परदेश – संगीता  अग्रवाल

” मां मुझे कॉलेज से वजीफा मिल गया अब मेरे सपने पूरे होंगे और मैं विदेश जाऊंगा पढ़ने के लिए। ” बाइस वर्षीय वंश कॉलेज से आ चहकता हुआ बोला।

” क्या …मतलब तू विदेश चला जायेगा ?” साधना इकलौते बेटे के दूर जाने के ख्याल से तड़प कर बोली।

” मां बस दो साल की तो बात है फिर तो वापिस आपके पास ही आऊंगा ना!” वंश मां से लिपटते हुए बोला।

” सही कह रहा है वंश …साधना बेटे को इतनी बड़ी खुशी मिली है तुम भी खुश हो जाओ भई दो साल तो यूंही गुजर जाने है .. मैं मिठाई लेकर आता हूं तुम इतने बढ़िया सी चाय और पकोड़े बनाओ आज पार्टी होगी !” वंश के पिता वीरेन बोले और पलट कर आंखों के कोरों पर उभर आए आंसू पोंछने लगे फिर तेजी से बाहर निकल गए।

एक महीना सारी फॉर्मेलिटी पूरी करने और पैकिंग में लग गया। एक महीने बाद बेटा उड़ गया अपने सपनों को पूरा करने के लिए पीछे मां बिलख पड़ी क्योंकि आज तक बेटा दो दिन को दूर नही गया था अब पूरे दो साल उसको देखे बिना रहना पड़ेगा। वीरेन ने साधना को समझाया कि बच्चों के सपनों के लिए मां बाप को कुर्बानी देनी ही पड़ती है कल को जब वंश अपने सपने पूरे कर वापिस आएगा तब सबसे ज्यादा खुशी भी तो हमे होगी।

समय बीतता गया और वंश पढ़ाई पूरी कर वहीं नौकरी करने लगा। साधना जी के हाथ खाली के खाली रह गए दो साल तो किसी तरह निकाल लिए थे पर अब तो जाने बेटा वापिस आए भी या ना। हालांकि वंश पढ़ाई पूरी होने पर मिलने आया था। पर मां का दिल कुछ दिन में भरता है क्या?

” बेटा तू कब वापिस आएगा ?” जब भी वंश का फोन आता साधना यही पूछती।

” आऊंगा मां बस थोड़ा समय रुक जाओ।” वंश का जवाब होता।

” अच्छा तेरे लिए लड़की देखी है तू शादी करने तो आजा !” साधना जी बोली।




” मां शादी की क्या जल्दी है !” वंश बोलता और तर्क वितर्क के बाद फोन काट देता।

” बेटा तुझे देखे हुए भी कितने दिन हो गए बहुत याद आती है तेरी !” एक दिन फोन पर साधना बोली।

” मां अब आऊंगा तो तेरी बहु को भी लाऊंगा अभी फोन रखता हूं ऑफिस में बहुत काम है  !” वंश के मुंह से केवल इतना निकला और फोन कट गया।

” बहु ….मतलब वंश ने वहां शादी कर ली !” साधना को धक्का सा लगा आखिर मां है और मां को बेटे की शादी के कितने अरमान होते। तब वीरेन ने खुद के दिल पर पत्थर रख फिर साधना को ही समझाया।

” सुनिए जी अपना वंश बदल गया है अब हमारा बुढ़ापा किसके सहारे कटेगा ?” साधना चिंतित हो बोली।

” तुम अपनी परवरिश पर यकीन रखो बाकी जो होगा देखा जायेगा !” मन ही मन आशंकित वीरेन ने पत्नी को दिलासा दी या जाने खुद को।

” वीरेन देखना दरवाजे पर कौन है ?” कुछ दिन बाद घंटी बजने पर साधना रसोई से बोली।

” हां भई जा रहा हूं !” वीरेन दरवाजे की तरफ बढ़ता हुआ बोला।

” कौन था ?” साधना हॉल में आती हुई बोली।

” ये पार्सल आया है वंश ने भेजा है !” वीरेन बोला और पार्सल खोलने लगा उसके अंदर एक एंड्रॉयड फोन था क्योंकि वीरेन और साधना फीचर फोन ही चलाते थे।

” पापा बॉक्स में एक सिम है जल्दी फोन में डालो!” तभी वंश ने कॉल करके कहा। वीरेन ने जैसे ही सिम डाली उधर से वीडियो कॉल आ गई।

