पास रहकर झगड़े हो उससे अच्छा दूर दूर रहें  – रश्मि प्रकाश 

अक्सर तबादले के बाद राशि को नए लोगों से मिलने और उनके विचार जानने का मौक़ा मिलता रहता है… कभी पास में भरापुरा परिवार दिखता तो कहीं कुछ वैसे लोग दिखते जिनके बच्चे बाहर नौकरी कर अपने परिवार के साथ रहते और उनके पैरेंट्स अकेले घर या फ़्लैट में रहते…. राशि के बच्चे जब तक छोटे थे तब तक वो उनके साथ व्यस्त रहती थी तब आस पास के लोगों को बस हाय हैलो तक ही समझती पर जब बड़े होकर उच्च शिक्षा के लिए हॉस्टल में रहने लगे तो उसे बारीकी से अपने अड़ोस पड़ोस को जानने पहचानने का मौक़ा मिलने लगा था ऐसे ही इस बार तबादले के बाद उसका परिचय मिसेज़ खन्ना से हुआ ।

कुछ महीने पहले ही राशि नई सोसायटी में शिफ़्ट हो कर आई थी… बहुत बड़ी सोसायटी और सब तरह के लोग…….. कही छोटी फ़ैमिली तो कहीं संयुक्त परिवार….. हर फ़्लोर पर चार फ़्लैट थे …..वो जिस फ़्लोर पर रहती थी उसने देखा साइड वाले दो फ़्लैट दो बंदही रहते थे ….वो लोग कहीं  बाहर दूसरे शहर में रहते थे और साल में एकाध बार यहाँ कुछ दिनों के लिए आते ……और राशि के एकदम सामने वाले फ़्लैट में रहते मि. एंड मिसेज़ खन्ना….. दोनों पड़ोसियों के बारे में सामने रहने वाली मिसेज़ खन्ना ने ही राशि को बताया था।

मिसेज़ खन्ना से राशि की कभी कभी यूँ ही बातचीत हो जाती थी… बातों ही बातों में पता चला था कि मिस्टर खन्ना के एक पैर में थोड़ीतकलीफ़ है जिसकी वजह से घर में ही एक ड्राइवर कम सहायक और एक फ़ुल टाइम काम करने वाली एक सहायिका रख रखा है।

“ आपके कितने बच्चे हैं?” एक दिन सोसायटी की पार्क में टहलते हुए मिसेज़ खन्ना को देख राशि ने पूछा लिया 

“ दो बेटे और एक बेटी है … बेटी नोएडा में रहती और बेटे यही गुरुग्राम में ही रहते हैं ….कुछ ही दूरी पर… अपने अलग अलग घर में ।” मिसेज़ खन्ना ने खुश हो कर बताया 

“ ओहहह वो आपके साथ नहीं रहते है…..आपको कभी महसूस नहीं होता बच्चे इतने पास  होकर भी आप लोगों के साथ नहीं रहते औरआप दोनों यहाँ अकेले रहते हैं जबकि मि. खन्ना को तो साथ की बहुत ज़रूरत होती होगी?” राशि उत्सुकता वश पूछ बैठी

“ नहीं …. बिलकुल नहीं ये हम सबने मिलकर निर्णय लिया है और हम सब ख़ुशी से रहते हैं !” मिसेज़ खन्ना  ने मुस्कुराते हुए कहा औरअपने घर की तरफ़ बढ़ गई 

राशि ये सुन कर सोचने लगी हे …भगवान कैसे बच्चे हैं ….यही पास में रहते हैं पर माँ बाप से दूर हैं… जिनके पिता को चलने के लिएवॉकर की ज़रूरत होती है… चलने में तकलीफ़ है… हमेशा एक सहायक रहता साथ कम से कम बच्चे साथ में होते तो संबल होता।




