“अरे ओ राजू के बापू देखो तुम्हारा लाडला क्या कांड करके आया है”… राजू की माँ अनारो अपने एकलौते बेटे को दुल्हे के भेष में देख गला फाड़ कर चिल्ला रही थी,
“क्या आफत आ गयी, काहे चिल्ला रही हो” गुटखा चबाते हुए राजू के बाप ने बेटे को दुल्हे के भेष में और साथ ही उससे उम्र में थोड़ी बड़ी दिखने वाली महिला को दुल्हन के साज श्रृंगार में देखा
तो सारा माजरा समझ गया… अब तो दोनों राजू और उसकी दुल्हन को कोसने लगे की ये बेमेल विवाह करके हमारी “इज़्ज़त में बट्टा ” लगा दिया…
गली के लोग भी तमाशा देखने अपने अपने घरों से मजे लेने के लिए झांकने लगे।
तभी राजू अपने माँ बापू को एक ओर ले जाकर बोला…. इसका पति एक दुर्घटना में मर गया था, लाखों की जायदाद , घर और गाड़ी की अकेली वारिस है,
बड़ी मुश्किल से अपने प्यार में फंसाकर शादी की है, अब तुम दोनों मेरा खेल मत बिगाडो… पैसों की बात आते ही दोनों ने अपने रंग बदल लिए,
आरती की थाली हाथों में लेकर गृह प्रवेश कराती हुई राजू की माँ बोली… “मेरी बहु तो साक्षात लक्ष्मी का रूप है”…
थोड़ी देर पहले जो दुल्हन #इज़्ज़त में बट्टा लग रही थी, वही अब पैसों के कारण लक्ष्मी का रूप हो गयी थी।
वाह रे रंग बदलती दुनिया तेरा जवाब नही।।।
#मुहावरा प्रतियोगिता
#इज़्ज़त में बट्टा लगाना
कविता भडाना✍️