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ससुराल में सम्मान से जीने की चाहत गलत है.? – निधि शर्मा

“पापा आपको नहीं मालूम होगा की मैं अपना ससुराल छोड़कर यहां क्यों रहने लगी। जब मुझे लगा कि मैं खुद के साथ नहीं बल्कि पूरी औरत जाती के साथ अन्याय कर रही हूं तो मुझे ये फैसला लेना ही पड़ा।” फिर अनामिका ने अपना पिता को सारी बात बतलाई, फोन रखने के बाद अनामिका उस दिन को याद करने लगी जब इसकी शुरुआत हुई थी।

“अनामिका मान भी जाओ बस मेरे लिए इसके बाद अगर कुछ भी तुम्हारे साथ गलत हुआ तो मैं तुम्हारे साथ रहूंगा मैं ये वादा करता हूं। बस में घर के माहौल को खराब नहीं करना चाहता, मैं ये नहीं चाहता कि दुनिया वाले ये कहे कि एक बेटा था और वो भी अपने मां बाप को छोड़कर चला गया! लोग ये नहीं समझते हैं कि कई बार गलती मा-बाप की भी हो सकती है, मेरी जगह रह कर देखो तब तुम्हें पता चलेगा।” राजीव अपनी पत्नी अनामिका से कहता है।

अनामिका बोली “तुम्हें क्या लगता है मुझे रोज रोज की चिकचिक अच्छी लगती है..? मैं तंग आ गई हूं, जब मैंने तुमसे शादी की थी खुशी-खुशी मैंने इस पूरे घर की जिम्मेदारी ली थी। मैं भी सबके साथ मिलकर रहना चाहती हूं पर अब बहुत हो गया, मैंने फैसला कर लिया अब मैं झूठे रिश्तों के लिए नहीं जिऊंगी। आखिर कब तक अपनी चाहत को मारती रहूं और कब तक अपमान सहती रहूं? इस तरह तो मैं एक दिन खुद को ही खो बैठूंगी।”

राजीव बोला “बस एक आखिरी बार तुमसे कह रहा हूं।” उसका मुरझाया हुआ चेहरा देखकर अनामिका ने फिर अपनी चाहत को दबाकर एक आखिरी बार उसकी बात मान ली। कुछ रोज बाद एक रोज इसकी सास फिर अपनी बेटी से अनामिका की शिकायत कर रही थी राजीव कभी भी उसकी बातों पर भरोसा नहीं करता था क्योंकि वो अपनी मां से बहुत प्यार करता था, उसे लगता था उसकी मां कभी गलत हो ही नहीं सकती है।

राजीव उस वक्त घर में नहीं था अनामिका ने अपना फोन रिकॉर्डर पर रख धीरे से अपनी सास के पीछे रख दिया और वो वहां से चली गई। कुछ देर बाद जब उन दोनों की बातें खत्म हो गई तो अनामिका आई और अपना फोन लेकर वापस अपने कमरे में गई। जब उसने अपनी सास और ननद की बातें सुनी थी उसके पैर के नीचे से जमीन खिसक गई!

आज तक जब भी राजीव घर में रहता था उसकी सास अनामिका से ढंग से पेश आती थी। उसके जाते ही न जाने वो अपना रूप कैसे बदल लेती थीं! इसीलिए राजीव कभी भी अनामिका की बातों पर यकीन नहीं करता था आखिर मां का लाडला बेटा जो था। अनामिका ने वो बात उस रोज राजीव को नहीं बतलाई, वो सही समय का इंतजार कर रही थी।

कुछ रोज बाद अनामिका जिस स्कूल में नौकरी करती थी वहां सभी शिक्षकों को एक मीटिंग के लिए बुलाया गया था। ये बात उसकी सास जानती थी, उसने उसकी दिन अपने कुछ मेहमानों को बुला लिया। अनामिका के लिए बहुत ही विकट परिस्थिति हो गई कि आखिर वो स्कूल और घर दोनों को कैसे संभाले।




अनामिका की सहेली ने कहा “हर घर की यही कहानी है न जाने क्यों सास अपनी बेटियों कि तरक्की के लिए सीढ़ी बन जाती है और बहू की तरक्की के लिए उसी सीढ़ी को काटने की मशीन बन जाती है! जबकि पूरी जिंदगी उन्हें बेटी के साथ नहीं बहू के साथ बितानी है।”

उसने अनामिका को उपाय बताया कि “तुम सुबह ही दोपहर का सारा काम करके रख लो ताकि तुम्हें समय मिल जाए।” अनामिका को सुझाव पसंद आया उसने सबको सुबह जल्दी नाश्ता करवाया और 10:00 बजे के बाद दोपहर के खाने की तैयारी में जुट गई। थोड़ी देर बाद उसकी सास आकर बोली “मेरे मायके के मेहमान वाले गरम गरम खाना पसंद करते हैं। तुम्हारी नौकरी से मेरा घर नहीं चलता है, अगर तुम नहीं कर सकती हो तो साफ-साफ बताओ सबके सामने अच्छी बहू होने का ढोंग मत रचाओ।”

अनामिका बोली “मम्मी जी आज स्कूल में मेरी मीटिंग है आप ये बात पहले से जानती थी फिर आपने मेहमानों को क्यों बुलाया.! मैं खाना बनाकर रख देती हूं बस आप कामवाली को कह कर माइक्रोवेव में खाने को गर्म करवा लेना तब तो कोई दिक्कत नहीं है।”

 उसकी सास ने उसकी एक नहीं मानी और उसके सामने गैस बंद करके कहा “ये मेरा घर है यहां मेरा नियम चलेगा तुम अपनी नौकरी का धोष किसी और को दिखाना। मैं अपनी बेटे की वजह से तुम्हें कुछ नहीं कहती, इसका मतलब ये नहीं कि तुम्हारी मनमानी चलने दूंगी।”

