पढ़ लिख कर कनिका ने नोकरी शुरू की ओर साथ ही शुरू हुई सपनो की उड़ान। छोटे शहर से आई और कारपोरेट में जॉब, जेब में ढेर सारे पैसे, अकेले रहना, पूरी मर्जी की मालिक, कोई रोकटोक नही,
बस एकदम आजाद पंछी, पर हर काम एक सीमित दायरे में। उसकी खूबसूरत मुस्कान ओर सूंदर कद काठी किसी को भी दीवाना बना देती। ऐसे में एक खूबसूरत नोजवान अर्जुन, आफिस के लिफ्ट में मिल गया
और उसको देख कर बस देखता ही रह गया। अर्जुन भी उसी बिल्डिंग के ऊपर वाले फ्लोर पर काम करता था। कुछ दिन बाद, शाम को ऑफिस से निकलते हुए लिफ्ट में फिरसे मुलाकात हो गई।
लिफ्ट में अकेले देखकर अर्जुन ने हिम्मत करके बोला, हेलो, आई एम अर्जुन, 6th फ्लोर, फाइनेंस। कनिका कुछ नही बोली, बस स्माइल पास करदी।
धीरे धीरे मुलाकाते होती रही, पहले दोस्ती फिर प्यार ओर बाद में शादी हो गई। जिंदगी हँसी खुशी बीत रही थी, जल्दी ही गोद में बच्चा भी आ गया। फिर अचानक समय ने करवट ली
और एक हादसे में अर्जुन की मौत हो गई। कनिका पर मानो पहाड़ टूट गया। बच्चा सिर्फ तीन साल का था। सास ससुर ओर कनिका एक दूसरे का सहारा बने और जल्दी ही सबने अपने आप को सम्भाल लिया।
कुछ समय बाद कनिका ने फिर ऑफिस जाना शुरू कर दिया ओर बच्चा दादा दादी के पास रहता। ऑफिस के कुछ लोग हमदर्दी जताने के बहाने कनिका से नजदीकियां बडाने लगे।
कनिका सब समझ रही थी, पर खमोश थी। उसकी जिन्दगी अब घर और आफिस में सिमट कर रह गई। उसके ससुर चाहते थे कि कनिका फिर शादी करले, अभी उसकी उम्र ही क्या थी
परंतु उसने मना कर दिया कि अर्जुन की निशानी मेरे पास है, यही काफ़ी है। कुछ समय बाद जब कनिका का बेटा स्कूल जाने लगा तो उसे बोर्डिंग स्कूल में दाल दिया
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ओर अपनी जिंदगी का बड़ा फैसला लिया। कनिका ने अपने आप को लोगों की गंदी नज़रो से बचाने के लिए एक नई नोकरी नए शहर मे शुरू कर दी।
जगह बदलने से लोगों की सोच नहीं बदलती वो अच्छे से जानती थी। ऑफिस के पहले दिन से ही अपनी मांग भरकर आफिस गई और बॉस से मिली।
बॉस आफिस में बेठाकर सिर्फ इधर उधर की बाते करता रहा और चाय पीता रहा। बातो बातों में बॉस ने पूछा कि तुम्हारा पति क्या करता हैं?
कनिका बोली की मेरे पति इसी इलाके के थाने में डी.एस.पी. है ओर मेरे ससुर जज है। ये सब सुनकर बॉस थोड़ा सतर्क हो गया।
फिर बॉस ने उसे सारे स्टाफ से मिलवाया ओर स्टाफ को विशेष हिदायत दी कि इनको पूरा स्पोर्ट करे।
ऑफिस के सभी मनचले सतर्क हो गए और उस दिन के बाद कनिका की लाइफ एकदम स्मूथ हो गई और वो स्वाभिमान के साथ सर उठा कर चलने लगी।
उसके एक झूठ ने उसकी जिंदगी को तो बहुत हल्का कर दिया पर सिन्दूर का बोझ उसके दिलो दिमाग पर बहुत भारी पड़ रहा था।
खुद को महफूज रखने के लिए कनिका द्वारा उठाए कदम कितने सही थे या गलत, आप अपनी राय कॉमेंट में लिख दे।
लेखक
एम पी सिंह
(Mohindra Singh)
स्वरचित, अप्रकाशित
29 Jan.25