प्रेम के मसाले से बना सास बहू का रिश्ता कैसा होगा.! – निधि शर्मा
- Betiyan Team
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- on Feb 10, 2023
“अरे विमला बहन इससे अच्छी तो मैं गांव में थी कम से कम आस पड़ोस की औरतें मिल जाती थी और वक्त भी कट जाता था। बहू की बातों में आकर मुकेश (बेटा) ने जिद्द करके मुझे यहां बुला तो लिया पर एक बार ये नहीं सोचा कि गांव के जमीन और घर को कौन देखेगा और ये नहीं सोचा कि शहर में मेरी मां कितनी अकेली हो जाएगी।” मंजू जी अपने गांव की पड़ोसन विमला बहन से कहती हैं।
विमला जी बोलीं “अरे मंजू बहन दूर कर ढोल सुहाना होता है। आप ही हर समय ये गीत गाती थी कि मेरा बेटा शहर में रहता है, बड़े घर में और मोटर में घूमता है अब क्या हुआ हो गई न वहां अकेली..! अच्छा एक बात कहो मंजू बहन आपकी बहू के साथ प्रेम से रहती तो है कहीं आपसे घर का काम तो नहीं करवाती..? थोड़ा दबाव बनाए रखना वरना ये शहरी बहुएं अपनी सास को नौकरानी बना कर रखती है।”
मंजू जी बोलीं “नहीं विमला बहन काम वाम तो नहीं करवाती पर कभी-कभी मेरा बेटा ही कहता है कि मां आप गट्टे की सब्जी अच्छी बनाती थी तो मैं ही कभी-कभी उसके पसंद की सब्जी बना देती हूं। और वैसे भी बहु का मायका हमारे जैसे छोटे शहर में ही है मुझसे उसका कुछ छुपा हुआ नहीं है, कुछ गलती करें तब तो दबाव बनाऊं हर वक्त प्रेम भरी बातें करती है..! अब आप ही बताओ सास वाला रुतबा दिखाऊं तो कैसे..?”
दोनों सहेलियां बातें कर रही थीं तो मंजू जी बोलीं “यहां बिल्कुल मन नहीं लगता खाना तो बिल्कुल पचता ही नहीं है। तीनो टाइम खाती हूं और घर में रहती हूं, ज्यादा से ज्यादा बहू के कहने पर बगीचे में जाकर टहल लेती पर बताओ बगीचे में टहलने से क्या खाना पचगा.! अरे जब तक 4 सहेलियां मिले नहीं इधर उधर की बातें नहीं कि कैसे पचेगा खाना..?” इतना कहकर मंजू जी ठहाके लगाने लगीं।
जैसे ही उन्होंने अपनी बहू नेहा को देखा फोन पर कुछ फुसफुसाकर बोलीं और फोन रखते हुए बोलीं “बहू कब की गई अब आ रही हो..! मुकेश कुछ कहता नहीं तो तुम उसकी अच्छाई का फायदा उठाती हो, ये भी नहीं सोची कि सास बेचारी घर में अकेली होगी बस बैग टांगी और निकल गई सहेलियों के साथ..।”
नेहा मुस्कुराकर बोली “मम्मी जी आप भूल रही हैं जाने से पहले मैंने आपसे पूछा था कि क्या आप मेरे साथ बाजार चलेंगी पर आपने मना कर दिया था। मैं तो बस सब्जी भाजी लेने गई थी देखिए कितने सुंदर हरे मटर मिले हैं फिर वहां कुछ सहेलियां मिल गई तो कुछ बातें भी कर ली, अब आप तो घर में मुझसे बातें करती नहीं है तो क्या करूं..?”