उस रोज तो मानो अनामिका के बर्दाश्त का बांध टूट गया। उसने सब कुछ वैसे ही रसोई में बिखरा हुआ छोड़ दिया और तैयार होकर स्कूल चली गई। जब उस स्कूल में थी तो राजीव का फोन आया उसकी तेज आवाज सुनकर वो बोली “हर बार मुझसे सवाल करने से अच्छा होगा तुम अपनी मां से सवाल करो। क्या एक लड़की की कोई चाहत नहीं होती, मुझे लगता है पिछली बार तुम्हारी बात मानकर और वहां रुक कर मैंने बहुत बड़ी गलती कर दी थी.!” इतना कहकर  उसने फोन रख दिया।

शाम में जब अनामिका घर आ रही थी तो रास्ते में उसकी काम वाली विमला मिली उसने विमला से कहा “कुछ खाना मैंने बना दिया था तुम्हें ज्यादा कुछ परेशानी तो नहीं हुई?” विमला बोली “दीदी वहां तो कोई भी नहीं आया। मांजी ने कहा सबका आना कल ही कैंसिल हो गया था।” अनामिका उसकी बात सुनकर हैरान हो गई और घर की ओर चली गई।




घर पहुंचते ही उसकी सास ने पहले की तरह इल्जामों की बारिश शुरु कर दी। अनामिका ने कुछ नहीं कहा उसने अपना फोन निकाला और उनकी पुरानी रिकॉर्ड की हुई बातें अपने पति को दी और बोली “इसे सुनो और फिर फैसला करना। मैंने तो फैसला कर लिया अब मैं झूठे रिश्तों के लिए नहीं जिऊंगी मेरी भी कोई चाहत है।” इतना कहकर अनामिका अपने कमरे में अपना सामान पैक करने लगी।

राजीव ने जब अपनी मां और बहन की बातें सुनी तो उसके पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई! अनामिका के लिए उसकी मां ने कई अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया, उसके माता-पिता का अपमान किया। उसके रिश्ते पर उंगली उठाई, यहां तक कि राजीव को इस रिश्ते में फंसाने की बात भी उन्होंने कह दी सब सुनने के बाद मानो राजीव को सांप सूंघ गया।

जो राजीव अपनी मां की पूजा करता था उनके मुंह से अपनी पत्नी के लिए ऐसे शब्द सुनकर वो बहुत दुखी हो गया। जब उसकी मां ने कुछ कहना चाहा तो उसने कहा “मैं हाथ जोड़कर आपसे विनती करता हूं मेरे मन में जो आपकी छवि है उसे तो आपने धुंधली कर ही दी, मैं कुछ कह कर आपका अपमान नहीं करना चाहता। आपने मुझे उस लायक ही नहीं छोड़ा कि मैं अपनी पत्नी के सामने भी कुछ कह सकूं।”

अनामिका के माता पिता अपने बेटे के साथ विदेश में रहते थे और उसी शहर में उनका एक घर था। अनामिका अपना सामान लेकर आई और बोली “मैं अपने मम्मी-पापा के घर में रहने जा रही हूं। तुम्हारी इच्छा जहां हो रहने की तुम रह सकते हो, मेरी तरफ से तुम पूरी तरह आजाद हो। तुम मुझे रिश्तों की दुहाई देकर मेरा फैसला बदलने के लिए मजबूर कर सकते हो, पर मैं तुम्हें तुम्हारे फैसले लेने के लिए पूरी आजादी देती हूं। ” इतना कहकर वहां से चली गई।

राजीव के पास उसे रोकने के लिए कोई वजह ही नहीं थी पर वो पुत्र धर्म निभाने के लिए वहां रुका। जब कुछ देर में उसके पिता आए सारी बात खुली तब राजीव ने उन्हें सब सुनाया, सुनकर उसके पिता जहां हैरान हो रहे थे उसकी मां की तो बोलती बंद हो गई थी! फिर भी कुछ लोगों में अकड़ इतनी होती है कि गलती करने के बाद भी वो स्वीकार करना नहीं चाहते।

पिता ने बेटे को पत्नी का साथ देने के लिए कहा और शहर में दूसरा घर बसाने का सुझाव दिया क्योंकि और कोई विकल्प था ही नहीं अनामिका ने उस रिश्ते को बचाने की बहुत कोशिश की परंतु ताली एक हाथ से नहीं बजती है रिश्तों को निभाने के लिए दोनों तरफ से कोशिश की जाती है।

राजगीर अपनी पत्नी के साथ दूसरे घर में रहता था हर शाम आकर माता पिता के साथ कुछ वक्त बिताता था। क्योंकि उसकी मां ने और कोई विकल्प छोड़ा ही नहीं था, मजबूरी में ही सही परंतु उसे ये फैसला लेना ही पड़ा और कुछ झूठे रिश्तों के लिए उसे अपने मन को मारना ही पड़ा।

दोस्तों कोई भी लड़की रिश्तों को तोड़कर अपना अलग घर नहीं बसाना चाहती। और कई बार रिश्तों को बनाने के लिए वो झुकती है पर अंत में अपने स्वाभिमान को बचाने के लिए झूठे रिश्ते को छोड़ना ही पड़ता है। आपको क्या लगता है अनामिका का फैसला सही था या गलत..?

आपको ये कहानी कैसी लगी अपने अनुभव और विचार कमेंट द्वारा मेरे साथ साझा करें बहुत-बहुत आभार

#चाहत

निधि शर्मा

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