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पत्नी का प्रेम सबसे जुदा – निधि शर्मा 

“अपना ध्यान रखिएगा और दवाई समय पर लीजिएगा। मैंने आपके जरूरत का सारा सामान रख दिया है, यहां की चिंता मत कीजिएगा मैं सब संभाल लूंगी। देखिए आपकी गाड़ी आ गई है फटाफट निकल जाइए, अगर गुड़िया जग गई तो वो आपको जाने नहीं देगी और सुनिए पहुंचते ही मुझे फोन कीजिएगा।” नेहा अपने पति मानव से कहती है।

मानव बोले “वहां पहुंचने के बाद भी मेरा ध्यान तुम दोनों पर ही लगा रहता है। क्या करूं फौज की नौकरी ऐसी है कि बार-बार मुझे तुम दोनों को छोड़कर जाना पड़ता है..! शादी करने वक्त तुमने कितने सपने सजाए होंगे, अब देखो घर और बच्चे की जिम्मेदारी तुम पर छोड़ कर बार-बार मैं चला जाता हूं पर मुझे खुशी है कि तुम सब कुछ संभाल लेती हो।” मानव नेहा के गले लगता है और चला जाता हे।

नेहा ने बड़े प्यार से मानव को विदा किया। दूर तक मानव की गाड़ी को जाते हुए नेहा देख रही थी और ईश्वर से उनकी सलामती की दुआ कर रही थी। जैसे ही नेहा अंदर जाने लगी उसकी पड़ोसन मीना बोली “नेहा भाभी इस बार कितने दिन के लिए भाई साहब गए हैं..?” नेहा मुस्कुराकर बोली “बोलकर तो गए हैं कि 20 दिन में आ जाएंगे, आज तक तो कभी वक्त पर नहीं आए अब देखिए कितने दिन में आते हैं।”

मीना बोली “आप कैसे रहती हैं इतने-इतने दिन उनके बिना.! घर की, बच्ची की जिम्मेदारी और परेशानी हमसे तो ना हो पाएगा ये सब..।” नेहा हंसकर बोली “फौजी की पत्नी भी आधी फौजी बन ही जाती है। पति देश के लिए काम करता है तो उसकी कुछ तो सहायता करने की जिम्मेदारी हमारी भी होती है, और जब जिम्मेदारी आती है तो सब उठा लेते हैं आप भी तो इतने सालों से निभा ही रही हैं।”

मीना बोली “फिर भी भाई साहब तो कभी एक महीने के लिए तो कभी 6 महीने के लिए आपको छोड़कर गए हैं..!” नेहा मुस्कुरा कर बोली “जुदाई के बाद जब पुनर्मिलन होता है तो उसकी बात ही अलग होती है। बीच-बीच में पतियों को किसी न किसी काम से बाहर जाना ही चाहिए तभी पति से पुनर्मिलन जीवन के हर उम्र में नयापन लाता है।”

मीना बोली “आपकी बात में दम है।” नेहा बोली “पति-पत्नी जब एक दूसरे से थोड़े वक्त के लिए अलग होते हैं, तब उन्हें एक-दूसरे के होने का महत्व पता चलता है इसे ही तो पुनर्मिलन कहते हैं और वैसे भी पत्नी का प्रेम सबसे जुदा और सबसे अलग होता है क्योंकि उस प्रेम में एहसास ,चिंता और ढेर सारा विश्वास छुपा होता है।” इतना कहकर नेहा और उसकी पड़ोसन हंसने लगी।




करीब 26 दिन बाद मानव वापस लौट कर आए। नेहा उनके आने की तैयारी ऐसे कर रही थी, मानो कितने सालों बाद उन दोनों का पुनर्मिलन होगा। समय बीतता गया महीने, साल बड़ी खुशी के साथ समय कटता गया, सुख दुख आते जाते रहे, क्योंकि दोनों एक-दूसरे से मिलने के लिए आतुर रहते थे।

समय बीतता गया नेहा की बेटी नैना भी अब बड़ी हो रही थी। एक उम्र हो जाने के बाद बच्चों को पिता के अनुभवों और सुझावों के साथ पिता के मौजूदगी की जरूरत पड़ती है, जिसके कारण मानव में नौकरी छोड़ने का फैसला किया।

कुछ वक्त बाद ही मानव को दूसरी नौकरी मिल गई। अब वो परिवार को भी वक्त दे पाते थे और समय बीतने लगा बेटी बड़ी हो गई पढ़ने के लिए वो बाहर चली गई।