मंजू जी बोलीं “मुझे क्या अपनी सहेलियों जैसा समझा है कि मैं तुम लोगों की तरह दूसरे की माओं की शिकायत करती रहूं। इस उम्र में अगर ये सब करूंगी तो कितना पाप लगेगा, इसीलिए कहती थी मैं गांव में ही अच्छी हूं पर तुम दोनों ने मेरी एक नहीं सुनी और मुझे यहां बुला लिया यहां तो किसी के पास मेरे लिए वक्त ही नहीं है।”
नेहा झट से थैला नीचे रखी और अपनी सास का हाथ पकड़ कर बोली “मम्मी जी एक बार मेरी सखी बनकर तो देखिए बड़ा मजा आएगा…! ना आपको गांव की विमला चाची को फोन करना पड़ेगा और ना ही मुझे अपनी सहेलियों से बातें करना पड़ेगी। सोचिए जरा जब हम दोनों सबकी खबर लेंगे तो कितना मजा आएगा और आपका खाना भी पच जाएगा।”
मंजू जी नेहा को आंखें दिखाते हुए बोलीं “बहू क्या तुम्हारे मां बाप ने यही संस्कार दिए हैं कि छुपकर अपनी सास की बातें सुनो..! तुम कोई दूसरी बहुओं से अलग तो हो नहीं, मुझे सब पता है तुम्हारा भी बहुत मन करता है कि अपनी सास की जाकर बुराई करूं पर मैं कुछ ऐसा काम करती ही नहीं कि तुम मेरी बुराई करोगी..।”
नेहा बोली “मम्मी जी आप तो बुरा मान गईं मैं तो इसलिए कह रही थी कि आपका मन नहीं लगता है तो मुझे सहेली बना लीजिए। जो रिश्ता प्रेम के मसाले से बन सकता है उसमें मिर्ची की क्या जरूरत है, अब आपकी मर्जी अगर आपको विमला चाची ही पसंद है तो ठीक है।” इतना कहते हुए नेहा मुस्कुराते हुए वहां से चली गई।
अगले कुछ दिनों तक मंजू जी लगातार विमला जी को फोन करती पर वो उठाती नहीं थीं। एक रोज उनकी बहू ने फोन उठाया और बोली “चाची जी शहर जाकर भी आप लोगों को चैन नहीं है दिनभर बहुओं की शिकायत करती हो..! आपकी सहेली फोन यहां छोड़कर अपनी ननद के घर गई है, आएंगी तो आपकी खबर दे दूंगी बार-बार फोन ना किया करो।” इतना कहकर उसने फोन रख दिया।
मंजू जी के तो होश ही उड़ गए वो फोन को बगल में रखकर बोलीं “हे राम ये विमला बहन कितना झूठ बोलती है..! बताओ मुझे कहती है अपनी बहू पर दबाव बनाकर रखो, यहां खुद की बहु तो संभलती नहीं है मुझे नसीहत देती है।” इतना कहकर वो अकेले ही हंस रही थीं।
तभी उधर से टोकरी में मटर लेकर नेहा आई और बोली “अरे क्या बात है मम्मी जी अकेली हंस रही हैं मुझे भी बता दीजिए तो दोनों मिलकर हसेंगे।” मंजू जी चुप हो गई और बोलीं “अरे नहीं बहु कोई बात नहीं…” नेहा ने बार-बार पूछा तब मंजू जी ने पूरी बात बताई तो नेहा भी उनके साथ हंसने लगी। बातें करते करते दोनों मटर छीलने लगे और थोड़ी देर में पूरा मटर निकल गया।
धीरे-धीरे समय बीतने लगा और सास बहु की दोस्ती होने लगी। नेहा अब अपने पति की पसंद के व्यंजन अपनी सास से पूछ पूछ कर बनाती तो मंजू जी को भी लगता कि उनकी बहू हर काम उनसे पूछ कर करती है।
एक रोज नेहा की सहेली उसे बुलाने आई नेहा अपनी सास के साथ मिलकर चिक्की बना रही थी। मंजू जी बोलीं “बहू अगर तुम्हें कहीं घूमने जाना है तो तुम जाओ मैं ये चिक्की बना दूंगी।” नेहा सहेली से बोली “मैं आप लोगों के साथ नहीं आ सकती मुझे मम्मी जी के साथ मिलकर चिक्की बनाने में ज्यादा मजा आ रहा है।”
