सही वक्त पर सही निर्णय लेना बहुत जरूरी.. – निधि शर्मा
- Betiyan Team
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- on Jan 30, 2023
“अरे भाभी लोगों का तो काम ही होता है बातें बनाना इन सब बातों पर ध्यान मत दो। दूर से सब कुछ अच्छा लगता है पर सच्चाई तो वक्त पर पता चलती है, अपनी पढ़ाई के लिए आपने उस वक्त कितनी मेहनत की थी ये दूसरे लोग कैसे जानेंगे। सही वक्त पर मौका मिला है अब इसे गवाना नहीं, समझदार लोग सही वक्त पर सही निर्णय लेते हैं…।” नेहा अपनी भाभी रीमा से कह रही थी।
रीमा बोली “दीदी आप समझ नहीं रही है लोगों की बातों का मुझ पर तो असर नहीं होता परंतु मम्मी जी पर बहुत असर होता है.. अब मैं बाहर वालों से तो लड़ भी लूं परंतु अपने घर में अपनी ही सास से कैसे लडूंगी..! और फिर लोग क्या कहेंगे वक्त क्या बदला सास बहू की रिश्ते बदल गए..।”
रीमा पढ़ी-लिखी थी पर शादी के वक्त उसकी बीएड की पढ़ाई अधूरी रह गई उसे पूरा करने के लिए नेहा और पूरा परिवार बोल रहा था। हां उसकी सास कमला जी थोड़ा नाराज थी पर बेटी ने समझाया तो फिलहाल मान गई।
कमला जी बोलीं “बहू शादी के पहले अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर सकती थी शादी के इतने सालों बाद तुम्हें फिर से पढ़ने का शौक चढ़ा है…!” रीमा बोली “मम्मी जी अब इतने अच्छे घर से रिश्ता आया कि मैंने भी पहले शादी करना ही सही समझा और फिर घर-गृहस्थी के चक्कर में वक्त कहां मिला। दीदी (ननद) को शादी के बाद काम करते देखी तो मुझे लगा कि अपनी पढ़ाई पूरी कर सकती हूं,अगर आपको पसंद नहीं तो नहीं करूंगी।”
कमला जी बोलीं “बस बस ज्यादा बातें मत बनाओ और फिर मुझे क्या परेशानी होगी। सोचो लोग क्या कहेंगे कि बहू को पढ़ाकर नौकरी करवाना है…!
नेहा बोली “मां आप कब से लोगों की बातों पर ध्यान देने लगीं हैं। मेरे बारे में भी लोग कहते थे कि कितना पढ़ाएंगी बेटी को, उस वक्त तो आप मेरे लिए लड़ जाती थी फिर भाभी के लिए क्यों नहीं..?”
कमला जी बोलीं “नेहा तुम्हारी बात अलग थी बेटी के लिए तो हर किसी से लड़ गई अब क्या बहू के लिए भी लड़ती रहूं। घर की लाखों जिम्मेदारियां होती है अब इस उम्र में घर का सारा काम कौन करेगा? तुम तो इसे बढ़ावा देकर अपने घर चली जाओगी, पीछे से मुझे ही इस उम्र में काम करना होगा।”
रीमा झट से बोली “मम्मी जी मैं काश वक्त रहते मेरे माता-पिता भी समझते और मैं भी उस वक्त की कदर करती तो आज मुझे आपसे इतनी मेहनत नहीं करनी पड़ती। आप चिंता मत करो मैं घर का सारा काम कर के जाऊंगी” नेहा बोली “और मां आप तो घर में ही हो थोड़ा तो सपोर्ट करो अपनी बहू का।”
कमला जी बोलीं “हां बस-बस अब ज्यादा मत बोलो ठीक है पढ़ो मुझे क्या है! चार पैसे कमाओगी तो अपने शौक पूरे करोगी मुझे क्या है।” ननद भाभी दोनों खुश हो गई तो रीमा बोली “दीदी कहीं मम्मी जी नाराज तो नहीं है और आप आपका साथ न होता तो ये सम्भव नहीं होता।”
अगले दिन से रीमा घर का सारा काम निपटा कर कॉलेज जाती थी। सब ऐसा ही चलता रहा कमला जी आखिर थी तो एक मां ही तो रीमा को परेशान देखकर बोलीं “बहू खाना खाकर कॉलेज जाओ तबीयत अगर बिगड़ गई तो मैं क्या-क्या संभाल लूंगी, घर का बाकी का काम मैं देख लूंगी” रीमा मुस्कुरा कर हां बोली।
एक दिन कमला जी कुछ सूखे कपड़े उठा रही थी तो पड़ोस की बीना जी बोलीं “क्या बात है कमला जी बहू नहीं है या घर के काम करने से इंकार कर दिया जो आप काम कर रही है…?”
