रिश्तों की तुरपाई – दीपा माथुर

अरे बहु देखो तनिक ये 100 का ही नोट है ना।दादी साहब ने अपने बटुए को खंगाल कर एक नोट निकालते हुए पूछा।वैसे ये मकान दादी का है हम तो हम हेसबेंड वाइफ (राधा और श्याम) यहां किराए पर रहते है।श्याम तो मोटर मैकेनिक का काम करता है दिनभर दुकान पर रहता है।मैं (राधा) और दादी ही घर पर रहते है।दादी के बहु बेटे पोते पोती दोहिते भरा पूरा परिवार है।पर सब विदेश में बसे है।दादी अपनी बची कूची जिंदगी यही निकाल रही है ।किराए से राशन पानी की व्यवस्था हो जाती है।

राधा ने नोट हाथ में लिया और बोली ” हा दादी  💯 रुपए ही है।दादी नोट को राधा को देते हुए बोली ” लो इसकी मिठाई ले आओ “आज सुना है गणपति हवेली वाले अपने बेटे बहु की जात लगवाने आ रहे है।तुम्हे पता है ये हवेली वाले मेरे रियल देवर है।अब आयेगे तो क्या नई नई बहु को ताई के पैर छुआने नही लायेंगे ?घर में मीठा होंगा तभी तो मुंह मीठा करवाऊंगी।जानती हों नई नई दुल्हन बनकर इस घर में आई थी तो देवर जी दसवीं कक्षा में पढ़ते थे भोजी भोजी कहते नही थकते थे।

हसी,मजाक खाना पीना सब काम मेरे साथ।मायके जाती तो पीछे पीछे आ जाते थे।फिर डॉट डपट कर पढ़ने बिठा देती थी।राधा उत्सुकता से बोली ” दादी आपको पढ़ना आता था।”दादी अपने बोखले मुंह को खोल कर जोर से हस देती” तो आठवी पास थी”तभी तो देवरजी को ननद को फिर अपने बच्चो को पढ़ा लिखा कर अपने अपने पैरो पर खड़ा कर दिया।आज सब कितने आराम से अपने अपने महलों में रहते है।

राधा के मुंह से निकल गया ” और आप दादी”राधा को लगा दादी को सुनाई नही दिया होंगा क्योंकि दादी हर बात जोर से बुलवाती है।पर ऐसी बात दादी ने सुन ली ” बोली वो मेरा कर्तव्य था”उसके बाद किसी ने भी पीछे मुड़कर नही देखा।”तभी पड़ोस में रहने वाली कमला ताई आ गई ।दादी आदत से लाचार बोली ” सुना है कमला, गणपति हवेली वाले आ रहे है 



“कमलाताई बोली ” क्यों तुम्हे गीतों का बुलावा नही दिया?”वो तो सुबह ही आ गए थे।दादी बोली ” अच्छा?”अरे घर को कोई बुलावा देता है क्या?और फिर मैं ठहरी बुजुर्ग सोचा होंगा दादी के तो पैर छुआ कर लायेंगे।सुन कमला ” अब नई बहु आएंगी तो हाथ में भी कुछ रखना पड़ेगा ना ?फिर अपने हाथ में पहनी सोने की अंगूठी निकाली और राधा की ओर दिखाती हुई बोली ” ये ही दे देती हु “क्यों ठीक रहेंगी ना ?मेरी शादी की है।अब मेरे शरीर का भी क्या भरोसा?जो संभाल कर रखूं इसे मेरा भी मान रह जायेगा।की ताई दादी सासू ने सोने की अंगूठी दी है ।

दादी के चेहरे पर अपने पन का आत्म विश्वास झलक रहा था।राधा की आखों में आसू से आ गए।राधा बोली ” दादी अभी मैं आती हु “दादी ने हाथ पकड़ा “अरी अभी कहा जा रही है सब आते ही होंगे उनको चाय पानी भी तो करवाना है ?राधा बोली ” मिठाई ले आऊ?”दादी के चेहरे पर फिर मुकुराहट आ गई बोली ” लोमैं तो वास्तव में सठिया गई हु मैने ही तो मिठाई लाने को कहा था और मैं ही भूल गई ।

राधा के कदम गणपति हवेली की तरफ बढ़ रहे थे और मन में कई विचार श्रंखला हक जमाए बैठी थी।गणपति हवेली के पास पहुंची तो देखा हवेली पर मोटासा ताला लग रहा था।पड़ोसियों से पूछा तो पता चला वो लोग जाय लगवा कर एक घंटा पहले ही निकल गए थे।”राधा सोचने लगी ” चंद रुपए क्या हाथ लग जाते है लोगअपना अगला पिछला सब भूल जाते है।

“दादी मां केवल सम्मान की ही तो भूखी थी वो भी इन लोगो से नही दिया गया।खुद उनके बच्चे उनके साथ अन्याय कर रहे है।जिस मां ने पूरी जिंदगी एक एक पाई जोड़ जोड़ करअपने सर्वसुख न्योछावर कर बच्चो को बड़े बड़े बंगलेमें रहने के काबिल बनाया ।

वो लोग एक मां को अपने साथ नही रख सकते।राधा के कदम धीरे धीरे अपने घर की तरफ बढ़ रहे थे।सूरज लगभग ढलने ही वाला था ।राधा को देख दादी बोली ” अरे वो तो उनके पास समय नहीं होंगा इसीलिए नही आ पाए वरना जरूर आते।दादी अभी भी रिश्तों की तुरपाई करे जा रही थी।

#अन्याय 

दीपा माथुर

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!