Moral stories in hindi : पापा- प्रीत!बेटा! इस बार तू अपनी माँ के साथ ग्वालियर चली जा ,मेरे ऑफिस में बहुत अर्जेंट काम आ गया है इसलिए मैं नहीं जा पाऊँगा ।ऊपर से तेरी दोनों बहनों की परीक्षा भी है इसलिए मेरा यहाँ रहना बहुत जरूरी है तू अपनी माँ के साथ चली जा बेटा!!
प्रीत- पापा !! आप तो जानते हो न मामा के घर में मुझें कोई पसंद नहीं करता है ,सब मेरी मज़ाक उड़ाते हैं मेरे सांवले रंग को लेकर ।
पापा- अरे बेटा!!तब सब छोटे छोटे से थे अब सब बड़े हो गए हैं और समझदार भी ,अब ऐसा कुछ नहीं होगा देखना ।
मजबूरन रीत को अपनी माँ के साथ ग्वालियर जाना ही पड़ा ।
मामा के बेटे की सगाई जो थी ।
घर में कदम रखते ही सब ऐसे घूरने लगे उसे जैसे वो कोई अजूबा हो ।
प्रीत सांवली जरूर थी पर उसकी नैन-नक़्श की बात ही कुछ अलग थी ।प्रीत की सहेलियां तो उसकी सूरत पर फ़िदा थी और गुण तो उसमे कूट कूट कर भरा था ।
मामी माँ को एक कोने में ले जाकर बोली- क्या?दीदी इसे लेकर आ गई ।
माँ- क्या करती भाभी,आपके जिजाजी का अचानक काम आ गया और रीत और मीत की परीक्षा शूरू हो गई है तो मजबूरन प्रीत को ही साथ लाना पड़ा,मेरी तबीयत ठीक नहीं,इतने दूर का सफ़र अकेले करने में डर लगता है ।सगाई होते ही चली जाऊंगी ।
मामी- ओ प्रीत!जरा सुनना इधर!जब तक तू यहाँ है रसोई संभाल लेना और हाँ ज्यादा मेहमानो के सामने मत आना ।
किसी तरह दो दिन बीत गये ।सगाई भी हो गई ।मेहमान भी चले गए ।कुछ करीबी रिश्तेदार ही रूक हुए थे ।
सावन का महीना था बाहर जोरो से बारिश हो रही थी ।तभी मामा नें फर्माईश की चाय पकोड़े की ।
प्रीत फटाफट सबके लिए चाय पकोड़े बना कर बैठक में ले जाने लगी अचानक मामा की बातों से प्रीत के कदम रूक गए ।
मामा – देख बहना!ज्यादा सोच विचार मत कर,जो भी मिले जैसा भी मिलें शादी पक्की कर दे ।
मामी- दीदी! आपकी और भी तो दो बेटियाँ है,माना की उनके लिए आपको चिंता नहीं है दोनो तो बिल्कुल परी है ।
माँ- मैं तो यहीं चाहती हूँ!पर प्रीत के पापा ये नहीं चाहते
अब मैं क्या करूँ सांवले रंग के कारण कोई पसंद नहीं कर रहा है और जो कर रहा है इतनी दहेज मांग रहा जो हमारे वश में नहीं है ।
तभी चंदा (मामा की छोटी बेटी) बोली – इससे कौन शादी करेगा !बोल कर ख़ूब हँसने लगी ।
प्रीत को खुद पर बहुत गुस्सा आ रहा था,किसी तरह खुद को संभालते हुए सबको चाय पकोड़े देने लगी ।तभी उसकी नज़र मामी के भतीजे पर पड़ी जो उसे एक दृष्टि से देखें जा रहा था ।दोनों की आंखें चार होना और प्रीत के मन में एक सिहरन सी दौड़ गई ।
प्रीत नें जैसें ही चाय की प्याली उसकी तरफ़ बढ़ाई ।
गौरव नें प्रीत के आंखों में देखतें हुए पूँछा- प्रीत! क्या तुम मुझसे शादी करोगी?
ये बात सुनते ही सब अवाक रह गए ।गौरव जैसा सुंदर सजीला नौजवान ऊपर से डॉक्टर प्रीत जैसी लड़की से शादी करने की बात कैसें कर सकता है ।
प्रीत एक पल के लिए गौरव की आंखों में झांक कर देखी और शरमा कर वहाँ से चली गई ।गौरव को उसका जवाब मिल गया ।
प्रीत का सावन आज प्रेम रंग में रंग गया ।
मिठु डे मौलिक (स्वरचित )
वर्धमान- वेस्ट बंगाल