प्यार की निशानी – डा.मधु आंधीवाल
- Betiyan Team
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- on Feb 11, 2023
अवनी पंलग पर रखे टैडी वीयर को अपलक देख रही थी । वह उसे किसी को देकर भी उन यादों से पीछा नहीं छुटा सकती थी । ये उसकी छोटी बहन नेहा का था । इस टैडी वीयर को नेहा किसी को छूने नहीं देती थी पर अवनी को उसे छेड़ने में ही मजा आता था । अवनी और नेहा दोनों राजेश जी और ममता की लाडली बेटियाँ थी । दोनों में आयु का अन्तर भी एक साल का था । इसलिये अधिकतर सब उन्हें जुड़वा समझते थे । धीरे धीरे दोनों लड़ते झगड़ते पता ना कब यौवनावस्था में प्रवेश कर गयी । दोनों ही कालिज में सबके बीच मशहूर थी अपनी प्यारी प्यारी शैतानियो के लिये । पढ़ाई के साथ साथ खेल कूद व अन्य गतिविधियों में भी आगे रहती । राजेश जी ने दोनों के लिये बहुत सपने देखे थे । राजेश जी के दोस्त सुनील जी का बेटा मयंक शुरु से राजेश जी को बहुत पसंद था । वह सुनील जी से कहते देख एक दिन तेरे बेटे को चुरा लूंगा । सुनील जी को नेहा बहुत पसंद थी क्योंकि उनके कोई बेटी नहीं थी दो बेटे थे । मयंक शुरू से ही हास्टिल में रह कर पढ़ा था । अब उसका सलैक्शन आर्मी में होगया ।
वह बहुत दिन बाद राजेश जी के यहाँ आया जब उसने नेहा को देखा बस पहली नजर में ही दिल में समा गयी । नेहा भी उसे देख कर कुछ सतरंगी सपने देखने लगी । अवनी से यह बात नहीं छिपी पर नेहा ने कहा अवनी मां पापा को अभी मत बताना । मयंक की पोस्टिंग सीमा पर होगयी उसके जाने का समय नजदीक आ रहा था । जाने से पहले वह नेहा से मिला और अपने प्यार का इजहार यही प्यारा सा टैडी देकर किया । नेहा तो खुशी से मयंक से लिपट गयी बोली मां पापा से कौन बात करेगा । मयंक ने कहा मेरे पापा और तुम्हारे पापा दोनों को पता है। मैं बस लौट कर आऊंगा और तुम्हें ले जाऊंगा ।
जब तक मेरी निशानी टैडी को हमेशा अपने पास रखना । नेहा टैडी को अपने साथ ही रखती । सीमा पर युद्ध की आशंका से सैन्य अधिकारियों की छुट्टियां रद्द हो गयी थी । नेहा बहुत बैचेनी से मयंक का इन्तजार कर रही थी । अवनी उसका दर्द समझती थी और हर समय उसका दिल बहलाती थी । एक दिन शाम को सब डिनर कर रहे थे अचानक ब्रेकिंग न्यूज आई दुश्मन के अचानक हमले से कुछ सैनिक वीर गति को प्राप्त हुये और उसमें मंयक का भी नाम था । इतना सुनकर दोनों घरों में मातम छा गया । नेहा बस चुपचाप टैडी को देखती रही अवनी ने उसे रूलाने की बहुत कोशिश की पर वह तो बेहोश हो चुकी थी । जब उसे होश नहीं आया तब डाक्टरों ने कहा कि यह कोमा में हैं पता नहीं कब तक होश आयेगा । बेहोशी में भी टैडी उसके सीने से कस के चिपटा हुआ था । आज उसकी बेहोशी भी हमेशा के लिये शान्त होगयी । वह भी चली गयी अपने मंयक के पास । अवनी उस टैडी को अपलक देख रही थी उसमें मंयक और नेहा का प्यार छिपा हुआ था । उसकी आंखों से आँसू बह रहे थे उसने बहुत जतन से उस प्यार की निशानी को गले लगा लिया ।
स्वरचित
डा.मधु आंधीवाल
अलीगढ़