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रिश्ते दोहरे चेहरे के बिना भी बन सकते हैं – निधि शर्मा 

शाम के 6:00 बज रहे थे नेहा कपड़ों को तह कर रही थी अचानक उसकी नजर उसकी सास विमला जी पर गई जो बार-बार गेट की तरफ देख रही थीं। “मम्मी जी शाम हो गई है कुछ खाएंगी सोच रही हूं आज मटर फ्राई करती हूं। अब मटर का सीजन खत्म होने को है तो उसके साथ गरमा गरम चाय बनाती हूं खाकर मजा आ जाएगा।” नेहा बोली

विमला जी बोलीं “क्या बात है बहु मानव (बेटा)अभी आया नहीं है और आज तुम मेरे बारे में सोच रही हो..! अन्य दिनों की अपेक्षा तुम्हारी बातों में आज कुछ ज्यादा की मिठास लग रही है, जो मन में है उसे खुलकर कहो ये टीवी सीरियल की बहू की तरह दोहरे चेहरे बनाने की जरूरत नहीं है।”

    नेहा बोली “ये क्या बात हुई मम्मी जी क्या बिना दोहरे चेहरे के सास-बहू के रिश्ते अच्छे नहीं हो सकते? मैंने तो बड़े प्यार से पूछा और आपको लगता है मैं स्वांग रच रही हूं! मैं जब भी कुछ करती हूं आप उसमें कोई ना कोई कमी निकाल देती है और मेरा हौसला वही खत्म हो जाता है,यहां बात चली थी मटर फ्राई कि और आपने दोहरे चेहरे और दोहरे रिश्ते तक ले गई..! छोड़िए अब जब आपका बेटा आएगा तभी चाय बना दूंगी।” इतना कहकर वो चली गई।

थोड़ी देर में मानव आए और हाथ मुंह धोकर बोले “नेहा क्या बात है आज घर में बड़ी शांति है..! तभी नेहा ने चाय आगे बढ़ाया तो मानव बोले “बस चाय इसके साथ कुछ और नहीं..! इससे अच्छा तो मैं बाहर से ही चाय पीकर आता कम से कम कुछ खा ही लेता।” तभी नेहा को विमला जी आते हुए दिखीं तो नेहा वहां से चली गई।

    विमला जी बोलीं “अरे बेटा बहू मेरी कही हुई बातों का गुस्सा तुम पर निकाल रही है। इसी को तो कहते हैं दोहरा चेहरा, ये मेरे सामने कुछ और और तुम्हारे सामने कुछ और बनती है पर तुम इतने भोले हो कि तुम समझ नहीं पाते हो।”




विमला जी नेहा को आवाज लगाते हुए बोलीं “बहू क्या दिन भर चाय पर ही रखोगी अरे मेरा बेटा कमाकर थक हार कर आता है मुझे ना सही कम से कम इसे ही कुछ खाने को दे दो।” मानव बोला “मां ऐसा क्यों कह रही हो…! क्या तुम्हारी बहु चाय के साथ कुछ खाने को नहीं देती..?” 

विमला जी बोलीं “देती है बेटा पर जब तुम रहते हो तभी ज्यादा ख्याल रखती है वरना मुझसे कोई मतलब नहीं रखती है।” मानव बोला “क्या मां छोटी-छोटी बातों को अगर पकड़ कर रखोगी तो रिश्ते कैसे सुधरेंगे, फिर आप लोगों का रिश्ता भी हर सास बहू की तरह चर्चा में आ जाएगा।”

   थोड़ी देर बाद सबने चूड़ा और मटर फ्राई खाया और उसके मजे लिए। जब तक मानव घर में रहते थे विमला जी ठाठ से घूमती और छोटे-छोटे कामों के लिए नेहा को आवाज लगाती, यहां तक की कहती कि “मेरे घुटनों में दर्द है मेरा खाना मेरे कमरे में पहुंचा दो,बहू मुझसे नीचे ना उतरा जाएगा मैं प्लेट में हाथ धो लूंगी तो प्लेट लेकर ले जाना।” इन सब बातों से नेहा बहुत परेशान हो जाती।

जब नेहा उनका प्लेट उठाने गई तो पीछे से मानव भी वहां आ गए। विमला जी झट से प्लेट पकड़ी और बोलीं “अरे बहु इतना भी करने की क्या जरूरत है मैं प्लेट जाकर रसोई में रख दूंगी।” नेहा आश्चर्य से विमला जी को देखने लगी “मानव बोले कोई बात नहीं मां ये प्लेट मुझे दे दो मैं रख दूंगा। मौसम बदल रहा है बूढ़ी हड्डियों में दर्द होता होगा आप आराम कीजिए हम चलते हैं।” इतना कहकर वो चले गए।

      अगले दिन नेहा को सर में बहुत दर्द हो रहा था वो विमला जी से बोली “मम्मी जी मेरे सर में बहुत दर्द है और आज बच्चों की छुट्टी है तो क्या थोड़ी देर आप उन्हें संभाल सकती हैं..? खाना बनाकर रख दी हूं इन्हें भी दे दीजिएगा और खुद भी खा लीजिएगा।” वो बोलीं “बहु मैं तो पड़ोस की अपनी सहेली से मिलने जा रही थी तुमने मुझे इन शैतानों के बीच में फंसा दिया।”

