अब अन्याय और नहीं” – डॉ अनुपमा श्रीवास्तवा

अब यह अन्याय मुझसे सहन नहीं होगा…. तुम लोग को जाना है जाओ… जो करना है करो … मुझ पर  कोई  दबाव नहीं डाल सकता । हे भगवान ! हमें ऐसी औलाद ही नहीं दिया होता..   इसने तो हमारी नाक कटवा दी। अब हम समाज में क्या मूंह दिखाएगें। हमारे मूंह पर कालिख पोत दी … Read more

‘शीर्षक’ – पुष्पा ठाकुर 

आप सोच रहे होंगे,ये कैसा शीर्षक? आज के लेख का शीर्षक ही ‘शीर्षक ‘है। इस दुनिया में एक से बढ़कर एक हस्तियां हैं,जिनके नाम ही अपने आप में एक पूरी की पूरी दास्तान है। कुछ नाम तो अपने आप में ही अद्वितीय और अद्भुत हैं, ऐसे नाम जो किसी साधारण इंसान को भी असाधारण पहचान … Read more

बेचारी मत बनना – मीता जोशी

“आज उड़ान संस्था को बने पचास-वर्ष हो चुके हैं। आप सभी इस बात से भलीभांँति परिचित हैं। ये संस्था महिलाओं की मदद के लिए खोली गई थी। यहाँ किसी भी तरह की प्रताड़ना, राय या अकेला पड़ने पर उनकी मदद के हर सम्भव प्रयास किए जाते हैं। जब मैंने ये संस्था शुरू की थी तब … Read more

मैं यह अन्याय नहीं कर सकता –  विभा गुप्ता 

  एमबीए करते ही वरुण को दिल्ली के एक मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी मिल गई।रहने की व्यवस्था होते ही उसने अपनी माँ वसुधा जी को भी अपने पास बुला लिया।दरअसल वरुण के पिता एक सरकारी मुलाज़िम थें।वरुण जब पाँच वर्ष का रहा था,तभी उसके पिता की मृत्यु हो गई थी।उसकी माँ के लिए अकेले बेटे का … Read more

लेखनी की कहानी उसी की जुबानी – सुषमा सागर मिश्रा

   सेवानिवृत्ति के बाद समय के बंधन से तो सरला मुक्त हो चुकी थी मगर अब समस्या यह थी कि वह  अपने खाली समय का सदुपयोग कैसे करे ,जीवन भर ईमानदारी और परिश्रम से अनुशासित जीवन जीने वाले सरला को अब खाली बैठना बोझिल  लगने लगा था वह जब भी वह खाली बैठी तो वह अपने … Read more

सारी अपेक्षाएं मुझसे ही क्यों..? – प्रियंका मुदगिल

“अरे अंजू !! यह तुम क्या कर रही हो…?माना कि घर में  मेहमान आने वाले हैं  पर इसका मतलब यह तो नहीं कि तुम थोड़ा बहुत खाना बनाओगी और बाकी सब बाहर से मंगाओगी…मेरे बेटे पर थोड़ा तो रहम करो…कितनी मेहनत से वह चार पैसे कमाकर घर में लाता है..”रत्ना जी ने अपनी बड़ी बहू … Read more

नज़रिया – पुष्पा ठाकुर

वो एक दस वर्ष का बच्चा है ,जिसकी मां उससे घर के छोटे बड़े काम ले रही है।ऐसा नहीं कि वो खुद बीमार हो।    वो पूरी तरह स्वस्थ है ,संपन्न है फिर भी अक्सर उसका बच्चा कभी आंगन में झाड़ू लगाता दिखाई दे जाता ,कभी पौधों को पानी देता,कभी बाजार से सामान लाता,कभी कभी छोटी … Read more

 ‘ अन्याय ‘ –  विभा गुप्ता

  नवीनचन्द्र जी ने अपने दोस्तों को चाय पर बुलाया था।पत्नी के गुज़र जाने के बाद उनकी रिटायर्ड लाइफ़ ऐसे ही गुज़र रही थी।कभी वे मित्रों के घर चले जाते तो कभी उन्हें ही अपने घर पर बुला लेते।बेटे-बहू उनका बहुत ख्याल भी रखते थें।इसीलिए जब उन्होंने मित्रों के आने की खबर अपनी बहू अलका को … Read more

मेरा परिवार-मेरी दुनिया – निधि जैन

रहें ना रहें हम, महका करेंगे…..रेडियो पर एक प्रोग्राम में गाना चल रहा था, शाम के यही कुछ 4 बज रहे थे,  आरती भी गुनगुनाती हुई चाय बना रही थी, बारिश अपने ज़ोर पर थी, आज़ चाय के साथ कुछ अच्छा सा बनाओ आरती, रमेश ने रसोई में आते हुए कहा। हां अब बारिश हो … Read more

अन्याय कब तक रहेगा – नेकराम

आज से 45 वर्ष पहले की यह कहानी शुरू होती है सन 1992  दिल्ली कि एक छोटी सी पुनर्वास कॉलोनी गोकुलपुरी से – मोहल्ले में एक छोटे से कारखाने में काम करते हुए एक नाबालिक बच्चा जो अपने नन्हे नन्हे हाथों से भारी भारी मशीनों पर काम करने को मगन था उसे एक धुन सवार … Read more

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