शैतान – गरिमा जैन

मां पता है आज रामू का कुत्ता भी मारा गया !!

कम्मो :अरे यह आजकल क्या हो गया है ?गली के सारे कुत्ते बिल्ली जैसे इन्हें किसी की नजर लग गई .बिचारा कोई ना कोई रोज मारा जाता है ।कल विमला की बिल्ली भी तो चौराहे पर मरी मिली थी। अरे बिटवा देख तेरे बापू अभी तक क्यों नहीं आए बहुत देर लगा देते हैं ।मुझे तो डर लगता है ना जाने कैसे राक्षस रात में घूमते हैं ,जब जानवरों को नहीं छोड़ते तो इंसानों को…. जाके देख जरा, टेंपो आई कि नहीं।

बच्चा भाग के बाहर जाता है।

मा मा बाबू के टेंपो आ गई है ।वह बाहर रामू काका से बात कर रहे हैं ।

कम्मो :पता नहीं आजकल रामू से बहुत बातें करते रहते हैं, यह नहीं कि घर आए ,खाना खाए ,सोए ।रामू के साथ तो पता नहीं कितनी दोस्ती निभानी है ।

बच्चा :बापू ,बापू हमारे लिए क्या लेकर आए हो ?

मनोज :आज यह ले बेटा तेरे लिए आज बंदूक लेकर आया हूं इसमें गाना भी बजता  है।

बच्चा :और  गुड़िया के लिए क्या लाए हो? जब सो कर उठेगी तो मेरी बंदूक छीन लेगी!

मनोज : गुड़िया के लिए एक प्यारी सी गुड़िया लाया हूं। देख आंखें खोलती हैं और बंद करती है ।




कम्मो : सुनते हो ,क्यों रोज फालतू के पैसे खर्च करते हो? पैसे बचाओगे तो कल को बच्चों की पढ़ाई पर काम आएंगे। आजकल बड़ी कमाई हो रही है तुम्हारी, रोज बच्चों के लिए कुछ ना कुछ लेकर आते हो ।कल आइसक्रीम लेकर आए थे आज खिलौने ,मेरे लिए तो कभी कुछ नहीं लाते !

मनोज: अरे तेरे लिए भी लाया हूं। मेरे बच्चों की अम्मा यह ले। तू इतने दिन से साड़ी मांग रही थी ना…

कम्मो : साड़ी मेरे लिए लेकर आया है।

मनोज : हां कल यही पहन के तैयार होना, कल हमारी शादी की सालगिरह है ना ..

कम्मो :अच्छा आपको याद है।

मनोज : वह यह भी कोई भूलने वाला दिन है , मेरी प्यारी सी कम्मो मेरी जिंदगी में जो आई थी।

