पापा मैं छोटी से बड़ी हो गई क्यों – खुशी : Moral Stories in Hindi

राम चरण जी और विद्या की शादी को सात साल हो गए ।परंतु उन्हें संतान सुख की प्राप्ति ना हुई।कितने मंदिरों के चक्कर लगाए व्रत उपवास किए पूजा पाठ किया पर कोई फल नहीं।पर कहते है

ना ईश्वर के घर देर है अंधेर नहीं। एक दिन सुबह विद्या जी उठी तो बोली आज बड़े चक्कर आ रहे हैं जी भी घबरा रहा है।रामचरण जी बोले चलो डॉक्टर को दिखा दें।विद्या जी बोली नहीं

अपने आप ही ठीक हो जाएंगे।सासू जी स्नेहलता बोली जा दिखा ले नहीं तो सारा दिन परेशान होगी। डॉक्टर को दिखाया तो डॉक्टर बोला मुबारक हो आपके यहां खुशखबरी है।दोनो को समझ नहीं आ रहा था

कि क्या कहे घर पहुंचे तो सासू जी ने पूछा क्या हुआ। विद्या सासू जी के गले लग रोने लगीं। स्नेहलता जी घबरा गई बोली बता बेटा क्या हुआ ?राम चरण जी बोले मां आपका सपना पूरा हो गया आप दादी बनने वाली है।

स्नेहलता जी ने उसी दिन से विद्या को पूरा आराम दिया।और एक की जगह दो काम वाली लगा ली ताकि कोई तकलीफ ना हो। विद्या कहती मां थोड़ा बहुत काम तो करने दिया करो।स्नेहलता जी कहती ना बेटी इतने साल बाद तो ये खुशी आई है

मै नहीं चाहती कोई परेशानी हो काम का क्या है वो तो होता ही रहेगा। नो महीने पूरे होने पर विद्या ने एक सुंदर सी गुड़िया को जन्म दिया।सब बहुत खुश थे।दादी ने अपनी पोती का नाम परी रखा।वो थी भी इतनी सुंदर गोरी की हाथ लगाओ तो मैली हो जाए।

परी पढ़ने में होशियार ,घर के काम में निपुण सबका आदर करने वाली लड़की थी।समय अपनी गति से चल रहा था।परी 18 साल की हो गई।दादी को अपनी पोती की शादी की चिंता थी।परी बोली दादी अभी मुझे पढ़ने दो फिर आप जहां चाहेंगी मैं वही शादी करूंगी।

परी अपनी पढ़ाई पूरी कर बैंक में मैनेजर की पोस्ट पर लग गई।अब मां बाबा ने उसके लिए लड़का देखना शुरू किया। राम चरण के एक मित्र थे उनका बेटा भी अच्छी नौकरी करता था वो अपने बेटे हितेश के लिए परी का रिश्ता चाहते थे।

राम चरण ने ये बात  घर वालों को बताई ।सभी को लड़का पसंद आया।तब परी ने कहा यदि आप सब बुरा ना माने तो मै एक बात कहना चाहती हूं।बृजेश जी बोले बोलो बेटा परी बोली मेरे मां , बाप और दादी ने मुझे बहुत प्यार से पाला पोसा ।

मुझे परी जैसे रखा परंतु अब उनकी भी उम्र हो चली है मै बस इतना चाहती हूं कि आप मुझे मेरे माता पिता और दादी का ध्यान रखने की आज्ञा दे। राम चरण जी बोले बेटा हम अपना ध्यान रख सकते है बेटा ।

परी बोली नहीं पिताजी जब तक मुझे यकीन नहीं होता कि मेरे ससुराल वाले मेरे माता पिता की जिम्मेदारी उठाने देंगे और मेरे पति भी आप लोगों को अपने माता पिता समझेंगे तभी मैं यह शादी करूंगी।

बृजेश जी बोले ऐसी बहु पाकर हम धन्य हो गए बेटी मै तुम्हे वचन देता हूं कि जो तुमने कहा है वही होगा सब शादी की तैयारी करो।शादी वाले दिन परी  बहुत सुंदर लग रही थी राम चरण जी उसके कमरे में आए तो परी बोली पापा मैं बड़ी क्यों हो गई ।

रामचरण जी बोले ऐसा क्यों बोल रही हैं वो बोली पापा अगर मैं बड़ी न होती तो अपलोगो को छोड़ कर थोड़ी न जाती।राम चरण जी बोले कोई मां बाप नहीं चाहते कि उनकी बेटी बड़ी हो पर यह जमाने का दस्तूर है बेटा। परी बोली पापा कोई बेटी बड़ी ना हो ताकि वो अपने माता पिता से दूर ना जाए।

स्वरचित कहानी 

आपकी सखी 

खुशी

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!