संतान-सुख – विभा गुप्ता

Post Views: 3  ” दादाजी, आपकी चाय..।” तेरह वर्षीय साक्षी चाय का कप थमाते हुए माणिक बाबू से बोली तो वे बुदबुदाए, ” आज फिर से बेटी के हाथ चाय भिजवा दिया,खुद आती तो क्या घिस जाती।हमारे लिए समय निकालना तो उनके लिए जैसे पहाड़ है।” चाय का एक घूँट पीते ही चेहरे पर बेस्वाद … Continue reading संतान-सुख – विभा गुप्ता