श्रृंगार पर हक सिर्फ़ सुहागन का? – सोनिया निशांत कुशवाहा

अरे जगत की माँ, सोमू कहाँ है? बारात निकलने का समय हो रहा है।”

सीमा जी तेज़ कदमों से सोमू के कमरे में पहुँची, तो उनके कदम सोमू को देख ठिठक गए। हल्के आसमानी रंग की प्लेन सिल्क की साड़ी और गले में सोने की चेन पहने सोमू खुद को आईने में निहार रही थी।

सोमू को देख सीमा जी का गला रूँध गया। जहाँ एक ओर उसकी उम्र की लड़कियों में फैशनेबल दिखने की होड़ लगी है, सब की सब लाल गुलाबी लहंगा पहने, गहनों से लदी खड़ी हैं, वहीं ये अभागन ऐसे सूना माथा, नंगे कान और हाथ लिए यहाँ बैठी है।

“सोमू ये क्या पहना है बेटा? कुछ अच्छा पहन लेती! तेरे देवर की शादी है, पूरी बिरादरी जमा है और तू ऐसे चलेगी बारात में?”

“आप तो सब जानती हैं माँ!” … इतना कहते ही सोमू की आँखे बरसने लगी। 

“सब जानती हूँ बेटा! तभी तो कहा कुछ अच्छा पहन लेती। जा जाकर वो अपना जरी वाला लहंगा निकाल!”

“कैसी बात कर रही हैं माँ! अब वो सब पहनने को दिल नहीं करता। जब सुहाग ही नहीं तो श्रृंगार कैसा?”

“बेटा जो तूने खोया वो ही मैंने भी खोया। तेरा दुख समझती हूँ, लेकिन क्या हम साँस नहीं ले रहे? खाना नहीं खाते? जीना छोड़ तो नहीं दिया ना! तो फिर विरह के इस अहसास को हर पल खुद से क्यों लपेटे रखना चाहती हो तुम। जीवन जीने का, आगे बढ़ने का नाम है। तुम्हें इस रूप में देखती हूँ तो हर पल जी कचोटता है मेरा। जरा सोचो, मेरे विशाल का कितना जी भारी होता होगा तुझे ऐसे रंगहीन देखकर। विशाल ने तो तुझे हमेशा सजने संवरने को प्रेरित किया, हमेशा कहता था चटक रंग पहना करो और तू इस तरह उसकी आत्मा को तकलीफ ही तो पहुँचा रही है। और किसने कहा कि श्रृंगार पर बस सुहागन का अधिकार होता है? आज से ये श्रृंगार तू अपने बेटे के लिए करना। मुझ दुखियारी माँ के लिए करना और सबसे जरूरी अपने खुद के लिए करना। और एक बात, अगर तुझे लगता है कि ऐसे बेरंग कपड़ों से तेरा दुख कम होता है, तो तू ऐसे ही कपड़े पहन मुझे कोई आपत्ति नहीं। समाज की परवाह मत करना बच्चे, मैं हूँ ना! सब संभाल लूँगी। तू अपने दिल की सुनना। 

अपने आँसू पोंछ सीमा जी बारात की तैयारी में लग गई। थोड़ी देर बाद देखा तो सामने से सोमू गुलाबी जरीदार लहंगे में चली आ रही थी।

“मेरी बात का मान रख कर तूने साबित कर दिया, तू इस घर की गृह लक्ष्मी है” खुशी से बहू सोमू को गले लगा कर सीमा जी ने कहा।

“बारात निकालने की तैयारी कीजिए जगत के बापू, मेरी लक्ष्मी तैयार हो गई” सीमा जी की गर्व मिश्रित आवाज गूँज उठी। 

सोनिया निशांत कुशवाहा

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