प्यार “एक एहसास” – कविता भड़ाना

“सुमन आज बहुत खुश थी क्योंकि आज “सुमित” अपनी बहन के घर दो दिनों के लिए आ रहा था और ये बात सुमन को उसकी चाची की बहु यानी सुमित की बहन राधा ने बताई थी…

संयुक्त परिवार में रहने वाली सुमन के पिता चार भाई है और सभी एक साथ बहुत बड़े हवेलीनुमा घर में रहते है,चाचा ताऊ के कड़े अनुशासन में रहे सभी बच्चे पढ़ाई लिखाई में बहुत अच्छे थे , सभी बेटियां भी अपनी चाची ताई के साथ गृहकार्य में भी दक्ष थी, कुल मिलाकर बड़ा ही प्यारा और संस्कारी परिवार था सुमन का।

 

बड़े चाचा के बेटे की शादी में पहली बार सुमित और सुमन एक दूसरे से मिले थे। उस समय सुमन 12वी कर रही थी और सुमित कॉलेज में था, 6 फुट लंबा बांका जवान सुमित पहली ही नजर में सुमन के दिल में उतरता ही चला गया, यही हाल सुमित का भी था..सुंदर नैन नक्श वाली लंबी, पर गोलू मोलू सी सुमन भी बहुत प्यारी थी…. पूरी शादी में दोनों एक दूसरे को चोरी चोरी देखते रहे, दोनो के दिलों में ही पहले प्यार की फुहार पड़ चुकी थी और अब उसकी सोंधी सौंधी खुशबू दोनों के ही तन और मन को महका रही थी…. बात थोड़ी पुरानी है उस समय मोबाइल फ़ोन नहीं हुआ करते थे और घर में भी एक ही लैंडलाइन फ़ोन हुआ करता था, जिस पर घरवालों की भी पूरी नजर हुआ करती थी। 

खैर सुमित अपनी बहन राधा से मिलने साल में दो या तीन बार जरूर आता तब सुमन उसके आस पास ही बनी रहती परंतु संयुक्त परिवार के कारण कभी भी दोनों को अकेले बात करने का मौका नहीं मिला पर आंखों ही आंखों में दोनो अपने प्यार का इजहार कर चुके थे।

एक बार सुमन को अपनी भाभी राधा के घर जानें का मौका मिला तो सुमन खुशी से झूम उठी, उधर सुमित को भी कुछ नहीं पता था, शाम को आफिस से घर आकर राधा के साथ सुमन को देखा तो यकीन ही नहीं हुआ।

राधा भी समझ रही थी की दोनो एक दूसरे को पसंद करने लगे है और मन ही मन उसने सोच लिया था की इन दोनो की शादी की बात वह जरूर चलाएगी।



इधर सुमित सुमन से खूब बात कर रहा था पर अपने शर्मीले स्वभाव की वजह से सुमन हा हूं ही करती रही , शर्म से गुलाबी हुई जा रही सुमन को देख सुमित को और भी अधिक प्यार आ रहा था… अगले दिन घर वापसी से पहले सुमित ने सुमन को एक “प्रेम पत्र” दिया और कहा “जवाब का इंतजार रहेगा”। इधर सुमन की हालत खराब हो रही थी की प्रेम पत्र को कहा पर छुपा कर रखे और कुछ ना सूझने पर उसने अपने बैग में पत्र को छुपा कर रख लिया और धड़कते दिल से भाभी के साथ घर आ गई।

पहले प्यार की पहली चिट्ठी पढ़ने के लिए अपना कमरा बंद कर जब उसने चिट्ठी पढ़ी तो खुशी से उछल पड़ी..