नेहा बोली “मम्मी जी बस कुछ धंटे की बात है मैं थोड़ा आराम कर लूं।” इतना कहकर वो चली गई, थोड़ी देर बाद विमला जी की बेटी बबीता का फोन आया वो बेटी से बोलीं “जानती हो जब तक तुम्हारा भाई रहता है तुम्हारी भाभी मेरे बगल में बैठती है, चाय पानी पूछती है और अगर वो ना हो तो महारानी के दर्शन दुर्लभ हो जाते हैं! इतना ही नहीं बच्चों की छुट्टी थी तो बच्चों की जिम्मेदारी भी मुझ पर सौंपकर आराम फरमाने चली गई।”




    2 दिन बाद वही सहेली कुछ और औरतों के साथ उनसे मिलने आई तो विमला जी नेहा से बोलीं “बहू तीन-चार कप चाय और बिस्कुट बाहर दे दो। नेहा ने सबको चाय दी और वहां से चली गई तो उनमें से एक औरत बोली “आजकल की बहुओं को हमारे लिए वक्त कहां मिलता है दिन भर फोन में लगी रहती हैं। एक समय था जब हम खाली होते थे तो अपनी सास से बातें करते थे और साथ में उनके पांव दबाते थे।”

    उनमें से एक महिला बोली “मौसम बदल रहा हूं मानव की मां क्या आपके घुटनों में भी दर्द होता है? मेरे तो घुटने में बहुत दर्द होता है।” विमला जी बोलीं “दर्द हो मेरे दुश्मन को, मैं भली चंगी हूं अभी भी मैं अपनी बहू से 4 गुना काम ज्यादा कर सकती हूं वो बात अलग है कि मैं करती नहीं हूं।” उनकी बातें सुनकर सब हंसने लगी।

शाम में मानव के आने से पहले ही हर रोज की तरह विमला जी अपने कमरे में जाकर बैठ जाती। मानव बोला “आज फिर मां अपने कमरे में बैठी है तबीयत तो ठीक है ..?” नेहा बोली “मैं कुछ कहूंगी तो उसका दूसरा मतलब निकाला जाएगा। आज पूरे दिन अपनी सहेलियों के साथ गप्पे मार रही थी और अब देखिए तो रूम में बैठी हैं।”

नेहा ने आवाज लगाई “मम्मी जी ये आ गए हैं आप चाय पिएंगी क्या. ?” विमला जी बड़े दुखी आवाज में बोलीं “बहू मेरे पैरों में बहुत दर्द है मैं वहां नहीं आ पाऊंगी। ऐसा करो एक चाय मेरे लिए भी बना दो, उसमें थोड़ी सी अदरक और इलायची भी डाल देना और मेरे कमरे में दे देना।” 

नेहा जाकर बोली “दोपहर में तो आपके पैर में दर्द नहीं था, आप मुझसे 4 गुना काम ज्यादा कर सकती हैं ये कह रही थी और कुछ घंटे में ही पैरों में दर्द होने लगे..!”

    विमला जी बोली “बहू बूढ़ी हड्डियों का क्या है कब दर्द उठ जाए कौन जानता है। तुम्हें क्या लगता है मैं झूठ बोल रही हूं, बेटा मानव मैं झूठ नहीं बोल रही हूं सच में मेरे पैरों में दर्द है।” मानव बोले “मां इसके कहने का वो मतलब नहीं था  ठीक है मैं ही आपके कमरे में चाय ले आऊंगा आप आराम कीजिए।” इतना कहकर वहां से चले गए। नेहा सास को तिरछी निगाहों से देखते हुए सोची, भलाई का तो जमाना ही नहीं है कितने दोहरे चेहरे बनाती हैं ये तो टीवी की सास को भी फेल कर देंगी।




    करीब 2 हफ्ते बाद बबीता मायके आने वाली थी तो विमला जी खूब जोर शोर से तैयारी करवा रही थीं। नेहा बोली “मम्मी जी 2 हफ्ते पहले आपके घुटनों में दर्द था तो ये सब क्यों करवा रही हैं..!” विमला जी बोलीं “बहू मेरी तबीयत ठीक है क्यों मेरा ठीक होना तुम्हें अच्छा नहीं लग रहा है।”

   नेहा बोली “मम्मी जी जैसी भावना आप अपनी बेटी के लिए रखती है काश कि मेरे लिए भी रखतीं। आपने मुझ पर दोष लगाया था कि मैं दोहरे रिश्ते और दोहरे चेहरे बनाती हूं, कभी शीशे के सामने अपने व्यक्तित्व को देखिएगा आपको जवाब खुद मिल जाएगा। जब भी आपका बेटा सामने आता है आप अपनी भूमिका बदल लेती हैं ऐसा क्यों..! मैंने आपके साथ ऐसा खराब व्यवहार कब किया जो आप हमारे रिश्ते को दोहरा रूप दे रही हैं.?” विमला जी ने कोई जवाब नहीं दिया तो नेहा वहां से चली गई।

