Moral stories in hindi: यह जरूरी नहीं है की हर जबरदस्ती थोपी गई शादी का परिणाम दुखद ही होता है! हां शुरू में तो परेशानी आती ही हैं, किंतु समय के साथ-साथ हर घाव भर जाता है!
आज संध्या को देखने मिहिर का परिवार आ रहा था! मिहिर अच्छे खानदान का बेटा था, और साथ ही एक अच्छी कंपनी में अच्छे पद पर आसीन था !सारी बातें तय होने के पश्चात लड़की को देखने का समय आया !तब मिहिर ने संध्या से अकेले में कुछ बात करने के लिए कहा ,जिसके लिए संध्या भी तैयार हो गई! तब संध्या ने कहना आरंभ किया….देखिए मैं यह शादी अपनी मर्जी से नहीं कर रही हूं ,मेरे माता पिता मुझे जल्दी से जल्दी यहां से विदा करना चाहते हैं!
मैं आपको साफ-साफ बता दूं… मैंने प्यार में धोखा खाया है, अतः मुझे प्यार से और हर मर्द से नफरत हो गई है !मैं आपको वह प्यार नहीं दे पाऊंगी, जिसके आप हकदार हैं! मैंने अपना सारा जीवन गरीब और बेसहारा बच्चों को समर्पित कर दिया है !मुझे सिर्फ उनमें वह प्यार, वह विश्वास नजर आता है! बाकी पूरी दुनिया मुझे मतलबी सी लगती है!
अब आपकी जैसी भी इच्छा हो मुझे स्वीकार है! तब मिहिर ने कहा मुझे आपका इस तरह से साफ-साफ बातें करना बहुत पसंद आया है! देखो तुम्हें प्यार में धोखा मिला है और मुझे आज तक प्यार ही नहीं मिला! पता नहीं क्यों …तुम्हें देखकर मुझे लग रहा है कि शायद तुम ही मेरा वह प्यार हो जिसके लिए मैं आज तक तरसा हूं!
उसके बाद मिहिर की और संध्या की सहमति से दोनों का विवाह बड़ी ही सादगी से संपन्न हो गया! कुछ समय बाद मिहिर के पापा मम्मी भाई भाभी और सारे रिश्तेदार चले गए! मिहिर बड़ा ही नेक इंसान था !उसने कभी भी संध्या के साथ जबरदस्ती करने की कोशिश नहीं की! वह चाहता था कि पहले संध्या को उससे वह उम्मीद हो जो वह चाहती है !
दो-चार दिनों के बाद मिहिर ऑफिस जाने लग गया और संध्या भी उन गरीब बच्चों के पास अपना समय व्यतीत करने लगी! संध्या एक समाजसेवी संस्था से जुड़ी हुई थी! संध्या और मिहिर शाम को वापस घर आ जाते थे ,फिर दोनों एक साथ चाय पीते और थोड़ी बहुत बातें करते थे ! अपने बारे में बातें करते-करते दोनों में दोस्ती की शुरुआत हो गई!
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अब मिहिर और संध्या दोनों को एक साथ में समयबिताना अच्छा लगने लगा! लेकिन अभी भी संध्या मिहिर को नहीं अपना पाई थी ! मिहिर संध्या का हर काम में सहयोग करता था! कई बार संध्या सोचती थी …क्या मर्द ऐसे भी होते हैं..? क्या मर्द भी इतने नाजुक दिलवाले होते हैं! धीरे-धीरे संध्या का शक कम होने लगा था! और उसका मिहिर के ऊपर विश्वास बनता जा रहा था!
6 महीने बाद करवा चौथ का त्यौहार था! संध्या ने यह व्रत किया था और लाख मना करने के बाद भी मिहिर ने यह व्रत किया था !संध्या को पता था की मिहिर को भूख बर्दाश्त नहीं होती ,किंतु उसने संध्या का साथ देने के लिए यह व्रत किया था! शाम को चंद्र दर्शन के बाद जैसे ही मिहिर और संध्या छत पर से नीचे आ रहे थे की संध्या का सीडीओ पर से पैर फिसल गया, और संध्या गिर गई !संध्या से बिल्कुल भी चला नहीं जा रहा था!