कम्मो : आप ना ऐसे ही खुश रहा करो मुझे बहुत अच्छा लगता है ।




अगले दिन शादी की सालगिरह पर कम्मो नई साड़ी पहन कर तैयार हो गई ।उसका जी चाहा कि बालों में फूलों का गजरा लगाए यही पास पर चौराहे भी तो मिलता है ,क्यों ना जाकर झट से ले आए ।अभी तो मनोज को आने में समय था ।कम्मो जल्दी-जल्दी तैयार होकर चौराहे तक जाती है पर चौराहे पर आज गजरेवाली नहीं बैठे। अब तो मंदिर तक जाना पड़ेगा ।रात हो चुकी है।कम्मो थोड़ा घबरा रही है। उसे ना जाने क्यों ऐसा लगता है कि बाहर कोई राक्षस है जो बेचारे मासूम जानवरों को कुचल कर चला जाता है ।वह आगे चौराहे के मंदिर तक जाती है ।मंदिर पर वह गजरा खरीद रही थी तभी बहुत जोरों से एक कुत्ते की किकिआने की आवाज आती है ।वह देखती है एक टेंपो वाला कुत्ते को रौंदते हुए चला जा रहा है ।उसे बहुत तेज गुस्सा आता है। वह टेंपो वाले को जोर से गाली देती है या वही राक्षस है जो सारे जानवरों को मार रहा है। वह कहते हुए तेजी से टेंपो के पीछे जाती है। टेंपो वाला भी तेजी से टेंपो भगाए जा रहा है लेकिन आज तो कम्मो ने पक्का इरादा कर लिया था कि वह उस राक्षस को पकड़ कर ही दम लेगी ।पास की खड़ी टेंपो में वह बैठ जाती है और उससे पीछा करने को कहती है ।आगे वाला टेंपो एक सुनसान इलाके में जाकर रुक जाता है। उससे लगभग 100 कदम की दूरी पर कम्मो रुक आती है उसके पीछे जाने लगती है ।उसने हाथों में छुपा कर एक पत्थर पकड़ लिया था।आज वह उसे नहीं छोड़ेगी चाहे कुछ हो जाए। टेंपो का ड्राइवर उतर के आगे एक घर के अंदर चला जाता है ।कम्मो देखती है घर का दरवाजा खुला है।वह पीछे पीछे चुपचाप से  घर के अंदर जाती है शायद वह आदमी सीढ़ियों से ऊपर गया है ।कम्मो भी  सीढ़ियों से ऊपर चली जाती है। ऊपर एक बड़ी सी छत है जिसके बीचो-बीच आग जल रही है और उसके चारों तरफ कई आदमी बैठे हैं ।यह नजारा देखकर कम्मो थोड़ा डर जाती है ।वह सीढ़ियों की ओट में छिप कर खड़ी हो जाती है तभी वह देखती है कि वह आदमी वहां पर जाता है और उसी गोलाकार आकृति में बैठकर अजीब से मंत्रों का उच्चारण करने लगता है। यह मंत्र किसी ईश्वर के नहीं थे यह तो कम्मो समझ रही थी। तभी सीढ़ी पर किसी की आहट होती है ।कम्मो छुपी रहती है ।वह देखती है कि वह आदमी और कोई नहीं उसका पति मनोज है ।मनोज की शर्ट पर खून के कुछ छींटे हैं ।वह छत पर जाता है और उसी गोलाकार आकृति में बैठ जाता है ।फिर सारे आदमी हाथ ऊपर उठाते हैं और शैतान का आवाहन करने लगते हैं। वह जोर-जोर से उसे बुला रहे थे और उसे ना जाने किस चीज का धन्यवाद दे रहे थे ।कम्मो के पसीने छूट जाते हैं ।वह किसी तरह से उतर कर नीचे आती है ।उसका सारा जोश खत्म हो चुका था ।गजरा वह अपने बालों से निकाल कर फेंक देती है। घर जाकर वह बच्चों को सुला देती है और बेसब्री से मनोज का इंतजार करने लगती है ।आज वह सब कुछ जानकर रहेगी कि आखिर मनोज इतनी रात तक कहां रहता है और क्या जो बेजुबान जानवर मारे जा रहे हैं उसमे मनोज का कोई हाथ  है ?




मनोज प्रसन्नचित रात में लौटता है ।उसने नई शर्ट पहनी हुई है ।कम्मो सब समझ जाती है कि खून के छींटे पड़ी शर्ट उतार कर फेंक दी गई है ।मनोज हाथों में मिठाई का डिब्बा लिए घर में घुसता है और कहता है

तू तो बड़ी समझदार है बच्चों को पहले ही सुला दिया। तुझे पता था आज मैं मूड में हूं ।

कम्मो  दोनों हाथ से उसे धक्का देती है और कहती है

तू शैतान की पूजा करके जहर घर ला आ रहा है। मुझे सब पता चल गया है वहां नुक्कड़ पर घर के ऊपर छत पर तुम सब क्या करते हो ?तुम शैतान की पूजा कर रहे हो ?यह जो पैसे घर में आ रहे हैं क्या यह शैतान दे रहा है !!

मनोज  हक्का-बक्का रह जाता है। वह कुछ नहीं कह पाता। कम्मो का गुस्सा सातवें आसमान पर था ।वह कहती है कि वह किसी को भी नहीं छोड़ेगी ।उसने कई लोगों को पहचान लिया है ।अगले ही दिन पुलिस थाने में रपट लिखा कर आएगी ।तब मनोज एक दानवी हंसी हंसने लगता है ।वह कहता है कि वह जाकर तो दिखाए कोतवाली ,फिर देखना वह दोनों बच्चों का क्या हाल करेगा!! उसने आज तक सैकड़ों जानवरों को रौंद के मारा है और इन बच्चों को रौंदने में भी उसे ज्यादा वक्त नहीं लगेगा ।वह जिस गुप्त समाज से जुड़ गया है अब वह कभी भी उसे छोड़ नहीं सकता क्योंकि अगर वह  छोड़ेगा तो शैतान उसे नहीं छोड़ेगा !!!

कम्मो के माथे पर ठंडा पसीना चलने लगता है ।वह अपने प्यारे प्यारे बच्चों को सोता देखने लगती है ।वह असमंजस में पड़ जाती है कि वह किस का साथ दें शैतान का या भगवान का??

गरिमा जैन

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