सच्चा प्रेम कभी खूबसूरती का मोहताज नहीं होता – कीर्ति मेहरोत्रा
- Betiyan Team
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- on Feb 08, 2023
शादी से पहले वैभवी ने अपने सास-ससुर के बारे में सुना था कि ससुर जी अपनी पत्नी यानि वैभवी की सासूमां से बहुत प्रेम करते हैं और ये समय समय पर उनके बात व्यवहार से झलक ही जाता। सबसे खास बात ये थी कि ससुर जी बेहद खूबसूरत और सासूमां उनके मुकाबले कुछ भी नहीं लेकिन उसके बावजूद वो अपनी पत्नी को पूरा मान-सम्मान देते और बहुत प्रेम करते।
सुबह की वाक साथ में ही रहती उसके बाद नहाकर मंदिर जाना साथ में ही पूजा करना और साथ में ही नाश्ता हर काम साथ में ही करते। शाम को दुकान से आते तो सासूमां तैयार मिलती ससुर जी को अपनी पत्नी का बन संवर कर रहना बहुत अच्छा लगता अगर किसी समय उनसे कोई चूक हो जाती तो वो तुरंत टोंक देते “सिंदूरा जी ! आपके पास ऐसी चीज है नहीं क्या जो आज आप बिना मैचिंग की लिपिस्टिक के तैयार हो गई है या फिर ये रोज रोज वहीं साड़ियां सूट क्यों पहन लेती हो “और दूसरे दिन ही साड़ियों की घर पर ही लाइन लगा देते। उन्हें मां की हर चीज ध्यान रहती कि तुम्हारे पास इस रंग की साड़ी या सूट नहीं है और बहुत दिन हो गए तुमने कोई गहना नहीं लिया सासूमां के बिना कहे उनकी हर बात समझते ।
वैभवी उन दोनों को देखकर सोचती ” कितनी भाग्यशाली हैं मां! जो इतने प्यार और मान-सम्मान देने वाले पति मिले फिर हाथ जोड़कर ईश्वर से प्रार्थना करती से ईश्वर! पिता के कुछ गुण बेटे में भी डाल दीजिए वो तो बिल्कुल मिट्टी के माधो हैं उन्हें तो इस बात से कोई लेना-देना ही नहीं है कि पत्नी को क्या चाहिए?
उन दोनों पति-पत्नी का प्रेम देखकर हर कोई दांतों तले उंगली दबा लेता। सासूमां अपने घर के सुख छोड़कर मायके जल्दी नहीं जाना चाहतीं क्योंकि उनका मायका देहात में था लेकिन ससुर जी हर वर्ष आठ दिन के लिए जबरदस्ती साथ लेकर जाते और सबसे मिलवाकर लाते। घूमने के बेहद शौकीन ऐसा कोई तीर्थस्थान नहीं बचा जहां की सैर उन्होंने अपनी पत्नी को नहीं करवाई हर वर्ष पंद्रह दिनों के लिए उनका घूमने फिरने का प्लान फिक्स ही रहता कभी उन्होंने अपनी व्यस्तता का रोना नहीं रोया यही कहते जबतक जीवन है सुख भोग ले और अपनी पत्नी की हर इच्छा को पूर्ण कर दें वरना पता नहीं कब हममें से एक अंतिम यात्रा पर चला जाए और जिंदगी भर के लिए ये अफसोस यह जाए कि हम अपनी सहधर्मिणी की इच्छा को सम्मान नहीं दे पाए
वैभवी ये सब सुनकर आने ससुरजी के मनोभावों के सामने नतमस्तक हो जाती।
घर के हर फैसले में मनन जी पत्नी सिंदूरा जी की सहमति जरूर लेते। वो खुद भी कभी उनसे ऊंची आवाज में बात नहीं करते थे और किसी और की भी हिम्मत नहीं थी कि उनसे ऊंची आवाज में बात कर सके इसलिए कहते हैं अगर पति पत्नी का सम्मान करें तो किसी और की कोई मजाल नहीं की पत्नी के साथ दुर्व्यवहार कर सके…
जब सासूमां बीमार पड़ी तो वैभवी के साथ साथ ससुर जी ने अपनी पत्नी की बहुत सेवा की। शाम को दुकान से आकर उनके पैर दबाते और उस समय घर में कोई भी आ जाए वो शर्माकर या झिझककर पैर दबाना बंद नहीं करते। एक दिन की बात है सासूमां बीमार थीं तो वैभवी उन्हीं के साथ ही सोती और सासूमां की एक आवाज पर उठ बैठती लेकिन उस दिन शायद सासूमां और ससुर जी को लगा कि वैभवी दिनभर बहुत थक जाती है उसे सोने देते हैं। रात में सासूमां को लैट्रीन लगी (उनके लिए कमरे में ही कमोड लगाना पड़ता और उनकी सफाई भी करनी पड़ती) तो ससुरजी ने खुद ही कमोड लगाया इसी बीच वैभवी की भी आंख खुली तो देखा ससुरजी अपनी पत्नी की सफाई करवा रहे हैं। वैभवी ने चुपचाप आंखें बंद कर लीं और उन्हें अपना काम करने दिया।
सुबह सासूमां से बोली मां अपने मुझे आवाज क्यों नहीं दी तो वो बोली तुम भी तो घर बच्चों और हम सबको संभालते हुए थककर चूर हो जाती हो इसलिए मन नहीं हुआ तुम्हें जगाने का उस दिन सासूमां भी बोली मैं सच में बहुत भाग्यशाली हूं जो ऐसे पति मिले मुझे हर जन्म में यही जीवनसाथी मिलें ……
हां मां! आप दोनों को देखकर मुझे भी लगा है कि प्रेम कभी भी खूबसूरती का मोहताज नहीं होता और मैं ईश्वर से यही प्रार्थना करूंगी कि लड़कियों को सूरत भले ही ना दे लेकिन किस्मत में पति आपके पति यानी मेरे ससुर जी जैसा ही दे “….
पति-पत्नी के प्रेम पर आधारित मेरी ये कहानी जरूर पढ़ें। दोस्तों सच में प्रेम अगर सच्चा है तो वो कभी खूबसूरती को महत्व नहीं देता ये बात मैंने अपने घर में ही अपने सास ससुर को देखकर जाना। जीवनसाथी होने का अर्थ सही मायनों में वैभवी के ससुर जी नहीं ही निभाया। मेरी कहानी पढ़ें श्रौर अपने मनोभावों को जरूर व्यक्त करें और मुझे फौलो भी जरूर करें
आपकी दोस्त
कीर्ति मेहरोत्रा
धन्यवाद
#प्रेम