राशि ने जब ये बात अपने पति निकुंज को बताई तो वो बोले,“ राशि ये तुम अपनी नजर से देख रही हो… हो सकता उन लोगों के बीचकोई और बात हो… तुम जो देख रही हो उसको उसी नज़रिए से समझ रही हो…आजकल बहुत से पैरेंट्स ऐसे ही अपने बच्चों के पासपास पर अलग अलग रहते हैं ।”

बात आई गई ख़त्म हो गई थी पर राशि जब भी अपनी बालकनी से मिस्टर खन्ना को वॉकर से धीरे-धीरे चलते देखती तो उसे उनके बच्चोंपर रोष आता ।

एक दिन ठंड की धूप में राशि सोसायटी के पार्क में बैठी थी तभी देखी मिसेज़ खन्ना भी उधर आकर बैठ गई ।यूँ ही बातों का सिलसिलानिकला तो वो बताने लगी… पहले हम लोग रोहतक में रहते थे… वहाँ हमारा अच्छा ख़ासा बिज़नेस चल रहा था फिर जब बच्चे बड़े होकर पापा का बिज़नेस  सँभालने लगे तो उसे इधर विस्तार करने का फ़ैसला किया…..फिर बेटे को हर दिन आने जाने में परेशानी होनेलगी…. इधर हमने दो तीन जगह जमीन ले रखी थी और उसपर घर भी बना रखे थे जो तब किराए पर दे रखे थे….रोहतक वाला हमाराघर बहुत बड़ा था कभी किसी को परेशानी नहीं होती थी पर यहाँ गुरुग्राम में जो घर बनाया हुआ था वो हमारे रोहतक वाले घर के हिसाबसे छोटे थे… एक दिन बड़े बेटे ने कहा,“ मम्मी जी यहाँ से आना जाना करना मुश्किल हो रहा हम उधर ही शिफ़्ट कर जाते हैं…. यहाँ वालाघर किराए पर लगा देते हैं ।”

“ पर बेटा वो घर तो बहुत छोटा है हम सब उसमें कैसे रह पाएँगे…. फिर तुम्हारे बच्चे भी बड़े हो रहे हैं उन्हें भी अलग कमरे की ज़रूरतहोगी…. ।” मैंने( मिसेज़ खन्ना )बच्चों से कहा 

“ मम्मी आप चाहें तो हम दोनों भाई अपनी मर्ज़ी से अलग अलग घरों में रहने को तैयार है…. वैसे भी मुझे याद है पापा जी ने वो घरबनवाते वक़्त यही कहा था कि बच्चों में पास रह कर मनमुटाव रहे उससे अच्छा है दूर रहकर ही हम पास पास रहें… आप दोनों का जहांदिल करें आप दोनों रहना ।”बड़े बेटे ने कहा




“जानती हो राशि मैं तो पहले उधर ही बच्चों के साथ रहती थी… पाँच साल पहले जब ये सोसायटी बन रही थी तो मेरा बेटा अपने किसीदोस्त को मिलने आया था वो इस अपार्टमेंट का काम देखता था….उसके कहने पर मेरे बेटे ने भी एक फ़्लैट बुक कर लिया था…..जब येअपार्टमेंट बन कर तैयार हो गया तो हम घुमने के लिए आए हुए थे…..उसके बाद यहाँ का माहौल देख कर मैंने मिस्टर खन्ना से यही रहनेकी बात कही …..बच्चों ने बहुत मना किया पर हमें भी लगा बच्चों के साथ बहुत रहे अब कुछ दिन हम भी अकेले रहते हैं सबको एकस्पेस देना ज़रूरी होता है… ये जानने समझने के लिए कि कौन हमारी फ़िक्र करता है….विश्वास नहीं करोगी हर दिन मेरे बेटे बहू हमसेमिलने आते हैं…. वो जब भी कुछ मेरी पसंद का बनाते मेरे लिए ले कर आते…. मेरी बड़ी बहू को मेरे हाथ की कढ़ी बहुत पसंद है जब मनकरता कहती हैं मम्मी जी बना देना आज लंच उधर ही करेंगे वो जब आती साथ कुछ ना कुछ बना कर लाती…… मैं ख़ुशी ख़ुशी बनातीहूँ….छोटी बहू को पनीर पसंदा पसंद है तो वो बना देती हूँ… बस ऐसे ही हँसी ख़ुशी हम साथ साथ रहते हैं….।” मिसेज़ खन्ना ने कहा