नेहा की सहेली धीरे से बोली “नेहा तुम्हें नहीं लगता तुम अपनी सहेलियों को छोड़कर अपनी सास के साथ ज्यादा वक्त बिता रही हो..?” नेहा हंसकर बोली “इसमें कौन सी बुरी बात है जो मैं अपनी सहेलियों के साथ करती हूं वही सब अपनी सास के साथ मिलकर करती हूं। बस यहां एक फायदा है चीजें भी सीख लेती हूं और अब हम दोनों एक दूसरे की शिकायतें ना करते ना सुनते हैं..! बल्कि सबकी चुगली करके सहेलियों वाले मजे लेते हैं।” उसकी बात सुनकर जहां उसकी सहेली आश्चर्य से हंसने लगी वहीं ये सारी बातें मंजू जी सुनकर मुस्कुरा रही थीं।
कभी-कभी एक दूसरे से दोनों नाराज भी हो जाती थी फिर जब मन नहीं लगता तो एक दूसरे को मना भी लेती थी। एक रोज विमला जी का फोन आया मंजू देवी फोन को स्पीकर पर डाला “अरे मंजू बहन क्या कहूं जाने समय बहु मुझे फोन देना ही भूल गई। आकर मैंने बहू को कितनी डांट सुनाई पर मजाल है कि एक शब्द बोल दे..।” मंजू जी के साथ नेहा की भी हंसी छूट गई। विमला जी बोलीं “मंजू बहन आपको अपनी सखी पर भरोसा नहीं,अच्छा छोड़ो ये बात अपनी बहू की बात बताओ..।”
मंजू जी बोली “विमला बहन रहने दो आप अगर हमारी पक्की सहेली होती तो हमसे झूठ ना बोलतीं। आपकी और आपकी बहू की कितनी बनती है ये मुझे सब पता चल गया है और जहां तक मेरी बहू की बात है अब वो बहू कम मेरी सहेली बन गई है, मुझे तो अब यहां बहुत मन लगता है आप इधर उधर की खबरें सुनने के लिए किसी और को ढूंढ लो।”
सास बहू ठहाके लगा रही थी तो उधर से मुकेश आया और बोला “मां इसके साथ आप भी शुरू हो गई अरे क्या आप भूल रही हो कि आप इसकी सास हो..!” मंजू जी बोलीं “तुम तो चुप ही रहो पूरे दिन दफ्तर में रहते हो और जब घर आते हो तो खाते हो, टीवी देखते हो फिर सो जाते हो..! पूरे दिन ये बेचारी मेरे साथ रहती है अब इससे बातें ना करूं तो क्या तुमसे बातें करूं..?”
मुकेश आश्चर्य से दोनों को देख रहा था तो नेहा मुस्कुराते हुए वहां आई और गुनगुनाने लगी “सौ सौ साल जियो हमारी सासु जी हमको लागे मां से प्यारी सासू जी..”। जहां नेहा मानव को चिढ़ा रही थी वही मंजू जी दोनों को प्यार और आशीर्वाद दे रही थीं।
मुकेश बोला “मां आपने इसे बिगाड़ दिया है ये तो अब मेरी एक नहीं सुनती उल्टा आपका नाम लेकर मुझे धमकाती है..! मंजू जी हंसकर बोलीं “बेटा आज के जमाने में जिस घर में सास बहू की बनती हो उस घर से सुखी और कोई घर नहीं हो सकता। तुम ये देखो इसने मुझे यहां इतना अपनापन दिया कि मुझे अब गांव की याद नहीं आती, बेचारी मेरी वजह से अपनी मां और सहेलियों के पास भी कम जाती है..! मैं तो कहती हूं तुमने कुछ अच्छे कर्म किए जो तुम्हें इतनी अच्छी पत्नी मिली है।” मां की बातें सुनकर मुकेश बहुत खुश हुआ और सब मिलकर एक साथ चाय पीने लगे।
दोस्तों अगर देखा जाए तो सहेलियां क्या करती हैं या तो एक-दूसरे की तारीफ करती हैं या चुगली करती है। अगर सास बहू में सहेलियों जैसा प्यारा रिश्ता हो तो सोचिए कितना मजा आए..! क्योंकि दोनों के पास उतनी ही बातें होती है और जब ये दोनों सहेलियां बन जाए तो घर में कलह ना हो और मर्दों को कोई टेंशन नहीं आप क्या कहते हैं..?
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# प्रेम
निधि शर्मा