जीवन का सवेरा (भाग -17 ) – आरती झा आद्या : Moral stories in hindi

“ये क्या है अंकल” .. आरुणि आश्चर्य से पूछती है।  रोहित के पापा, आरुणि को संजीदगी से देखते हुए कहते हैं, “तुम खुद ही पढ़ो बेटा। अगर तुम्हारी हाँ होगी तभी बात आगे बढ़ेगी।” आरुणि के हाथों में पेपर्स होते हैं, जिनमें “जीवन का सवेरा” संस्था को सहारा देने और विस्तार करने की योजना विस्तार … Read more

अभागन की बेटी – ऋतु गुप्ता : Moral Stories in Hindi

बहुत-बहुत बधाई हो रोली दीदी, बेटी ने आखिर साबित कर ही दिया कि आप कोई अभागन नहीं और वो कोई अभागन की बेटी नहीं। अरे अभागे तो वे लोग होते हैं जो समाज के डर से अपने हौसलों की उड़ान को रोक देते हैं, और समाज द्वारा बनाई गई झूठी मर्यादाओं के आगे अपने घुटने … Read more

साक्षात् लक्ष्मी है – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

सुनसान सड़क पर इक्कीस वर्षीय लक्ष्मी बेतहाशा दौड़े जा रही थी कि अचानक उसकी आँखों के सामने तेज रोशनी चमकी और वह एक गाड़ी से टकराकर अचेत हो गई।ड्राइवर ने तुरंत ब्रेक लगाकर गाड़ी रोकी और बाहर आकर एक बेहोश महिला को देखा तो चिल्लाया,” मालिकsssss..।”  माणिक लाल साथ बैठी पत्नी सुभद्रा से बोले,” चिंता … Read more

संस्कार और सम्मान – दिक्षा बागदरे : Moral Stories in Hindi

रितिका का मन कल शाम से ही बहुत खिन्न है। मन में बहुत ही उथल-पुथल मची हुई है। वह समझ ही नहीं पा रही थी कि उससे कहां चूक हो गई ?? जिन्हें वह इतना सम्मान देती थी, अपना समझती थी। आज उन्होंने ही उसके संस्कारों पर उंगली उठा दी थी। रितिका शुरू से ही … Read more

विश्वास की डोरी टूट गई – संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

” सुनीता आज विमला जीजी का फोन आया था वो कल अपनी मानसी है अपने घर ले जाने आ रही है कुछ दिन को !” सुरेश ऑफिस से आ पत्नी से बोला। ” पर ऐसे अचानक …अभी तो उसने परीक्षा खत्म कर सिलाई सीखनी शुरु की है यूँ बीच मे कैसे छोड़ दे ?” सुनीता … Read more

काव्या – शिव कुमारी शुक्ला : Moral Stories in Hindi

कव्या अपने पापा के गले लगकर रोये जा रही थी। पापा  मैं बहुत बुरी हूं। मैंने आपकी बात नहीं मानी। पापा मैं उसकी बातों से ऐसी सम्मोहित हो गई थी कि किसी की बात सही नहीं लगती थी। केवल वही सही लगता था उसकी बात अच्छी लगती थी। तभी हो अपने मुंह पर कालिख पोत … Read more

“पिंजरा”- कविता भड़ाना : Moral Stories in Hindi

विनीता के कानों में विदाई के समय, पिता के द्वारा दी गई नसीहत अभी भी गूंज रही थी…”आज से ससुराल ही तेरा असली घर है, हंसी खुशी आएगी तो पीहर के द्वार सदा खुले पाएगी लेकिन ससुराल से कोई शिकायत आई तो इस घर के दरवाज़े अपने लिए सदा के लिए बंद ही समझना”…. विनीता … Read more

अभिमान – दीपा माथुर : Moral Stories in Hindi

“देखो बेटा बाहर निकलो तो आंखों को झुकने नही देना। किसी से बात करो तो अपने कॉन्फिडेंस में कमी मत आने देना। पर हा याद रहे बेवजह किसी से उलझना नही। और ज्यादा किसी से हस कर बात नहीं करना।” ओह मम्मी मैं कोई छोटी बच्ची हूं। सब समझती हु इस जमाने को ,आपने चेहरों … Read more

“कच्चे धागे ” – कविता भड़ाना : Moral Stories in Hindi

राज और प्रिया की शादी को अभी चार महीने ही हुए है, दोनों ने मां बाप के खिलाफ जाकर शादी की थी और एक नए शहर में जाकर अपनी गृहस्थी बसा ली…. राज को एक बहुत अच्छी कंपनी में जॉब मिल गई, लेकिन प्रिया का प्रयास अभी जारी था, वह घर पर रहकर ही नौकरी … Read more

क्यों न करूँ अपनी क़िस्मत पर नाज – के कामेश्वरी : Moral Stories in Hindi

माँ आप यह क्या कह रही हैं ? आप हमारी बात समझ क्यों नहीं रही हैं । प्लीज़ आप पापा को भी मेरी शादी में बुला लीजिए क्योंकि मेरा कन्यादान आप दोनों को ही करना है । यह सोनी मानिनी की बेटी थी जिसकी शादी होने वाली थी । मानिनी ने कहा -देख !सोनी तुम … Read more

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