सौगात – अनिता गुप्ता

“ये कोई उम्र है शादी करने की , समाज क्या कहेगा ?” मालती जी ने सुरेशजी से कहा।

” समाज तो कुछ ना कुछ कहता ही रहता है। अभी भी तो कह रहा है। इसलिए ही तो शादी करने की बात कह रहा हूं। शादी के बाद कुछ दिन बोलेंगे, फिर चुप हो जायेगें। ” सुरेश जी ने मालती जी को समझाया।

” नहीं ! मुझे ये ठीक नहीं लगता।  समाज को छोड़ो तुम्हारे बेटा – बहु क्या कहेंगे ?” मालती जी ने कहा।

” 75 साल की उम्र में हमारे पापा शादी कर रहे हैं, ये ही तो कहेंगे और देखना वो मेरे निर्णय से खुश होंगे। क्योंकि  अमेरिका शिफ्ट होने से पहले वो दोनों चाहते थे कि मैं भी उनके साथ चलूं या फिर शादी कर लूं, जिससे मुझे अकेलापन ना लगे।” सुरेश जी ने कहा।

” एक बार बेटे से पूछ तो लेते, तुम ।” मालती जी ने कहा।

” हां ! हां ! क्यों नहीं। पूछ भी लेता हूं और वीडियो कॉल पर तुम्हारी बात भी करवा देता हूं।” कहते हुए सुरेश जी ने अपने बेटे को कॉल कर दिया।

” हेलो बेटा ! कैसे हो ?” कुछ औपचारिक बातें होने के बाद सुरेश जी ने कहा,


” बेटा ! एक खास बात बताने के लिए तुम्हें फोन किया। इनसे मिलो ये मालती जी हैं। इस दुनिया में बिल्कुल अकेली हैं और ब्रेन ट्यूमर से जूझ रहीं हैं। इनसे मेरा परिचय पार्क में हुआ था। जब ये चक्कर खाकर वहां गिर गईं थीं। इनके साथ इनकी नर्स भी थी। जिसकी मदद से मैंने इनको इनके घर तक छोड़ा नर्स ने ही मुझे इनकी बीमारी के बारे में बताया। साथ ही ये भी बताया कि ये आर्थिक रूप से भी काफी कमज़ोर हैं और उसकी सैलेरी भी बड़ी मुश्किल से दे पातीं हैं। क्योंकि इनका सोर्स ऑफ इनकम सेविंग से आने वाली ब्याज और विधवा पेंशन है। संतान कोई है नहीं और रिश्तेदारों ने मुंह मोड़ लिया है।

इसलिए मैं दो – चार दिन में कुछ फल ले जाकर इनकी तबियत पूछने जाने लगा। लेकिन मालती जी को ये पसंद नहीं आया कि मैं इनकी मदद करूं और दूसरा इनका कहना है कि अगर मैं इनके घर जाता रहूंगा तो समाज बातें बनाएगा।

इसलिए मैंने एक निर्णय लिया है कि मैं इनसे शादी कर लेता हूं। जिससे समाज बातें नहीं बनाएगा और मुझे भी इनके घर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

लेकिन अब मालती जी का कहना है कि ये कोई उम्र है शादी करने की , समाज क्या कहेगा ?

अब बेटा तुम ही बताओ , जो महिला शादी के दो साल बाद ही विधवा हो गई, प्राइवेट स्कूल की अध्यापिका से अपना गुजर बसर किया और अब इनकम का कोई जरिया नहीं है, तब क्या समाज मदद करने के लिए आ गया क्या ?


फिर समाज के कहने की परवाह क्यों की जाए ? ” सुरेश जी ने कहा।

” पापा ! आप सही कह रहे हैं। आप हमेशा से ही मेरे सामने एक ना एक नया आदर्श प्रस्तुत करते आए हैं। आप जल्दी से मालती मां से शादी कीजिए और फिर अमेरिका आ जाइए। हम मां का इलाज यहीं पर करवायेगें।” बेटे ने खुश होते हुए कहा।

“और हां मेरी मां से बात तो करवाइए, पापा।”

जीवन के इस मोड़ पर मिली अनमोल सौगात को पाकर मालती जी गदगद हो गईं और उनकी आंखों से अश्रुधारा बह निकली।

दिल के झरोखे से अनिता गुप्ता

 

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