“ आपको ऐसा नहीं लगता साथ होते तो ज़्यादा ख़ुशी मिलती….इस तरह आप दोनों अकेले रहते हैं…. खन्ना जी को तो अकेले छोड़ करआप कहीं जा भी नहीं सकती?” राशि ने पूछा 

“ अरे बिल्कुल नहीं राशि…. अभी तो मैं चार दिन के लिए अपने मायके गई हुई थी…. मेरा पोता अपना काम यही से कर रहा था…. साथही दादू की देखभाल भी ……दोनों बेटे बीच बीच में आकर पापा का हाल लेते रहते…. बहुएँ भी आकर मिल जाती … कभी एहसास हीनहीं होता हम दूर दूर है…. सच कहूँ जब लोग बेटे बहू की बातें करते और बुराई करते तो ….उनकी तकलीफ़ देख एहसास होता हम भलेही दूर रहते हैं पर उन सबसे ज़्यादा पास हम खुद को महसूस करते…. एक बेटा एक साइड में रहता है …. तो दूसरा दूसरी साइड में रहताहै और हम बीच रास्ते में है ….. जब चाहे वो आते जब चाहे मैं चली जाती…. एक सुविधा यहाँ लिफ़्ट की भी है जिस वजह से यहाँ रहनाहमने तय किया था। सच कहूँ तो हम बहुत खुशनसीब है…… कहने को लोग कहते हम दूर है पर मेरे घर का दरवाज़ा देखा होगा हमेशाखुला रहता हमारे बच्चे जब तब आते जाते रहते तो कैसे कहूँ हम दूर रहते हर त्योहार हम साथ मनाते है….बहुओं के बीच भी कोई तनावनहीं है… वो भी अपने अपने घरों में मस्त हैं….मुझे लगता है साथ रहने से …. एक दूसरे की कमियों को देख देख कर झगड़े ज़्यादा होते…. दूर रह कर कुछ देर को ही मिलते हैं पर बहुत प्रेम से मिलते हैं…. मुझे तो लगता है अगर संभव हो सके तो अपने आपको भी औरअपने बच्चों को भी थोड़ा स्पेस देना ज़रूरी है।” मिसेज़ खन्ना के चेहरे पर अपने परिवार की एकता और प्यार की मिसाल रूपी एक प्यारीसी मुस्कान दिखाई दे रही थी ।

राशि बहुत देर तक बातें कर के घर आ गई ।




शाम को जब निकुंज आए तो उन्हें आज की सारी बातें बताते हुए बोली,“आप सही कह रहे थे…. मैं जो  देख रही थी उसपर अपने विचारव्यक्त कर रही थी आज मिसेज़ खन्ना से बहुत देर तक बातें करने के बाद एहसास हुआ अक्सर हम जो देखते वो ही सही नहीं होता उनकेनज़रिए से देखने से ही सच का पता चलता…. कितना अच्छा है ना उनका पूरा परिवार यहीं पास में रहता… हर दिन आता है और होहंगामे से उनका घर गुंजता रहता…. परिवार हो तो सच में उनके जैसा हो।” राशि को आज मिसेज़ खन्ना से बात कर एक बात अच्छीतरह समझ आ गई पास रहकर मनमुटाव करते  रहने से बेहतर है दूर दूर रह कर दिल से पास रहा जाए।

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धन्यवाद 

रश्मि प्रकाश 

#मासिक_कहानी_प्रतियोगिता 

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