दिल का रिश्ता -रश्मि झा मिश्रा Moral stories in hindi
“नीलिमा नाम है ना तुम्हारा… तुम ही आई थी ना काम के लिए…!” ” हां साब… नीलिमा ही है… मेरी बेटी है… अब अकेले से नहीं होता मुझसे… इसलिए सोचा इसे भी लगा दूं काम पर…!” ” वह तो ठीक है… पर मुझे दिन भर वाली बाई चाहिए…!” मिलिंद बाबू ने पूछते हुए कहा…” यह … Read more