सच्ची खुशी – चांदनी खटवानी : Moral Stories in Hindi

मिसेज वर्मा जब प्राध्यापिका के पद से रिटायर हुई तो बच्चों ने उनकी एक ना सुनी और अपने साथ शहर ले आए!

अपने छोटे से शहर की आदत पड़ी हुई थी उनको.. सोचा था रिटायर होने के बाद.. बच्चों को ट्यूशन पढ़ाऊंगी पर परिवार की खुशी के खातिर.. आग्रह टाल ना सकीं!

दिनभर स्कूल के कामकाज में बिजी रहने वाली.. बैठना उन्हें कैसे अच्छा लगता!

यहां आकर.. जब अपनी इच्छा जताई तो बेटे-बहु ने साफ इनकार कर दिया.. यह कहकर कि आपने सारी उम्र काम किया है.. अब कुछ समय आराम कीजिए!

बहुत बड़ी सोसाइटी है.. नीचे उतरेंगी.. आपका मन लग जाएगा.. आपकी उम्र के लोग बहुत इंजॉय करते हैं.. हुआ भी ऐसा ही!

थोड़े दिनों में ही.. उनकी अच्छी खासी सर्कल बन गई थी.. अब तो बाहर भी जाना प्रायः होता रहता.. कभी किसी की सालगिरह तो कभी किसी का जन्मदिन या फिर किसी के घर भजन कीर्तन!

आज नंदिनी आंटी की बर्थडे पार्टी का इनविटेशन था.. किसी बड़े होटल में रखी थी.. आकाश की छुट्टी थी.. तो छोड़ने के लिए वह साथ में जा रहा था.. तैयार होकर पैसेज में लिफ्ट के आने का इंतजार कर रहे थे.. दोनों मां-बेटे!

सामने वाली पड़ोसन पूजा का दरवाजा खुला था.. जैसे किसी की राह देख रही हो.. मां को देखते ही उसने नमस्ते किया.. हाल-चाल पूछते वक्त मां का ध्यान.. उसकी रोती हुई बेटी पर चला गया!

पूछने पर चिंतित स्वर में बताया.. आराध्या के एग्जाम्स चल रहे हैं.. कल मैथ्स का पेपर है.. दो दिन सैटरडे संडे का गैप था.. फिर भी ढंग से रिवीजन नहीं हो पाई है!

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बहुत सारे डाउट्स क्लियर करने थे.. पर ट्यूशन टीचर अचानक से एब्सेंट हो गए हैं.. कल नहीं आ पाए पर आज के लिए पक्का बोला था!

निश्चिंत थे.. चलो एक बार आने पर सब करवा देंगे.. चार बजे आने का टाइम रहता है.. पर अब तो छः बजने वाले हैं.. अभी तक उनका कुछ अता पता नहीं है.. ना कोई फोन ना मैसेज.. मोबाइल भी स्विच ऑफ कर रखा है!

मैं अंदर आ सकती हूं.. मां ने पूछा तो सही पर बिना उत्तर का इंतजार किए.. जब अंदर घुस गईं तो मैं चला आया!

कौन से स्टैंडर्ड में आराध्या.. किताब देख सकती हूं.. आजकल सब अपनी लाइफ में बिजी रहते हैं.. मुश्किल से दो-तीन बार हाय हेलो ही हो पाई थी.. पूजा से!

9th.. संक्षिप्त सा उत्तर दिया.. और अनमने से टेबल पर रखी किताब.. मां के हाथ में पकड़ा दी!

यह कहते हुए.. बड़े क्लास में आ गई है.. मैथ्स तो बहुत टफ हो गया है.. मैं भी अब नहीं पढ़ा पा रही हूं.. बाकी सब्जेक्ट तो फिर भी देख लेती हूं!

उसे क्या मालूम.. मां ने सारी उम्र नौवीं दसवीं के बच्चों को मैथ्स ही पढ़ाया है!

पांच मिनट का समय भी नहीं लगा.. किताब के निरीक्षण में.. बोर्ड कोई भी हो.. मैथ्स तो मैथ्स ही है.. दो दूनी चार ही होगा.. पांच तो हो सकता नहीं!

मां ने एक रफ कॉपी मांगी और आराध्या को अपने पास बुलाया.. कुछ क्वेश्चन पूछे.. बच्ची का स्तर जांचने के लिए!

फिर कन्फ्यूजन वाले सम्स पर टिक लगाने के लिए कहा.. फाइनली डाउट्स क्लियर करने मे लग गई!

फॉर्मूलों पर उनकी पकड़.. पेशेंस फुली अलग-अलग तरीकों से समझाना.. पूजा तो देख कर हक्की-बक्की रह गई!

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पढ़ाने वक्त मां को किसी चीज की सुध ना रहती.. टाइम होता देख.. मैं ही पूछने के लिए चला गया.. दो-तीन बार चाय कॉफी पी चुकी थीं.. मग्न हो गई थीं पढ़ाने में!

बताया.. इस दौरान नंदिनी आंटी का बहुत बार कॉल आया.. पहले तो कुछ देर में आने का आश्वासन देती रहीं.. फिर अब देर होते देख मना कर दिया है!

रात के साढ़े दस बज गए थे.. प्रैक्टिस करते-करते.. आराध्या के चेहरे से अब डर गायब हो चला था.. जब वह पूरी तरह से संतुष्ट हो गई तो मां ने भी अपना पर्स उठाया घर आने के लिए!

पर पूजा बगैर खाना खिलाए मानी नहीं.. दरवाजे तक छोड़ते हुए अफसोस जाहिर किया.. हमारे कारण आपकी पार्टी मिस हो गई आंटी.. जाते वक्त कितनी खुश थीं आप‌!

खुश! तुम्हें क्या पता बेटा.. खुश मैं तब थी या अब हूं.. मेरी तरफ देखते हुए कहा!

इतने दिनों से.. मैं खुशी को ढूंढने जा रही हूं.. पर मिली आज तुम्हारे घर में!

पूजा समझने की कोशिश कर रही थी.. और मैं समझकर कुछ तय करने में!

मौलिक व स्वरचित

चांदनी खटवानी

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