कमला जी बोलीं “बहु यहीं है और घर के काम करने से वो क्यों इंकार करेगी.!बस वो शादी के वक्त उसकी पढ़ाई अधूरी रह गई थी तो हमने कहा अब पूरी कर लो, अब भला शिक्षा अधूरी क्यों रखना पड़ेगी तो आगे चलकर काम आएगा।” और कपड़े लेकर अंदर चली गई।
समय बीतता गया रीमा की पढ़ाई भी पूरी होने को थी। कुछ दिनों के लिए नेहा आई थी तो बोली “भाभी आपका तो कॉलेज का आखरी साल चल रहा है। अरे हां! भाभी आपके कॉलेज में तो पार्टी होगी न आप क्या पहनोगी मुझे भी बताओ ये फेयरवेल पार्टी तो बड़ी मजेदार होती है।”
कमला जी बोलीं ” हे राम ! बहु ने बताया नहीं की कॉलेज में पार्टी भी होती है?” तो नेहा बोली “मां पढ़ाई खत्म होने पर विदाई पार्टी होती है।” कमला जी बोलीं “अब यही सब सुनना और देखना बाकी रह गया था।”
रीमा का पति राकेश उसे छेड़ते हुए बोला “तो क्या तुम वेस्टर्न ड्रेस पहनोगी?” रीमा झट से बोली “आप ऐसा क्यों बोल रहे हो! औरत जितनी सुंदर भारतीय परिधान में लगती है उतनी सुंदर वो किसी वस्त्र में नहीं लग सकती तो मैं तो साड़ी पहन कर जाऊंगी।”
कमला जी बोलीं “तुम मेरी बहू को औरों की तरह मत समझो ये अपनी मर्यादा जानती है!” राकेश बोला “क्या बात है मां के मिजाज बदले बदले नजर आ रहे हैं और वो अपनी बहू की साइड ले रही है…!” मां बोली “कौवे को देख हंस अपनी चाल नहीं बदलता है।” इस पर सब हंसने लगे।
रीमा घर और बाहर दोनों बड़ी कुशलता से संभाल रही थी। तब कमला जी को एहसास होता था कि वो दूसरों की बहुओं के गुण देखकर हमेशा खुश होती थीं और रीमा की उससे तुलना करती थीं। आजा रीमा नी सही वक्त पर सही निर्णय लिया तो उसे देख को देख उन्हें लगता है की उनकी बहू भी किसी कम नहीं है।
एक शाम कमला जी पार्क में बैठी थीं तो बीना जी बोलीं “क्या बात है नेहा की मां घर के काम करके थक जाती हो क्या..? मेरी जब भी मेरे पास आती है मुझे वो बिस्तर से नीचे नहीं उतरने देती है।” तो दूसरी बोली “अब बहू की कमाई चाहती हो तो ये सब तो झेलना ही पड़ेगा। अब या तो बहू पढ़ा लो या घर के काम करा लो दोनों तो हो नहीं सकता है..!” और हंसने लगी.
कमला जी बोलीं “बीना बहन दूर के ढोल सुहावने होते हैं अगर ऐसी बात है तो जब भी आप अपनी बहू के पास जाती हैं दो रोज में ही क्यों वापस चली आती हैं..? लगता है आप सबके पास भी कोई काम नहीं है..! आप सबमें से कितनों की बहू काम करने के बाद भी घर का सारा काम करती होगी मैं सब जानती हूं.. जरूरी नहीं जो दिखता है वो वैसा ही होता है।” सब चुपचाप थीं क्योंकि उनके पास कोई जवाब नहीं था।
कमला जी बोलीं “मेरी बहू वक्त का उपयोग करना जानती है और घर को भी संभालती है। हां मैं थोड़ी मदद कर देती हूं तो इसमें क्या बुरा है, क्या यही मदद हम अपनी बेटियों के लिए नहीं करते हैं जो आप ऐसी बातें कर रही हैं!” तभी रीमा आई अपनी सास से बोली “मम्मी जी आप की दवाई का वक्त हो गया है और घर पर सब आपका इंतजार कर रहे हैं घर चलें..?”
कमला जी बोलीं “अरे बहू तुम मेरी सहेलियों से नहीं मिली हो। आप सब भी मिलो मेरी बहू से जिसे मेरी चिंता है ,इसे आगे बढ़ने से मैं रोकती नहीं हूं अगर वक्त पर हम साथ दें तो बेटी से बढ़कर बहू करती है। आप सब भी कानाफूसी छोड़ कर अपने घरों पर ध्यान दो और आना कभी बहू के हाथ की चाय पीने क्योंकि समाज के खिलाफ जो लड़ती वो किसी न किसी की बेटी या बहु रानी ही होती है चलो अब मैं भी चलती हूं।” और रीमा का हाथ थामे चली गईं।
रीमा बोली “मम्मी जी आपने अपनी सहेलियों से ऐसे क्यों बात की वो क्या समझेंगी..!” कमला जी बोलीं “बहू कुछ औरतों को बातें सीधी तरह से समझ में नहीं आती है। उन्हें इसी तरह से समझाया जाता है और सच कहा था नेहा ने दूसरों की बहू सबको अच्छी लगती है क्योंकि अपनी बहू के गुण कोई देखता ही नहीं ,देखना आगे से ये कभी मेरे घर की चुगली नहीं करेंगी।” कमला जी के बातें सुनकर रीमा हंसने लगी और दोनों सास बहू घर चली गई।
मित्रों सही वक्त पर अपनों का सहयोग मिले तो बेटी और बहू अपने अधूरे सपनों को भी पूरा कर सकती है। हालातों ने जिन सपनों को छोड़ने पर मजबूर किया था,अब सही वक्त आया है उन सब को पूरा करने का।
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#वक्त
निधि शर्मा