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पापा ! मां के हाथों के लड्डू खाने का बहुत मन करता है  – कीर्ति मेहरोत्रा

 ” पापा ! मैं प्रैग्नैंट हूं आप नाना बनने वाले हैं । इन दिनों मां बहुत याद आती है और उसके हाथों के खाने की खुशबू तो हर समय मेरे मन में समाई रहती है ।कभी कभी लगता है कि पापा काश आज मां जिंदा होती और मैं अपने मनपसंद खाने का फरमाइशें करके उनसे बनवाती । देखिए ना पापा ! बात करते हुए ही मुंह में पानी आ रहा है ” कहते हुए राम्या की आंखों में आंसू आ गए ।

” अरे ये तो बहुत ख़ुशी की बात है ऐसे खुशी के मौके पर रोते नहीं हैं सैलिब्रेट करते हैं । तुम बताओ तुम्हें क्या क्या खाना अब तो तुम्हारी मां के जाने के बाद तुम्हारे पापा भी मास्टर शेफ बन चुके हैं । तुम्हारी मां बताती थीं कि होने वाली मां को मनपसंद खाना ही खाना चाहिए वरना बच्चा लार गिराता हुआ आता है मतलब लालची होता है ” कहते हुए श्रीनाथ जी हंसने लगे ।

” पापा ! आप परेशान ना हों मुझे जो भी मन करेगा इनसे मंगाकर खा लूंगी आप अपना ध्यान रखना ” कहकर राम्या ने फोन रख दिया ।

इधर श्रीनाथ जी ने यू ट्यूब खोला और गोंद के लड्डू की रेसिपी ढूंढकर बनाने लगे क्योंकि उन्हें पता था राम्या को अपनी मां के हाथों के गोंद के लड्डू बेहद पसंद थे । शादी के बाद हमेशा कहते सुना था ” मेरी मां जैसे गोंद के लड्डू कोई नहीं बना सकता “।

तब शीला जी हंसकर कहती ” जल्दी से खुशखबरी सुनाओ गोंद के लड्डुओं का ड्योढ़ा टूटने नहीं दूंगी हर हफ्ते बनकर भेज दिया करूंगी । एक एक कर यादें उनके दिलों दिमाग पर दस्तक देती जा रही थी और उनके हाथ बड़ी रफ्तार से अपना काम करते जा रहे थे ।एक एक चीज बड़े ध्यान से कड़ाही में घी डालकर भून रहे थे । सारी चीजें अच्छी तरह से भूनकर रख ली लेकिन अभी असली जंग बाकी थी लड्डू बांधना वो आसान काम नहीं था । वो हाथ में मिश्रण लेते और उसे दबाकर बांधना चाहते तो वो बिखर जाते फिर भी कोशिश करते करते लड़डू बंधने लगे भले ही पूरे गोल ना होकर थोड़े टेढ़े मेढे थे लेकिन फिर भी देशी घी के गोंद वाले लड्डू थे वो भी एक पिता ने अपनी गर्भवती बेटी के लिए बनाए थे । पूरे लड्डू तैयार करके एक स्टील के डब्बे में रख लिए और दूसरे दिन ही बेटी के घर पहुंच गए ।




 

” पापा ! आप यहां इस समय ” दामाद ऋषिकेश आश्चर्यचकित होते हुए बोला ।

” हां बेटा ! कल राम्या ने जो खुशखबरी सुनाई तो मुझसे रहा नहीं गया । राम्या कहां है “?

 

” मैं यहां हूं पापा ! राम्या जल्दी से दौड़कर अपने पापा के गले लग गई ” ।

 

श्री नाथ जी बड़ी देर तक बेटी को सीने से लगाए उसकी पीठ सहलाते रहे और फिर उसे लड्डू का डब्बा देते हुए बोले ” ये लो गोंद के लड्डू खाकर बताओ कैसे बने हैं तुम्हारे पापा ने बनाएं हैं बड़ी मेहनत लगी लेकिन बन ही ग‌ए ” ।

” पापा ! आपने मेरे लिए लड़डू बनाए ,क्या जरूरत थी इस उम्र में इतनी मेहनत करने की ” राम्या भावुक होते हुए बोली ।

जरूरत कैसे नहीं थी बेटा ! आज तुम्हारी मां होती तो खुशी के मारे पागल हो जाती और पता नहीं क्या क्या बनकर भेजती हम तो सिर्फ यही बना पाए लेकिन अब से तुम्हारा जो भी मन करे बस हमें बताना हम यू ट्यूब से देखकर जरूर बनाएंगे । जल्दी से खाकर बताओ सही बने हैं या नहीं ” उन्होंने एक लड़डू डब्बे से निकालकर उसके मुंह में रखते हुए कहा ।

 

” पापा ! बेहद स्वादिष्ट बनें है बल्कि मां होती तो वो भी इतने स्वादिष्ट गोंद के लड़डू नहीं बना सकती थी जितने अच्छे आपने बना दिए अब मैं जी भरकर खाऊंगी ” राम्या खुशी से चहकते हुए बोली उसकी आंखों में आंसू थे जिन्हें वो छुपाने की कोशिश में थी ।

 

दोस्तों आपको मेरी ये कहानी कैसी लगी कृपया पढ़कर अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रिया जरूर दें आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण है मुझे फॉलो भी जरूर करें।

जल्दी ही मिलती हूं आपसे अपने न‌ए ब्लाग के साथ तब तक के लिए राम राम

 

आपकी दोस्त

कीर्ति मेहरोत्रा

धन्यवाद

 

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