सुखद परिवर्तन – नीरजा नामदेव

  • ●◆●●●◆●●

  वीरा एक साधारण घर की लड़की थी लेकिन बहुत ही सुंदर थी । इसलिए एक बहुत ही बड़े घर से उसके लिए रिश्ता आया।जब उसकी शादी हुई और उसने अपने ससुराल पहुंच कर देखा कि वह तो एक बहुत बड़ी और पुरानी हवेली है। उनका घर तो साधारण दो कमरों का  था ।वह इतनी बड़ी हवेली देखकर आश्चर्यचकित रह गई। धीरे-धीरे उसने पूरी हवेली घूम कर देख ली । शादी के लगभग 2 महीने बाद उसके पति विपिन ने बताया कि वह व्यापार करने शहर जा रहा है ।साल में एक बार आएगा ।वीरा उसकी बात सुनकर उदास हो गई और कहने लगी “मैं यहां कैसे रहूंगी “।तब विपिन ने बताया ” हमारे घर की यही परंपरा है यहां तो ज्यादा कुछ साधन नहीं है इसलिए हम सब व्यापार करने के लिए शहर चले जाते हैं और हमारी पत्नियां पुरानी हवेली में रहती हैं । मेरी मां भी तो ऐसे ही रहती है ।तुम उनके साथ ही रहोगी।” वीरा क्या कहती।विपिन के जाने का दिन आ गया और विपिन  उसे छोड़कर शहर चला गया।

      अब वीरा के दिन काटे नहीं कटते थे।वह अपनी सास कल्याणी के साथ  घर के काम में लगी रहती थी फिर भी उसे विपिन की कमी महसूस होती थी ।घर में नौकर नौकरानी थे। इसलिए ज्यादा काम भी नहीं होता था।कल्याणी चाहती थी कि वीरा हमेशा सज धज कर रहे लेकिन विपिन के बिना वीरा को श्रृंगार करने का भी मन नहीं करता था। पर अपनी सास का मन रखने के लिए वह श्रृंगार कर लेती थी।


      ऐसे ही विपिन साल में जब एक बार आ जाता था तब वीरा के तो पानी जमीन पर नहीं पड़ते थे ।लेकिन जैसे ही विपिन जाता वह फिर ऐसे ही उदास हो जाती।दो साल बीत गए। वीरा थोड़ी पढ़ी-लिखी भी थी। अब इस बार उसने निश्चय कर लिया की विपिन आएगा तो वह जरूर कहेगी कि मुझे भी अपने साथ शहर ले चलो और उसने विपिन से ऐसा कहा भी ।विपिन भी उसे ले जाने को तैयार हो गया लेकिन उसकी मां कल्याणी इस बात के लिए बिल्कुल भी राजी नहीं हुई और उसने कहा ”  हमारी हवेली की यही परंपरा है कि हम यही रहती हैं, हमारे पति ही शहर जाते हैं।”

     वीरा कल्याणी से बहुत ही कम बात करती थी। लेकिन इस बार उसने कल्याणी से कहा “मांजी पिताजी शहर चले जाते थे तो आपको भी तो यहां अच्छा नहीं लगता रहा होगा। आप उस समय के अपने दिनों को याद कीजिए। क्या आप की इच्छा नहीं होती थी कि आप भी उनके साथ जाती है और हमेशा उनके साथ रहती। मैं ऐसा चाह रही हूं तो मैं क्या गलत चाह रही हूं। समय के साथ परिवर्तन होना आवश्यक है।” कल्याणी ने वीरा की बात सुनकर सोचा कि बहु तो सच कह रही है ।कब तक हम  पुरानी हवेली की इस परंपरा को निभाते रहेंगे। समय के साथ इसमें बदलाव होना जरूरी है। उन्होंने वीरा को आशीर्वाद दिया और  विपिन के साथ उसकी भी जाने की तैयारी की। वीरा ने कहा “आप भी हमारे साथ ही चलिए ।” कल्याणी ने कहा “अभी तो मैं तुरंत नहीं जाऊंगी  ।लेकिन कुछ समय बाद मैं भी जरूर तुम लोगों के साथ ही आकर रहूंगी ।इस हवेली की भी तो सारी व्यवस्था करनी पड़ेगी ।” कल्याणी ने फिर खुशी-खुशी वीरा और विपिन को विदा किया। पुरानी हवेली में वीरा के कारण एक सुखद परिवर्तन आया।

स्वरचित

नीरजा नामदेव

छत्तीसगढ़

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!