पुनर्मिलन अपने प्यार से – संगीता अग्रवाल 

” शुक्र है अब सब कुछ सामान्य हो गया ..इस मास्क से भी लगभग छुटकारा मिल ही गया है !” नताशा फोन पर अपनी दोस्त शालिनी से बोली।

” हां यार सही कहा तुमने इस मास्क के चक्कर में कितनी लिपस्टिक खराब हो गई पड़े पड़े अब जब सब कुछ खुल गया अब नए शेड्स लाऊंगी मैं तो !” शालिनी उधर से बोली।

” हां यार और मुझे तो पुनर्मिलन भी करना है अपने प्यार से सच में बहुत बैचैन रहा ये दिल दो साल तक उसके बिना कितना सोचा मिलने की पर डर लगता था कोरोना से !” नताशा  कहीं खोती हुई सी बोली।

” क्या तेरा प्यार …तूने मुझे बताया भी नही बहुत खराब है तू तो !” शालिनी नाराज होते हुए बोली।

” अरे यार बताना क्या है मैं तुझे मिलवा ही दूंगी उससे सच तू भी फिदा हो जायेगी उसपर !” नताशा बोली।

” ठीक है कब मिलवा रही है मुझे उससे !” शालिनी फिर बोली।

” कल ही चल शाम को… वो जो हमारे कॉलेज के बाहर पार्क है ना वहां मिल मुझे !” नताशा बोली।

” ठीक है देखते है हम भी ऐसी क्या बात है उसमे जो मेरी दोस्त फिदा है उसपर !” शालिनी हंसते हुए बोली और फोन काट दिया।

शालिनी ने अपनी बाकी सहेलियों को भी नताशा के प्यार के बारे में बता दिया और सबको कॉलेज के बाहर पार्क के पास आने को बोल दिया।




नताशा और शालिनी दोनो सहेलियां एक कॉलेज में पढ़ती हैं। घर दूर होने के कारण कोरोना में मिलना कम हो पाता था। कॉलेज भी बंद थे अब कॉलेज खुलने का फरमान भी आ गया था तो दोनो सहेलियां खुश थी ….सबसे ज्यादा खुश नताशा थी अपने प्यार से जो मिलने वाली थी।

अगले दिन नताशा जब पार्क पहुंची तो उसकी क्लास की बहुत  सारी लड़कियां वहां मौजूद थी जिन्हें देख नताशा मुस्कुरा दी और समझ गई ये सब शालिनी का किया धरा है कोई बात जो नही छिपती उसके पेट में।

” चल यार हमे अपने प्यार से मिलवा दे…वैसे हम तो तुझे बहुत सीधी समझते थे पता नही था तू ये गुल खिला रही है !” ग्रुप में से एक लड़की बोली तो बाकी खिलखिला दी।

” चलो चलो मुझे तो खुद जल्दी है अपने प्यार से मिलने की।” नताशा मन ही मन मुस्कुराते हुए बोली।

” अरे यहां क्यों आई है तू सामने कैफे में बुला लेती उसे तेरे प्यार से मिलने की खुशी में हमे ट्रीट भी मिल जाती !” शालिनी नताशा को पास के गोलगप्पे की ठेली पर रुकते देख बोली।

 

” नही नही मेरा प्यार तो यही हैं …ये देखो !” नताशा ने सामने इशारा करते हुए कहा।




” पागल हुई है क्या तू तुझे ओर कोई नही मिला क्या ..देख नताशा प्यार अंधा होता है पर इतना नही प्लीज तू चल यहां से ?” शालिनी उसे खींचते हुए कान में फुसफुसाई।

” अरे पर इसमें क्या दिक्कत है मैं शुरू से दीवानी हूं इसकी देख अब ज्यादा बात मत कर ना मेरे और मेरे प्यार के बीच आ तुझे भी चाहिए तो बता वरना एक साइड खड़ी रह …!” नताशा ये बोल गोलगप्पे वाले की तरफ बढ़ गई सारी लड़कियां हैरानी से नताशा को देख रही थी।

” भैया जल्दी से मेरे प्यार से मिलवाइए तरस गई मैं तो इन दो सालों में !” नताशा गोलगप्पे वाले से बोली।

” भैया ….!” सारी लड़कियां एक साथ बोली और एक दूसरे को देखने लगी।

” आह मजा आ गया …भैया थोड़ा और चटपटा !” गोलगप्पे खाते हुए नताशा अच्छे से उसका स्वाद ले रही थी साथ साथ बाकी लड़कियों की हालत का मजा ले रही थी।

अब सभी लड़कियों को समझ आया कि नताशा गोलगप्पे वाले की नही गोलगप्पे की बात कर रही थी । सारी लड़कियां पहले तो झेंप गई फिर दौड़ कर नताशा के पास आई।

” तेरा ही नही हमारा भी प्यार है ये तो …भैया सबको खिलाइए गोलगप्पे और हां पैसे ये नताशा की बच्ची देगी !” शालिनी गोलगप्पे वाले से बोली और सारी लड़कियां टूट पड़ी गोलगप्पों पर।

गोलगप्पे खाने के बाद सभी लड़कियों ने नताशा की क्लास ली और वो हंसते हंसते दोहरी हो रही थी।

दोस्तों क्या आपका भी प्यार है गोलगप्पे जिसे आपने कोरोना में सबसे ज्यादा मिस किया।

आपकी दोस्त

संगीता अग्रवाल 

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