शुभ विवाह- एक परीक्षा – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

 “ बेटा आरव – देखो तो ये शादी के कार्ड, कितने सुंदर है”, हेमा ने एक फाईल को आरव के आगे रखते हुए कहा।“ 

      हर मां की तरह हेमा को भी इकलौते बेटे की शादी का चाव था। बेटी हिना की शादी तीन साल पहले हो चुकी थी तो जैसे घर सूना ही हो गया था। आरव अभी शादी के मूड में नहीं था, लेकिन घर वालों के बहुत जोर देने पर वो मान गया।वैसे भी अब वो तीस का हो चला था। घर वालों ने उसे कई बार पूछा कि क्या उसे कोई लड़की पंसद है तो बता दे, लेकिन उसने मना कर दिया। 

       उसका रिशता मैरिज ऐजैसीं से सैटल हुआ था। आजकल तो अपने जानकारों में भी असलियत का पता नहीं चलता तो ऐजेंसी का तो व्यापार होता है। सब कुछ ठीक लगा तो रिश्ता पक्का हो गया। आरव की तरह सलोनी भी खूब पढ़ी लिखी और नौकरी करने वाली माडर्न लड़की थी।आरव देहली में था तो सलोनी आगरा में थी।

    दो बार मिलकर कुछ बातें दोनों ने क्लीयर कर ली थी।लगभग  एक महीने बाद की शादी की डेट नियत हुई। जब हेमा ने आरव से कार्ड की बात की तो आरव ने एक उचटती सी नजर दो चार कार्डो पर मारी तो वो मुस्करा पड़ा। हर कार्ड पर “ शुभ विवाह” जरूर लिखा होता आगे जो भी डिटेल होती। 

       “ आजकल जमाना बदल गया है, पता नहीं कितने विवाह शुभ होते है” यह कह कर उसने फाईल एक तरफ कर दी। 

  “ शुभ शुभ बोलो बेटा, ऐसी अशुभ बातें मुँह से नहीं निकालते”। 

    मेरे कहने या न कहने से कुछ नहीं होगा मोम, ये तो समय ही बताएगा। आपके कहने पर मैं शादी के लिए राजी हो गया हूं, परतुं शादी कैसे होगी, ये मैं तय करूगां। ये कार्ड वार्ड छपवाने की जरूरत नहीं। बहुत सुदंर म्यूजिकल डिजिटल कार्ड बन जाएगा और आन लाईन ही चला भी जाएगा। फोन कर देना, आरव ने कहा। 

      फिर आगे बोला,” खर्च कम से कम। लाखों रूपए खर्च करने की कोई जरूरत नहीं और न ही ज्यादा मेहमानों की। कितना पैसा तो दिखावे में ही खर्च हो जाता है। मैनें और सलोनी ने मिलकर ही ये फैसला लिया है।कोर्ट मैरिज होगी और दोनों तरफ के खास मेहमानों के साथ होटल में एक पार्टी जिसे आप ‘ रिसेप्शन’ कह सकते हो”।

    आरव कहता गया, उस पार्टी का खरच आधा आधा होगा। रही बात कपड़ो, गहनों वगैरह की। अपना अपना खर्च तो होगा ही। दहेज वगैरह की तो बात ही नहीं करनी, हमारे घर में सब कुछ है। फिर भी लड़की वाले अपनी लड़की को जो गहना कपड़ा या कुछ भी अपनी खुशी से देना चाहे तो साथ में पूरी लिस्ट होगी और इसी प्रकार जो सामान हम बनवाऐगें उसकी भी पूरी लिस्ट बनेगी और उस पर दोनों तरफ के इलावा वकील के साईन भी हो जाएं तो और भी अच्छा।

         मां, बुरा मत मानना , पर अब लोगों के जीने का तरीका बदल गया है, नजरिया बदल गया है। कोई दिन में काम करता है तो कोई नाईट शिफ्ट। खान पान रहन सहन , सब एकदम अलग। अभिमान बढ़ गया है और सहनशक्ति कम हो गई है। पता नहीं शादी के बाद कितनी बनती है या यूं कहे कि कि कितनी एडजस्टमैंट हो पाती है। कई बार लड़का लड़की की आपस में बन जाती है तो परिवार से नहीं बनती। 

        मोम, आपको याद है मेरा दोस्त सौरभ , तीन साल पहले उसकी शादी बड़ी धूमधाम से हुई थी, दोनों पक्षों ने दिल खोलकर खर्च किया। लड़के वालों की बारात और लड़की वालों की शानदार आवभगत , क्या नजारा था, मंत्र मुग्ध कर देने वाली फूलों की लड़िया और इत्र की महक, आतिशबाजी, दुल्हे दुल्हन की मंहगी पोशाक और जयमाला की रस्म तो ऐसी कि जैसी कभी देखी भी न हो। नाना प्रकार के व्यजनों की बहार, इतनी तरह का खाना कि पेट भर गया पर नियत नहीं भरी। सब कुछ चखने के चक्कर में खाने की बर्बादी का तो कोई हिसाब ही नहीं।

          प्री वैडिंग शूट, रोका, रिंग सैरेमनी, हल्दी, मैंहदीं, शगुन, बैचलर पार्टी , और फिर हनीमून, खर्च का हिसाब लगाना मुशकिल है। एक साल भी नहीं बीता की कोर्ट के चक्कर शुरू हो गए ।

दोनों पक्ष अपने आप को सही ठहरा रहें हैं। जहां लड़की वाले पचास लाख मांग रहे हैं, वहां लड़के वाले अपने खर्चे बता रहे हैं, इस सब में वकीलों की कमाई हो रही है। सौरभ को देखकर ऐसा लगा जैसे बरसों से बीमार चल रहा हो। मां, किसी को नहीं पता सही कौन और गल्त कौन या कौन कितना सही। जिंदगी तो दोनों की खराब हो रही है।

      मेरी सलोनी से भी बात हो गई है, और वो भी वही चाहती है जो मैं चाहता हूं, आरव ने कहा।  बात तो सही है, आजकल सब बदल गया है, हेमा ने कहा, लेकिन मैं अपने रीति रिवाज पूरी तरह करूंगी। “ मां, हम अपने अपने घर में अपने खर्च पर जो मर्जी करें,दूसरे का खर्च नहीं करवाना”।

      और कानून को बीच में रखना जरूरी है। अब यही जमाना आ गया है। “ शुभ- विवाह” का पता अब बाद में चलेगा। बन गई तो ठीक नहीं तो आपसी सहमति से अपने अपने रास्ते। 

     “ चलो ठीक है, जब मैं दादी बनूंगी, तब बड़ा आयोजन करेगें”। हेमा ने मुस्कराते हुए कहा।

    प्रिय पाठकों, उम्मीद है आपको ये कहानी अच्छी लगी होगी। यही आज के समय की मांग है। 

विमला गुगलानी

चंडीगढ़

“ शुभ विवाह”

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