मिहिर बहुत डर गया था! वह तुरंत गोद में उठाकर लाया और फिर गाड़ी से संध्या को तुरंत अस्पताल लेकर आया, जहां डॉक्टरों ने संध्या को 1 महीने का बेड रेस्ट बताया था ,क्योंकि संध्या के दाएं पैर में फ्रैक्चर हो गया था! घर आकर मिहिर ने संध्या का बहुत ही अच्छी तरह से ध्यान रखा! उसने अपने ऑफिस में भी 1 महीने के लिए मेडिकल छुट्टी के लिए कह दिया था! वह जी जान से संध्या की सेवा करता था! यह सब देखकर कई बार संध्या द्रवित हो जाती!
उसे मिहिर से अपनी सेवा करवाना अच्छा नहीं लग रहा था,,,! पर क्या करें ..यह काम वह शौक से तो करवा नहीं रही थी! और मिहिर ने भी संध्या को जल्दी सही करने में कोई कसर नहीं छोड़ी! धीरे-धीरे करके एक महीना भी व्यतीत हो गया! अब मिहिर पहले की तरह ऑफिस जाने लग गया था, और संध्या भी घर के छोटे-मोटे काम करने लग गई थी!
किंतु अब संध्या की जिंदगी में बदलाव आ गया था! उसे मिहिर से दूर रहना सहन ही नहीं होता था, किंतु वह यह बात मिहिर को नहीं बता पा रही थी! कुछ दिनों बाद मिहिर का जन्मदिन था! रोज की तरह ही मिहिर शाम को घर आया ,जहां उसने संध्या को एक नए ही अवतार में देखा! आज संध्या दुल्हन के जोड़े में पूरे श्रृंगार के साथ उसका इंतजार कर रही थी!
घर को भी बहुत अच्छी तरह से सजाया गया था! तब मिहिर ने उससे इस तरह से तैयार होने का कारण पूछा..! तब संध्या ने कहा मिहिर मर्दों के प्रति मेरे मन में जो भी नफरत थी, तुम्हारे प्यार ने वह नफरत कब की खत्म कर दी !और मैं कब तुमसे प्रेम करने लगी मुझे नहीं पता! किंतु आज मैं यह स्वीकार करती हूं… कि मैं तुमसे बेपनाह मोहब्बत करती हूं!
हां मिहिर… आई लव यू! मैं तुमसे अलग होने की जुदाई बिल्कुल बर्दाश्त नहीं कर सकती !…यह बात सही है कि हर मर्द बुरा नहीं होता !तुम बहुत अच्छे हो! मैं तुमसे बहुत-बहुत प्रेम करती हूं, और आज मैं तुम्हें अपनी इच्छा से अपने आप को तन मन से समर्पित करती हूं! शायद मेरे इस समर्पण का तुम कब से इंतजार कर रहे थे,..
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लेकिन तुमने कभी मुझे मेरी मर्जी के बिना छूने की कोशिश तक नहीं की !तुम्हारे विश्वास ,प्रेम के आगे मैं हार गई ! मैं तुम्हारे साथ नई दुनिया बसाना चाहती हूं ,जिसमें हमारा प्यार और विश्वास ऐसे ही अनवरत चलता रहे! हमारा साथ हमेशा बना रहे ,और यह कह कर वह मिहिर के आलिंगन में समा गई !और आज मिहिर अपने आप को सबसे खुशनसीब इंसान समझ रहा था! आज उसे उसका सच्चा प्यार मिल गया था! सच है समय हर घाव को भर देता है!
हेमलता गुप्ता
स्वरचित
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