शाम में जब मानव घर आए तो घर की काया बदली हुई थी परंतु शांति भी बहुत थी। जब मानव ने नेहा से पूछा तो नेहा ने विस्तार में सब कुछ बताया मानव बोले “तुम्हें मां से ऐसे नहीं कहना चाहिए था। समझता हूं कि उन्होंने तुम्हारे साथ खराब व्यवहार किया  पर तुम भी वैसा करोगी तो तुम में और उनमें क्या फर्क रह जाएगा।”

     बेटी के आते ही विमला जी बहू को कभी चाय पूछती तो उसकी मदद करती कुछ रोज बाद जब बेटी चली गई तो फिर विमला जी का रंग ढंग वैसा ही हो गया।

 एक रोज मानव बोला “मां कुछ दिन पहले आप नेहा के साथ बड़े अच्छे ढंग से रह रही थी तो मुझे संतोष हुआ कि आप लोगों का रिश्ता ठीक हो गया। अब फिर से वही, ये अपनेपन का ढोंग करते करते आप लोग थकती नहीं हो..? ईश्वर ने इतना सुंदर रिश्ता बनाया है फिर न जाने क्यों दोहरे रिश्ते बना रही हैं, एक उम्र हो जाने के बाद जब आप दोनों पीछे मुड़कर देखेंगी कि एक दूसरे के साथ कैसा व्यवहार किया तो सोचिए आप लोगों को कैसा महसूस होगा।”

    विमला जी ने सारे दोष नेहा पर लगा दिया नेहा गुस्से में उन्हें देख रही थी मानव बोले “मैं पत्नी का पक्ष नहीं लूंगा हो सकता है नेहा से भी कुछ गलती हुई होगी। परंतु आप ये भी तो मानती है कि आज न कल आपको नेहा के साथ ही रहना है, जब घर में ही शांति नहीं होगी तो सोचिए बाहर मुझे क्या शांति मिलेगी इससे अच्छा तो मैं दफ्तर में ही रह लिया करूं।” इतना कहकर मानव अपने कमरे में चला गया।

विमला जी नेहा से बोलीं “बहू ये ठीक नहीं हुआ हमारी गलतियों की वजह से मेरा बेटा दुखी हो गया।” नेहा बोली “मम्मी जी फिर से आप अपनी गलती मुझ पर डाल रही है.! आप कितने रूप बदलती हैं अब इसमें मेरी क्या गलती है, यही न कि मैं आपको टोकती हूं बंद कीजिए ये चूहे बिल्लियों का खेल अब मैं थक गई हूं। मम्मी जी आपको एहसास नहीं हो रहा कि हमारे रिश्ते दिन-ब-दिन खराब होते चले जाएंगे जिससे मैं आपको फायदा होगा ना मुझे।”

विमला जी बोली “बहु थक तो मैं भी गई हूं कोशिश करूंगी आगे से जो भी मेरे मन में हो तुम्हारे सामने कहूं। बस तुम मेरी कुछ बातों को मान लेना तो मैं भी तुम्हें ताने नहीं दूंगी, और ना ही बात बात पर तुम्हें परेशान करूंगी बहू मैं इतनी भी बुरी सास नहीं हूं।”

     अगले दिन दोनों ने मानव के सामने अपने मन की बात कही और कसम खाई कि आगे से वो कभी भी बातों को दूसरा मोर नहीं देंगी जो भी कहना होगा आमने-सामने बैठकर कहेंगी। मानव खुश हुए और बोले “देखता हूं ये सास बहू की जोड़ी कब तक एक रहती है..! है तो ये दुनिया का सातवां अजूबा पर अगर औरतें चाहें तो क्या नहीं कर सकती.., हर घर में छोटी मोटी बातें होती रहती है परंतु रिश्तों में मुखौटों की जरूरत नहीं पड़नी चाहिए। बस इतना ही कर दीजिए आप दोनों मेरे लिए तो ये सबसे बड़ा उपहार होगा।” मानव के इतना कहते हैं दोनों हंसने लगे।

      उस दिन घर में शांति रही पर सास तो सास होती है अपनी कुर्सी और अपना वादा कैसे भूल सकती है। विमला जी ने छोटी-छोटी बातों पर नेहा को रोकना टोकना शुरू किया, मानव को दुखी देखकर नेहा सोची मम्मी जी तो नहीं मानेगी पर अगर मैंने अपने आप को नहीं बदला तो कहीं मैं अपनी बहू के साथ भी यही दोहरा व्यवहार न करूं इसके लिए मुझे इनकी कुछ बातों को नजरअंदाज ही करना पड़ेगा। अब विमला जी कुछ भी कहती पर नेहा अपने तरीके से रहने लगी।

सच कहा किसी ने अगर चैन से जीना है तो कुछ बातों को नजरअंदाज जरूर करना चाहिए। परंतु रिश्तों में दोहरा व्यवहार कभी नहीं इससे रिश्ते थोड़े वक्त के लिए अच्छे लगते हैं पर भविष्य में वो टिकते नहीं है।

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#दोहरे_चेहरे

निधि शर्मा

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