एक रोज किसी बात पर मानव ने नेहा से बोले “पहले तुम मेरा कितना ध्यान रखती थी। अब तो तुम्हारे पास मेरे लिए वक्त ही नहीं है, पहले तुम कभी भी मुझसे नाराज नहीं होती थी…! अब तो बात बात पर नाराज हो जाती हो, अरे फौजी नहीं रहा पर मैं कमाता तो अभी भी हूं।”

नेहा बोली “सही कहा आपने पहले जब कुछ दिनों के लिए आप बाहर जाते थे तो आपको ये अनुभव जरूर होता था कि पत्नी का जीवन में क्या महत्व है। आप अक्सर कहा करते थे कि घर की पूरी जिम्मेदारी और परेशानियों को मैं उठाती हूं, इस वजह से आप मेरी और भी इज्जत करते हैं। पर अब देखो, अभी भी मैं वही काम कर रही हूं पर आप कहते हैं कि मेरे पास कुछ काम नहीं है..!”

मानव हंसकर बोले “नौकरी क्या छोड़ी, बीवी का साथ भी लगता है छूट गया। क्या दिन थे वो कहीं से आता था तो नए नवेले दूल्हे की तरह मेरा स्वागत किया जाता था, अब तो बस काम करके आता हूं खाना खाता हूं और सो जाता हूं।”

नेहा हंस कर बोली “होगा होगा.. हमारा फिर वही प्रेम भरा जीवन लौटकर आएगा बस आप इंतजार कीजिए..।” मानव बोले “बस इसी इंतजार में बैठा हूं कि कब वो पुराने दिन लौट कर आएंगे।”

नेहा बोली “ये बस हमारी ही समस्या नहीं बल्कि कई दंपतियों की समस्या है..! इसीलिए मैं कहती हूं पति-पत्नी को कभी-कभी फुर्सत लेकर अकेले में कहीं घूमने जाना चाहिए या फिर कुछ काम से एक-दूसरे से कभी कभी थोड़ा अलग भी होना चाहिए। क्योंकि उसके बाद जो पुनर्मिलन होता है वो जीवन में नयापन लाता है, जो कि हमारे साथ अब नहीं हो रहा है।” कहीं ना कहीं मानव भी नेहा की बात से सहमत  थे।




कुछ वक्त बाद मानव को कंपनी के किसी काम से 2 हफ्ते के लिए दिल्ली जाना था। बड़े दिन बाद नेहा ने मानव की फिर से एक बार पैकिंग की और उन्हें विदा करते हुए कहा “दवाई समय पर ले लीजिएगा, मेरी चिंता बिल्कुल मत कीजिएगा मैं यहीं आपका इंतजार करूंगी।”

मानव मुस्कुराते हुए बोले “तरस गया था तुम्हारे ऐसे शब्दों को सुनने के लिए कि फिर से तुम मेरा इंतजार करोगी। अब तो लगता है सच में पतियों को कुछ वक्त के लिए बाहर जाना ही चाहिए ताकि जीवन में नयापन और प्रेम बना रहे, अपना ध्यान रखना जल्दी ही लौट कर आता हूं।”

मानव की बात सुनकर नेहा हंसने लगी वो बोली “उम्र आपकी बढ़ गई पर आज भी आप बिल्कुल वैसे ही हैं।” मानव बोले “अब ऐसी बातें करोगी तो मैं जा नहीं पाऊंगा। इतने दिनों बाद तुमसे दूर जा रहा हूं तो, आज फिर तुम मुझे वही पुरानी नेहा लग रही हो।” नेहा ने हंसते हुए मानव को विदा किया।

उम्र चाहे जो भी हो जब हम एक-दूसरे से थोड़ा दूर जाते हैं तब हमें अपने जीवन में उस इंसान के होने और ना होने के महत्व का पता चलता है। नेहा और मानव के जीवन में फिर से वही नयापन आया और कमी कहां हो रही थी, ये बात उन दोनों को भी पता चल गया।

दोस्तों जब कोई पास रहता है तो हम उसे उतना महत्व नहीं देते हैं। परंतु कुछ दिन बाद जब उनसे हमारा पुनर्मिलन होता है तब हमें अपने प्रेम का एहसास होता है, इस नए पन को बनाने के लिए हमें अपने जीवन में कभी कभी थोड़ी सी दूरियों को भी लानी चाहिए। आप क्या कहते हैं..?

आपको ये कहानी कैसी लगी अपने अनुभव और विचार कमेंट द्वारा मेरे साथ साझा करें। कहानी को मनोरंजन एवं सीख समझकर पढ़े कृपया अन्यथा ना लें बहुत-बहुत आभार

 #प्रेम 

निधि शर्मा 

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