“शादी के बाद आठ साल संघर्ष भरे” – नीरू जैन

“जिम्मेदारी ने समय से पहले ही रिया को बड़ा कर दिया था”…. रिया की शादी को अभी पन्द्रह दिन ही हुए थे कि उसके सास-ससुर अचानक से कार एक्सीडेंट हो गया। डॉक्टर ने बताया कि सास कमला जी की कूल्हे की हड्डी टूट गई है जिससे वह अब खड़ी नहीं हो सकेंगी और ससुर जी की याददाश्त चली गई है।

रिया,रमेश (रिया का पति) और उसकी ननद नेहा का रो-रो कर बुरा हाल था।

अब रिया पर समय से पहले ही सारे घर की जिम्मेदारी आ गई थी। उनसे कोई भी रिश्तेदार मिलने आते, वह सब रिया को ही दोष दे जाते थे।

नेहा जो कॉलेज के तृतीय वर्ष की परीक्षा दे रही थी वह भी मां-बाप के दुख से बहुत दुखी थी, फिर भी वह अपनी भाभी रिया का पूरा सपोर्ट करती थी। किसी के ऐसा कहने पर कि “रिया ने आते ही सास-ससुर को बिस्तर पर डाल दिया” नेहा तुरंत उन्हें जवाब देकर चुप कर दिया करती थी।

उसकी सास कमला जी बहुत समझदार और सुलझी हुई गृहिणी थी, परंतु इस समय वह भी अपने और पति के दुख में दुखी थी और दवाइयों के कारण अक्सर अपनी कही बात को ही भूल जाती थी।

रिया का पति रमेश एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करता था और उसके पिताजी मोहनलाल की पान की दुकान थी जिस पर अब ताला लग गया था क्योंकि रमेश नौकरी के साथ दुकान नहीं देख सकता था।

रिया मायके में सभी भाई बहनों में छोटी थी वह एक पढ़ी- लिखी और घर के सभी कामों में निपुण लड़की थी लेकिन उसने शादी से पहले कभी घर खर्च की जिम्मेदारी को नहीं उठाया था।

सास-ससुर की बीमारी के कारण उसे घर खर्च में बहुत दिक्कत आ रही थी। इन दिक्कतों के चलते उसने घर से ही ऑनलाइन काम शुरू किया और पिताजी की पान की दुकान किराए पर दे दी गई जिससे उसे और रमेश को राहत की सांस मिली।




अब डॉक्टरों के कहने पर रिया ने अपनी सास कमला जी का ऑपरेशन कराया। वह ऑपरेशन कामयाब रहा जिससे वह अब अपने लायक थोड़ा-थोड़ा काम करने लगी।

छुट्टी वाले दिन रमेश भी रिया के घर और बाजार के सभी कामों में मदद करता।  इस तरह दोनों ने मिलकर जिम्मेदारियों को समझा और मां-बाप की पूरी तन मन धन से सेवा की थी।

लगभग एक वर्ष बाद परिवार के लोग नेहा की शादी करने के लिए कहने लगे। अब रिया पर सास- ससुर की जिम्मेदारी के साथ-साथ नन्द की शादी की भी जिम्मेदारी आ गई थी जिसे उसने बखूबी निभाया। शादी में होने वाले लेनदेन का खर्च कमला जी ने पहले से ही जोड़ा हुआ था जिससे नेहा और रमेश को परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा उसकी शादी एक सम्पन्न परिवार मे कर दी गई थी। नेहा को बहुत अच्छा परिवार मिला और वह बहुत खुश थी। शादी के एक साल बाद उसने एक प्यारी सी बेटी को जन्म दिया। रिया ने नेहा की बेटी होने पर कोई कमी नहीं छोड़ी। उसने उसे मायके भी बुलाया और उसके जापा भी अच्छे तरीके से किया और जितनी उसमें शक्ति थी उसने उतना लेन-देन भी किया।

लगभग चार साल बाद रिया प्रग्नेंट हुई। यह सुन रमेश और कमला जी बहुत खुश हुए और नो महीने बाद उसने एक बेटे को जन्म दिया।

एक दिन मोहनलाल जी बाथरूम में फिसल गए। जिसे देख रिया बहुत घबरा गई क्योकि उनके सर पर गहरी गुम चोट आई थी। डॉक्टरों ने बताया सर पर गहरी चोट आने से उनकी याददाश्त वापस आ गई है।

घर में खुशी का माहौल हो गया था।आज पूरे आठ साल बाद रिया अपने मायके रहने गई।

इस तरह इतने सालों में डॉक्टर से मिलना, उनसे बात करना,और सास-ससुर का हर तरह से ध्यान रखना, नन्द की शादी करना जैसी जिम्म्मेदारियो ने उसे समय से पहले ही बड़ा कर दिया था।

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आपकी सखी

नीरू जैन

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