पति मेरा तो उसकी कमाई पर हक भी सिर्फ मेरा… – सीमा रस्तोगी
- Betiyan Team
- 0
- on Dec 24, 2022
“नंदा! क्या मेरे साथ शॉपिंग पर चलोगी? वेदिका ने नंदा से फोन करके पूछा
“हां चल दूंगीं, लेकिन दोपहर का खाना और सारा काम-धंधा निपटाकर! नंदा ने जवाब दिया
“ठीक है! फिर चलते हैं शाम को! वेदिका ने फोन रख दिया…
अभी-अभी वेदिका इस कालोनी में नई-नई रहने आई थी और ऐसे ही एक दिन पार्क में उसकी दोस्ती नंदा से हो गई, हालांकि अभी बहुत ज्यादा घनिष्ठता नहीं हुई थी, लेकिन फिर भी दोस्ती तो हो ही गई थी और दोनों ने ही अपने-अपने मोबाइल नंबर एक-दूसरे को शेयर कर दिए थे….
शाम को शॉपिंग मॉल में……
“नंदा ये देखो! ये सामान कितना अच्छा है, तुम खरीद लो?
वेदिका कुछ भी सामान खरीदती तो नंदा से भी कहती खरीदने के लिए, लेकिन नंदा शालीनता के साथ मना कर देती, वेदिका ने तो खूब ढेर सारी शॉपिंग की…
“मैं तो शॉपिंग करने आतीं हूं तब तो मेरा हाथ ही नहीं रूकता, जब तक पर्स के सारे रूपए खर्च ना हो जाए, मुझको चैन नहीं पड़ता! वेदिका इठलाकर बोली, नंदा ने महसूस किया कि “हां! सचमुच वेदिका ने कुछ सामान जरूरत का खरीदा और कुछ जबरदस्ती बिना जरूरत के भी खरीद लिया था।
“लेकिन नंदा! तुमने कुछ क्यों नहीं खरीदा? इतनी भी कंजूसी किस काम की, यार शॉपिंग पर आओ और कुछ खरीदो ना, मुझसे तो हो ही नहीं सकता! वेदिका फिर से इठलाकर बोली “नरेश तो मुझसे हमेशा कहते हैं कि तुमको तो जो चाहिएं वो खरीद लो, पैसों की चिंता मत किया करो!
“वेदिका! शॉपिंग पर मैं नहीं आई तुम आई हो, मैं तो सिर्फ तुम्हारा साथ देने के लिए ही चली आई थी! तुमने इतने प्यार से कहा कि मैं मना नहीं कर पाई! नंदा शांत स्वर में बोली “और मुझको कुछ जरूरत का सामान लेना भी नहीं था, फिर बेकार की फिजूलखर्ची क्यों करना? मैं तो वैसे भी पैसा बहुत सोच-समझकर खर्च करतीं हूं, आखिर पति के गाढ़े खून-पसीने की कमाई जो ठहरी!
तभी वेदिका को कुछ याद आया और वो नंदा से पूछ ही बैठी..”नंदा! अब जरा ये बताओ कि तुमको आखिर घर में क्या काम था? घर का सारा काम तो मेड करती होगी?तो तुम जल्दी क्यों नहीं आ सकीं? मेरे मन में ये प्रश्न सुबह से चल रहा है!
“नहीं वेदिका! मैंने कोई मेड नहीं लगा रखी है, क्योंकि शायद में मेड अफोर्ड नहीं कर सकती! मैंनें तुमसे अभी कहा ना कि मैं हमेशा ही पैसा बहुत सोच-समझकर खर्च करतीं हूं!