 

सुमित ने अपने प्यार के इजहार के साथ साथ शादी का प्रस्ताव भी रखा था और सबसे सुखद बात ये लिखी थी कि राधा को दोनो के बारे में सब पता है और दोनो के घरवालों को वो शादी के लिए मना भी लेगी साथ ही तीन दिन बाद 4 बजे शाम को फोन करने का वादा भी किया था और लिखा था की यदि तुम्हारी भी “हां” है तो फोन उठा लेना और बस “हां” बोल देना आगे हम भाई बहन(राधा और सुमित) देख लेंगे।…

नीचे लाल पेन से “I Love you ” लिखा था साथ में एक लाल गुलाब का फूल भी था, जिसकी मीठी मीठी खुशबू सुमन को मदहोश किए जा रही थी की तभी दरवाजे पर थाप सुनाई दी, सुमन ने जल्दी से पत्र और गुलाब के फूल को अपने बैग में रखा और दरवाजा खोला तो देखा राधा भाभी मंद मंद रहस्यमई मुस्कान के साथ खड़ी है उन्हे देख सुमन शरमा कर उनके गले लग गई।

राधा ने शरारत से पूछा “क्यों सुमन क्या तुम बनोगी सुमित की दुल्हनिया और मेरी भाभी?” सुमन ने धीरे से कहा इसका जवाब तो में दो दिन बाद फोन पर ही दूंगी और फिर से राधा के गले लग गई।

दो दिन में जानें कितनी ही बार सुमित का दिया प्रेम पत्र पढ़ पढ़ कर सुमन हजारों सुहाने सपने बुन चुकी थी। 

इधर राधा ने भी अपने पति के कानों में ये बात डाल दी थी और उसने घरवालों के सामने ये बात रखी तो सभी को ये सुझाव और रिश्ता बहुत पसंद आया, सुमित अपने घर का इकलौता बेटा और अच्छे जमे जमाए कारोबार को अपने पिता के साथ देखता था।

राधा ने ये बात सुमन को बताई तो खुशी से उसकी आंखो में आंसू ही आ गए, अपनी किस्मत पर यकीन नही हो रहा था अब तो बस उसे कल का इंतजार था ।



ना जाने ये समय आज इतने धीरे धीरे क्यों बीत रहा है सुमन बहुत बेसब्री से 4 बजने का इंतजार कर रही थी और फोन के आस पास ही मंडरा रही थी वो नही चाहती थी की आज उसका फोन कोई और उठाए, 3 बजते बजते सुमन की धड़कने बढ़ने लगी थी और सुमित उसकी “हां” सुनकर कैसे रिएक्ट करेगा, ये सोच सोच कर मुस्कुरा रही थी की फोन की घनघनाहट से सुमन चौंकी, उसने समय देखा साढ़े तीन ही हुए थे की तभी राधा भाभी फोन पर बात करते करते चीख के साथ बेहोश हो गई, सब दौड़ कर आए और फोन पर बात की तो पता चला राधा के भाई ” सुमित ” की सड़क दुर्घटना में 3 बजे “मौत” हो गई है।……

ये खबर सुनकर सुमन तो जैसे सुधबुध ही खो बैठी, ये कैसा अन्याय कर दिया था ईश्वर ने,  जिस प्यार पर अपने “हां” की मोहर लगाती, उस प्यार पर काल ने अपनी मोहर लगा दी थी। सुमित का चेहरा बार बार आंखों के सामने आने लगा जैसे सुमन से पूछ रहा हो बताओं सुमन क्या हैं तुम्हारा जवाब? नीम बेहोशी की हालत में भी सुमन के मुंह से “हां”निकला और उधर घड़ी में “4 बज” गए।…

 

अधुरे और सच्चे प्यार को जब उसकी मंजिल नहीं मिलती तो उसकी टीस ताउम्र बनी रहती है…आज सुमन अपने पति और बच्चों के साथ एक खुशहाल जीवन जी रही है परंतु इतने सालों के बाद भी सुमित उसकी यादों में,उसके दिल में बसा हुआ है और हां आज भी सुमन को शाम के 4बजे का इंतजार रहता है…जो सिर्फ आंखों को नमी और दर्द देकर जाता है।…. शायद इसीलिए कहते भी है की

“जो मुक्कमल नही होता, वही सच्चा प्यार होता है”

 

“प्रिय पाठकों ये रचना एक सच्ची घटना है। नाम और पात्रों में बदलाव किया है , चाहती तो अंत सुखद कर सकती थी परंतु फिर मौलिकता नही रहती… नायिका मेरी बहुत अच्छी सहेली है और कॉलेज के समय की ये घटना नायिका की सहमति से रचना के रूप में आप सभी के साथ सांझा कर रही हूं।

आपकी अमूल्य प्रतिक्रियाओं का इंतजार रहेगा।

स्वरचित

#प्यार

कविता भड़ाना

 

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!