अब पछताये होत क्या? –  मुकुन्द लाल part 1|best hindi kahani

  रात के अंधकार को चीरते हुए बस पूरी रफ्तार से गीली सड़क पर दौड़ रही थी। रह-रहकर बादल के गरजने और बिजली के चमकने का क्रम जारी था।   पानी भी घंटे-आध घंटे के अंतराल पर बरस रहा था पर कमलेश के अंतस्थल में उमड़ते- घुमड़ते दुख के बादल उसकी आंँखों के माध्यम से लगातार बरस … Read more

यत्र तत्र सर्वत्र – मनीषा देबनाथ

अमन एक इंजीनियर होने के साथ-साथ एक अच्छा लेखक भी था। लेकिन एक इंजीनियर होने के बावजूद अमन को ज्योतिष, वास्तु, तंत्र मंत्र के विषयों में जानना और लिखना उसे बहुत शौक था।रात के दो बजे थे। अमन एक जन्मपत्री का अध्ययन कर रहा था। वह संसार की सुध-बुध खोये एक अनजान लड़की की कुण्डली … Read more

 पछतावा – रणजीत सिंह भाटिया | best hindi kahani

जब भी मां का फोन आता वह एक ही बात कहती ” बेटा जल्दी आजा कब आएगा….? ” मैं कहता  “हाँ माँ मैं जल्दी आ रहा हूं तुम्हारे लिए क्या लेकर आऊं…? ” फिर मां कहती  ” बेटा तू परदेस में कितनी मेहनत करता होगा सब कुछ है बस सिर्फ तेरी कमी है तू आजा … Read more

मां तुम तो वट वृक्ष हो हमारी – शुभ्रा बैनर्जी | best hindi kahani

इस लड़की का मैं क्या करूं?कभी सुनती ही नहीं मेरी।सुधा पहले से ही जानती थी कि उसकी बेटी यशा मानेगी नहीं।शादी की बातचीत जब से शुरू हुई थी,तब से सुधा का मन इसी आशंका से आहत हो रहा था।पक्की बात करने जब वैभव और उसके माता-पिता आए,तभी यशा ने सहज तरीके से उन्हें समझाया था … Read more

छलावा – लतिका श्रीवास्तव | best hindi story

हताश निराश अदिति तेजी से अपना सामान पैक कर रही थी..हड़बड़ी में जितनी तेजी से वो अपना सूटकेस ठूंस रही थी उतनी ही तेजी से वो बड़बड़ाती भी जा रही थी। अरे मैडम कहां की तैयारी कर ली आपने सुबह सुबह ही और अपनी इस खासम खास दिलो जान से प्यारी सहेली भावना उर्फ भूनु … Read more

मेरी माँ और यादें – family drama story

बचपन से ही मैं अपनी माँ के बहुत करीब रही हूँ । हम दोनों माँ बेटी होने के साथ ही एक अच्छी दोस्त भी हैं। जब भी हमें फुर्सत होती माँ अपने जीवन की हर छोटी बड़ी घटनाओं को मुझे बताती । आज माँ के द्वारा बतलायी वे सभी बातें मैं अपने पाठकों तक उन्हीं … Read more

मलाल – स्नेह ज्योति | best hindi kahani

रीना मुंबई की एक मल्टी नेशनल कंपनी में काम करती हैं । कहने को वो एक संस्थान से जुड़ी हैं ,जो गरीब ,लाचार बच्चों की हर तरह से मदद करती हैं । रीना हर महीने अपनी सैलरी का कुछ भाग इन बच्चों के लिए दे, पुण्य का काम रही थी । ऑफ़िस में सब रीना … Read more

आखिरी रक्षाबंधन – माधुरी राठौड़ | family story in hindi

बात उन दिनों की है जब मैं कॉलेज में पढ़ती थी! एक दिन कॉलेज से घर लौटी तो देखा सभी लोगों के चेहरे उतरे पड़े हैं! मेरी लाख पूछने पर भी मेरी मां ने मुझे कुछ नहीं कहा..इसकी भी एक वजह थी क्योंकि बचपन से ही मुझे हृदय की बीमारी थी मेरी हर छोटी मोटी … Read more

क्या तुम बर्दाश्त कर लेते – बीना शर्मा

“मेरी मम्मी भी तो आपकी मम्मी जैसी  है यदि मैं भी तुमसे तुम्हारी मम्मी के बारे में ऐसा ही कह देती तो जब वे बीमार हुई थी यदि उस वक्त में आपकी बात मानने से इंकार कर दे देती तब क्या तुम बर्दाश्त कर लेते? सोच लो आज आपकी ना सुनकर मुझे बेहद दुख हो … Read more

अभिमान कुछ क्षण का – निकिता अग्रवाल

निष्ठा तुम कल खाना बना देना छोटू खा लेगा, घर से निकलते -निकलते निष्ठा की सास ने उसे बोला। आवाज़ में कुछ संकोच भी था और संकोच के साथ साथ निष्ठा को उनकी आवाज़ में उनका अभिमान टूटता सुनाई दे रहा था। बात छह महीने पुरानी थी। दिवाली को बस दो हफ़्ते बाक़ी थे । … Read more

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