Moral Stories in Hindi : “सुन, जिस जोड़ी से हम सब जलन करते थे, उसका बुरा हाल है…”अपनी उखड़ी साँसो को दुरस्त करते माही बोली।
“क्या बोल रही तू, अरे वो जोड़ी तो एक दूसरे के लिये बनी है, क्या प्रेम था दोनों में.,..,
उन लोगों के मुहल्ले से जाने से रौनक़ ही खत्म हो गई…,”मैं बोली
“तनु वे कहीं नहीं गये, झूठ बोला, सिंगापुर गई , एक कमरे के घर में रहती है, मेहरा साहब को तो उनकी पत्नी ले गई…।आज ऑफिस के पास के मार्केट में मिसेज तन्वी मेहरा उर्फ़ तन्वी शर्मा मिली थी, तू पहचान ही नहीं पायेगी उन्हें अब……, बुझा चेहरा, बालों को कस कर लपेट कर बना जूड़ा.., पैरों में सस्ती सी चप्पल….,उनके व्यक्तित्व से ठीक उल्टा अब उनकी वेश -भूषा,..अपनी सारी राम कहानी सुनाई…,”माही बोली।
फिर माही ने रस ले लेकर तन्वी मेहरा की वो कहानी बताई, जिससे सब अनजान थे…,माही की बात पर मै यकींन नहीं कर पाई।
तन्वी मेहरा साहब की सेक्रेटरी थी,विवाहित और दो बच्चों के पिता मेहरा साहब उसकी सुंदरता पर, और तन्वी उनके पैसों पर फिदा हो गई।…पत्नी के होते मेहरा साहब विवाह तो नहीं कर सकते इसलिये चोरी -छिपे..लिव -इन -रिलेशन में रहने लगे..।पत्नी को जब पता लगा तो….., वो तन्वी के घर आ खूब खरी -खोटी सुना गई। तभी तन्वी तुरंत सामान पैक कर घर छोड़ दी,।
“पता है तनु, तन्वी दुखी हो बोल रही थी लालच में आ उसने अपना कैरियर ही नहीं चरित्र भी खो दिया… हाथ कुछ नहीं आया, ना मेहरा साहब और ना दौलत….शार्ट कट में दौलत कमाने के चक्कर में तन्वी फिर वही खड़ी थी जहाँ से चली थी…।
उन लोगो के लिये एक सबक थी, जो लिव -इन में रहते अपने को महफूज और बोल्ड समझते है..।”
“सही बात है “कह मैंने सहमति जताई।
हम लोग भी आश्चर्य करते थे, इतना पैसा होने के बावजूद वे लोग इस मध्य वर्गीय मुहल्ले में क्यों रहते है..। तब तन्वी गर्व से कहती मेहरा साहब को दिखावा पसंद नहीं, इसलिये यहाँ रहते है हम..।
वजह तो अब पता चला, यहाँ उनको पहचानने वाला कोई नहीं था।
जब हम इस मुहल्ले में आये तो, पूरे मुहल्ले में सिर्फ एक की बात होती थी,तन्वी मेहरा की.. और सबकी आइडियल भी तन्वी मेहरा थी। तन्वी बहुत सुन्दर थी,उनका सलीके से तैयार होना उन्हें लोगों से अलग बनाता था..।यूँ देखा जाये तो मेहरा साहब तन्वी की तुलना में ज्यादा खूबसूरत नहीं थे., उनके घर में ऐशो आराम के सारे सामान थे.., जिसे देख पड़ोसियों को जलन होती थी। सच कहूँ तो मुझे भी होती थी,।उनके घर बस कमी थी तो एक बच्चे की…।
कहाँ मेहरा साहब, सफल बिजनेसमैन और कहाँ मेरे पति बैंक के मामूली क्लर्क… कोई तुलना ही नहीं था …।
मेहरा साहब के ऑफिस से आने पर तन्वी हमेशा तैयार मिलती..,शाम की चाय पी दोनों पति -पत्नी पार्क में सैर करने जाते, लौटते समय तन्वी के खूबसूरत बालों में एक गुलाब जरूर टंका मिलता..।हाँ ये रूटीन तभी टूटता जब मेहरा साहब टूर पर जाते थे।
दोनों एक दूसरे से बेपनाह प्यार करते थे, तन्वी के सुंदरता की जहाँ मुहल्ले के सभी पुरुष कायल थे, वही मेहरा साहब की पत्नी के प्रति परवाह, और उनके घर के ऐशो -आराम की चीजें मुहल्ले की स्त्रियों के लिये जलन का कारण थी। सब अपने पति में मेहरा साहब का अक्स ढूढ़ते तो, सारे पुरुष तन्वी की.., पर पांचो उँगलियाँ बराबर कहाँ होती, तो इंसान एक जैसा कैसे हो सकता।
छः महीने पहले जब मेहरा साहब टूर पर गये थे, तब उनके घर एक बड़ी सी नीली कार आई, उसमें से उतरी महिला सीधे घर में चली गई,घर से आती झगड़े की वजह जब तक लोगों तक पहुँचती, वो महिला नीली कार में बैठ चली गई, और थोड़ी देर बाद टैक्सी में तन्वी भी, सामने से आती विभा ने पूछा “कहीं बाहर जा रही हो तन्वी ”
“हाँ मेहरा साहब टूर पर सिंगापुर गये है, अब वे वही पर बिजनेस करेंगे, मै भी जा रही हूँ,”कह कर टैक्सी में बैठ चली गई…।
कुछ दिन बाद उनके घर के सामने ट्रक दिखाई दिया, जिसमें सुख -सुविधा के सारे संसाधन जा रहे थे, पता चला सब किराये का है, तभी सब हक्के -बक्के थे, यही वो संसाधन थे जिन्हे देख पडोसी जलन करते थे, सच्चाई जान सबके दिलो को ठंडक पहुंची।मुहल्ले के पुरुषों ने राहत की सांस ली, अब उनको ताने -उलाहने नहीं सुनने पड़ेंगे।
सबको सबक भी मिल गया, जो सामने दिखता है, जरुरी नहीं वो सच हो, जितना है उसीमें संतोष करना चाहिए…., जलन करने से अच्छा परिश्रम करें, तभी सफलता मिलेगी…, शार्ट कट के रास्ते में बहुत कठिनाईयां है और बिना मेहनत के कुछ नहीं मिलता।
—संगीता त्रिपाठी
#जलन