साधना जी एक साल बाद बेटे को देख खुशी की अधिकता में रो पड़ी।

” मां रोना नहीं आपको मुझे देखना था ना तो जीभर कर देख लो… और हां देखो मैं किससे मिलवा रहा आपको…ये है अदिति और ये इसकी फैमिली मैं और अदिति आपके आशीर्वाद से शादी करना चाहते हैं।” वंश एक सांस में बोल गया।




एक दूसरे से नमस्ते हुई हाल चाल पूछा साधना और वीरेन को ये तसल्ली थी कि लड़की भारतीय है कही विदेशी होती तो बेटे के जो वापिस लोटने की थोड़ी उम्मीद थी वो भी बुझ जाती।

” बेटा ऐसे देखना भी क्या देखना तू ये बता तू वापिस कब आएगा मैं दुनिया से चली जाऊंगी तब !” अचानक साधना फफक कर बोली।

” मां ऐसी बात मत करो।” वंश तड़प उठा।

” गलत क्या बोल रही मैं तू पढ़ने गया था और वहीं का होकर रह गया अब तो ये डर है अर्थी को कंधा भी देगा या नही !” साधना आंसू पोंछते हुए बोली। साधना को इस तरह कमजोर पड़ता देख वीरेन ने फोन काट दिया क्योंकि कही न कही वो भी असमंजस में थे कि बेटा कभी आएगा भी या नहीं।

दो महीने बीत गए इस बीच वंश से वीडियो कॉल होती रहती मां का तड़पता मन बेटे को फोन में देख ही तसल्ली कर लेता।

” मां कैसी हो ?” एक सुबह वंश वीडियो कॉल कर बोला।

” ठीक हूं बेटा पर इतनी सुबह कॉल …सब ठीक तो है ना ?” साधना हैरानी से बोली।

” हां मां बस आपको याद कर रहा था मन कर रहा उड़ कर आपके पास पहुंच जाऊं !” वंश बोला।

” तो आजा ना मेरी गोद भी सूनी है तेरे बगैर !” साधना तड़प उठी।

” अब आप गेट नही खोलेगी तो कैसे आऊं ?” वंश बच्चों की सी आवाज में बोला तो साधना जी चौंक गई। उन्होंने वीडियो कॉल में देखा ये तो उनके घर के बाहर की गैलरी है। वो भाग कर गेट पर आई और उसे खोला। सामने मुस्कुराता वंश खड़ा था साथ में अदिति भी थी। साधना आंख मल मल दोनो को दे रही थी उसे मानो विश्वास ही नहीं हो रहा था।




” अरे बेटे को जीभर बाद में देख लेना पहले उसे और होने वाली बहु को अंदर तो आने दो लंबे सफर से आए है दोनो !” तभी वहां वीरेन आकार बोले तो साधना मानो नींद से जागी।

 

वंश अंदर का पिता के गले लग गया अदिति ने पैर छुए।

” लो मां मैं आ गया हमेशा के लिए अब कभी मरने की बात मत करना !” वंश मां के गले लग रोने लगा।

” पगले बहु के सामने बच्चों की तरह रो रहा है !” साधना उसे सीने से भींच बोली।

 

 

” हां तो आपने बात ही ऐसी कही थी पता है कितना रोया मै बस चलता तो तभी उड़ कर आ जाता पर सारी फॉर्मेलिटी पूरी करने में इतना समय लग गया !” वंश बोला।

” हां मां वंश आपकी बात से इतने परेशान हो गए थे कि रिक्वेस्ट कर अपने बॉस से अपना ट्रांसफर इंडिया की ब्रांच में लगवाने बोले। और जैसे ही सब काम हुए हम आ गए !” इस बार अदिति बोली।

नम आंखों से साधना ने बेटे और होने वाली बहु दोनों को गले लगा लिया वीरेन जी पत्नी की तरफ देख मुस्कुरा दिए मानो कह रहे थे ये है हमारे संस्कार जिनपर तुम्हें शक था।

दोस्तों भले आज के समय में विदेशी चकाचौंध में बच्चे मां बाप से दूर जा रहे पर ये भी सच है दुनिया में हर तरह के लोग है कुछ वंश जैसे भी है जिनके लिए मां बाप से बड़े अपने सपने नहीं। यहां कुछ लोग मेरी कहानी से इत्तेफाक ना रखे शायद पर ये एक सच है कि वंश जैसे बच्चे आज भी हैं।

#परिवार 

आपकी दोस्त

संगीता अग्रवाल 

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