी दुनिया भर में बदनाम हो जायेगी …इससे अच्छा है एक डील करते हैं हम …आप मुझे मेरा बिजनेस खोलने को पैसे दे दो और आपकी बेटी फिर इस घर में राज करेगी !” अपना गाल सहलाता हुआ मनन सौदे पर उतर आया।

” तेरी ये मजाल …!” नरेंद्र जी मनन को फिर मारने को हुए तो रोहिणी जी और नताशा ने उन्हें रोक दिया।

वहां से निकल सब पुलिस स्टेशन पहुंचे और मनन के खिलाफ शिकायत की। पुलिस ने मनन को गिरफ्तार कर लिया दोनो के तलाक़ का केस कोर्ट में चला गया। नताशा अपने माता पिता के घर चैन से रहने लगी।

दोस्तों एक दिन नताशा को तलाक भी मिल ही जायेगा क्योंकि उसके माता पिता उसके साथ है। यहां मैं सभी माता पिता से कहना चाहती हूं बेटी की शादी होने के बाद उसे पराया मत कीजिए अगर पति मनन जैसा हो तो ऐसी सूरत में एक लड़की या तो घुट घुट कर जीती है या आत्महत्या कर लेती है । इससे अच्छा है उसे ऐसी शादी से छुटकारा दिलवाइए और आगे बढ़ उसे अपनाइए। वही में सभी लड़कियों से कहना चाहूंगी शादी के बाद आपको तिरस्कार सहना पड़े तो अपने मां बाप को अपनी परेशानी बताइए तभी कुछ हल निकल सकता है क्योंकि आखिर हो तो आप उनके जिगर का टुकड़ा।

आपकी दोस्त

संगीता अग्रवाल 

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