सबूत – प्रीती सक्सेना

मम्मी पापा का फ़ोन,,, रिंकी चिल्लाई, आ रही हूं, क्या बात  है,, फ़ोन कैसे किया, अरे वर्मा ने नई गाड़ी ली है, बोल रहा है, शीतला माता वाटर फाल चलें सब, एक ही गाड़ी से, पिकनिक जैसा हो जाएगा, क्या कहती हो, बिल्कुल चलेंगे, मैं गीता से बात कर लेती हूं, कुछ हल्का फुल्का बनाकर रख लेंगे, वाकई बहुत दिनों से कहीं निकले भी नही हैं, मीता खुश हो गई, कुछ तो चेंज होगा, वरना दिन रात का वही घिसा पिटा रूटीन।

मैं ऑफिस के लिए निकल रहा हूं, हॉफ डे है सब तैयारी रखना, हां बाबा ,,,आप जाइए मैं सब कर लूंगी,

क्या बात है कुछ ज्यादा ही खुश हो,, अरे नहीं, काफी दिनों बाद आउटिंग पर जा रहे हैं इसलिए अच्छा लग रहा है और कुछ नहीं।

मम्मी, पापा अंकल आंटी बच्चे आ गए, चलो फटाफट सब सामान डिक्की में रखो, देखो पानी की बॉटल याद से रख लेना ओके

सब अच्छे से बन गए न, भाईसाहब गाड़ी तो बहुत सुंदर ली है बहुत सारी बधाई,,,, बस भाभी मूड हुआ तो ले ली।

यहां तो चढ़ाई काफी है, ये तो आगे निकल गए,,, अरे भाईसाहब आप यहीं हैं,,, ये भाईसाहब इस तरह मुझसे टकराकर क्यो निकल गए,,, अरे दोबारा भी,,, ये कर क्या रहे हैं ,,,,पता नहीं ये भी दिख नहीं रहें, इनसे बात करना पड़ेगी, कुछ ठीक नहीं है, बार बार टच करते हुऐ निकलना इत्तफाक तो नहीं हो सकता न।


आ गए ये ,,,जल्दी चलने के कारण सांस फूल रही है मेरी, अरे मम्मी आप ठीक हो न, कितना पसीना आ रहा है आपको,,,,मैं ठीक हूं अब घर चलें।

चलो घर आ गए, अब एक कप चाय पिला दो तो मज़ा आ जाए, मैं ये कह रही थी,,,, भाईसाहब ने इस तरह की हरकत मेरे साथ की,,,, मैं बुरी तरह घबरा गई थी, आप भी कितना आगे निकल गए थे, तुम्हीं तो मरी जा रहीं थीं न घूमने को,,,,,, क्या जरूरत थी जाने की, मना नहीं कर सकती थीं,,, अरे मेरी बात तो सुनिए,, मैने क्या किया,,,, पहले कभी ऐसा लगा नहीं कि वो गलत हैं, तो अब तुम से क्यों टकराने लगा, मज़ाक वजाक कर रहीं थीं क्या उससे,,,,, अब रोने क्यों लगीं,,

पापा आप किस तरह से मम्मी से बात कर रहे हैं, आपको मम्मी पर भरोसा नहीं??? एक औरत के पास अपनी बेगुनाही का कोई सबूत होता है क्या पापा????

कैसे बताए वो कि इसमें उसका कोई कुसूर नहीं।

मेरे पास कोई सुबूत भी नहीं।

प्रीती सक्सेना

इंदौर

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