“क्या मतलब! लेकिन तुमने तो बताया था कि तुम्हारे पति इंजीनियर हैं और इंजीनियर की पत्नी को पैसों के बारे में इतना क्या सोचना? वेदिका आश्चर्यचकित होकर बोली
“हां वेदिका! मैंने सही कहा कि मेरे पति अनूप इंजीनियर हैं, लेकिन परिवार में इकलौते कमाने वाले, अभी मेरे एक देवर और ननद भी पढ़ाई कर रहें हैं, ससुर जी भी अक्सर बीमार रहतें हैं, इसलिए हम लोग उन्हें कोई काम नहीं करने देते और उनकी दवाइयों भी चल रहीं हैं, दो छोटे बच्चों की भी पढ़ाई-लिखाई और भी तमाम खर्चे हैं, कुछ सालों बाद ननद और देवर की शादी भी तो अनूप को ही करनी होगी! नंदा बिल्कुल शांत थी
“क्या कहा! तुम्हारे पति इतने लोगों का खर्चा उठाते हैं? वेदिका फिर से चौंकते हुए बोली
“इतने लोग नहीं वेदिका! अपने मां-बाबू जी और परिवार का, जब मां-बाबू जी ने इनको इस काबिल बनाया है तो इनका दायित्व भी है घर-परिवार को संभालने का और मुझको तो अपने परिवार पर बहुत ज्यादा फख्र है, तुमको पता वेदिका, मैं सारा काम अकेले थोड़े ही ना करतीं हूं, मेरी सास-ननद यथायोग्य मेरी सहायता करवातीं हैं, वो लोग मुझको अकेले काम करने ही नहीं देतीं, मैं सचमुच बहुत भाग्यशाली हूं, जो मुझको इतना प्यारा परिवार मिला! नंदा मुस्कुरा कर बोली
“ना बाबा ना! मुझको इतना महान बनने का शौक नहीं है, मैं तो नरेश की कमाई किसी के साथ बिल्कुल भी बांट ही नहीं सकती! इसीलिए तो मैं घर-परिवार से अलग हो गई, वो भी अपने परिवार पर पैसा बहुत ज्यादा लुटाते थे, जब पति मेरा तो उसकी कमाई पर अधिकार भी सिर्फ मेरा, इसीलिए उनकी कमाई पर तो सिर्फ और सिर्फ मेरा ही अधिकार है! किसी और का नहीं! अब तो वेदिका चिढ़ते हुए बोली
“लेकिन वेदिका! तुम्हारे सास-ससुर का क्या? जिन्होंने उनको इस काबिल बनाया, उन लोगों ने ना जाने कितने ख्वाब संजोएं होगें, कि बेटा बड़ा होकर मेरा दायित्व संभालेगा, मेरे लिए ये करेगा, मेरे लिए वो सामान लाएगा, उन लोगों की भावनाओं का क्या? इंसान अपने बच्चों से ना जाने कितनी उम्मीदें लगाता है,अच्छा, तुम मुझको एक बात बताओ तुम्हारे भी तो दो बेटे हैं, उनसे भी तो तुम्हारी कुछ उम्मीदें होगीं ?
“बिल्कुल हैं और क्यों नहीं होंगीं! वेदिका तपाक से बोली
“लेकिन जब वो तुम्हारा ऐसा व्यवहार देखेंगें, तो वो भी बड़े होकर यही करेंगें कि नहीं! नंदा समझाते हुए बोली
नंदा के मुंह से ये सुनकर अब तो वेदिका सचमुच सोच में पड़ गई, कह तो नंदा बिल्कुल सही रही है… और वो तो ये सोचकर ही कांप उठी कि हे भगवान! उसके बेटे भी उसके साथ ऐसा ही व्यवहार करेंगें!
“सॉरी वेदिका! शायद मैं बहुत बड़ी गलती कर रही थी, तुमने मेरी आंखों पर पड़ा अभिमान का पर्दा हटा दिया, मैं अभी यहीं पर संकल्प लेतीं हूं कि बहुत जल्दी ही अपने परिवार के पास लौट जाऊंगीं और नरेश के साथ-साथ मैं भी अपने परिवार का दायित्व संभालूंगीं! सही कहते हैं लोग कि सच्चा दोस्त वही होता है जो उसकी अच्छाइयां और बुराइयां दोनों ही बताए, अगर गलती हो रही है तो संभाल ले जाए सही मायने में तुम मेरी सच्ची और अच्छी दोस्त साबित हुईं, बहुत बहुत धन्यवाद नंदा! मुझको इतनी अच्छी तरह से समझाने के लिए! जहां अभी थोड़ी देर पहले वेदिका की आंखों में पति की कमाई को लेकर अभिमान दिखाई पड़ रहा था, वहीं अब अपने सास-ससुर को लेकर पाश्चाताप की लहर दिखाई पड़ रही थी… और नंदा अपने विनम्र स्वभाव के अनुसार वैसे ही खड़ी-खड़ी मंद-मंद मुसकुरा रही थी….
ये कहानी स्वरचित है
मौलिक है
दोस्तों जबसे मां-बाप बच्चों को जन्म देते हैं, तबसे ही ना जाने कितने अरमान उनके दिल में भी जन्म लेने लगते हैं, हमारा दायित्व यही है कि हम उनके अरमानों पर खरे उतरें…..
नंदा सही थी या वेदिका? लाइक और कमेंट्स के द्वारा अवश्य अवगत करवाइएगा और प्लीज मुझको फॉलो जरूर कीजिएगा।
धन्यवाद आपका🙏😀
आपकी सखी
सीमा रस्तोगी