पापा की नफ़रत- सुषमा यादव

बेटियां तो पापा की परी होती हैं,, 

,,उनका अभिमान और गौरव होती हैं,,

,,, फिर ऐसा क्या था कि उसके पापा अपनी बेटियों को अभिशाप समझते थे,, उनसे नफ़रत करते थे,,,

,,, चलिए,,,मिलते हैं एक ऐसे ही पापा से,,,

,,, मेरी हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी हुई थी, दिल्ली में,, मुझे लगभग छः महीने तक नीचे झुकना और बैठना मना था,, मेरी डाक्टर बेटी को ज्वाइन करना था, मेरे कारण कई महीनों से जा नहीं पा रही थी,,,, मैंने सोचा कि ये ऐसे कितने महीने बैठी रहेगी,, और अपने गांव फोन कर दिया,,

,,, एक परिचिता को,,,, अपनी परेशानी बताया,, और कहा कि, क्या तुम अपनी बेटी प्रेरणा को मेरी सहायता के लिए भेज सकती हो,,, वो बोली,, हां हां, दीदी, बिल्कुल,, आपने तो हमारी बहुत मदद किया है,,आप किसी से बुलवा लीजिए,,उनको धन्यवाद दिया, और अपने भतीजे के साथ दिल्ली बुलवा लिया,,

,,, मैंने जैसे ही उसे देखा,मै‌ आश्चर्य चकित रह गई,, मेरी बेटी बोली,,आप इसी की‌ इतनी तारीफ़ करतीं थीं,,इस मरियल की,, देखिए,इसकी शक्ल और इसकी हालत,, ये ‌क्या‌ आपको संभालेंगी,,,,मैं चुपचाप उसे देखती रही,, और पूछा,, तुम बीमार थी,, बुखार वगैरह आया था,, नहीं, चाची, मैं ठीक हूं,, नजरें गड़ाए हुए बोली,,

,, मुझे बहुत पछतावा हो रहा था,, एक और मुसीबत को बुला लिया मैंने,, बेटी, ज्वाइन कर चुकी थी,, क्या करूं,,

,, मैंने फ़ौरन उसकी मां को फोन लगाया,,, ये प्रेरणा को क्या हो गया है,, इतनी खुशमिजाज, हंसमुख, बातूनी, चहकती हुई बच्ची को क्या हो गया,,ये नौवीं कक्षा में गई है,पर लग ही नहीं रहा है,, यदि ये बीमार थी तो नहीं भेजना था,,ये तो एकदम गुमसुम और मरियल सी है,, मुझे तो डर लग रहा है,इसे रखने में,, वो बोली,, नहीं, दीदी, वो बिल्कुल ठीक है,, वो क्या है कि,ये खाती पीती ठीक से नहीं है,,चाय बहुत पीती है,,आप इसे चाय कम देना,,



,, मैंने बच्ची से कहा,, तुम वापस चली जाओ,इन‌ भैया के साथ,, मैं कुछ और इंतज़ाम करतीं हूं,,,,, नहीं, नहीं, चाची, मैं वापस नहीं जाऊंगी,, मैं आपका सब काम करुंगी, जो आप कहोगे,, मैं हैरान रह गई,, ये अपने घर नहीं जाना चाहती,, मैंने कहा,, मेरे घर में दो दो सहायिका लगी हैं,, खाना बनाने वाली भी,,बस, तुम्हें मेरी थोड़ी सी सहायता करना है,,मैं करूंगी, पर वापस नहीं जाऊंगी,,

,, ठीक है,,,

,, और वो धीरे धीरे खुलने लगी,,मेरा और मेरी बेटी का भी तथा मेरे पिता जी का भी खूब ध्यान रखती,,हम भी उसका बहुत ख्याल रखते,, उसके मनपसंद की‌  चीजें मंगवा कर खिलाते,,, उसकी मां से बहनों से अक्सर फोन पर बात करवाते,, वो बड़ी ही श्रद्धा और लगन के साथ हम सबका काम बड़ी ही फुर्ती से भाग भाग कर करती,, सुबह सात बजे के पहले उसकी चाय तैयार,,  चार मंजिला फ्लैट से नीचे भागते हुए दूध दही, सब्जी लाना,, दीदी की तो वो बहुत ही दुलारी हो गई थी,,

,, एक दिन उसने अपना वजन चेक किया तो ख़ुश हो कर बोली,, चाची,मेरा वजन पांच किलो बढ़ गया है,,हम हंसे, हां,, तुम्हारे गाल भी निकल आए हैं,,पर जब भी उसकी मां उसे वापस आने को कहती,, मना कर देती,मेरा स्कूल तो एक जुलाई से शुरू होगा ना,

,, एक दिन मैंने उसकी मां को फोन लगाया तो एक आदमी की आवाज आई,, हेलो, कौन,, मैंने झट से उसे फोन पकड़ा दिया,,

,, उसने कहा, हेलो,,उधर से आवाज़ आते ही वो कांपने लगी और जल्दी से फोन फेंक दिया,,उसका चेहरा उतर गया था,, मैंने आश्चर्य से पूछा,, कौन था,रांग नंबर था क्या,,,, कांपते हुए बोली,, नहीं, पापा थे,, मेरी आंखें फटी रह गई,, अरे, तुम्हारे पापा तो पंजाब में थे ना,, अच्छा, शायद उन्हें मालूम नहीं है कि तुम मेरे पास हो,, इसलिए डर रही हो,, नहीं, चाची,सब मालूम है, वो

जब से लाक डाऊन लगा है,तब से ही गांव में ही रह रहें हैं,,



,, मैंने उसे बड़े प्यार से पूछा,, बेटा, पापा से बात करना चाहिए ना,कल तो फ़ादर्स डे है ना,, उनसे कल ढ़ेर सारी बातें करना,,

,, उसके आंखों से आंसू बहने लगे,, मैं घबरा‌ गई। , क्या हुआ, बिटिया,, मुझे सब सच सच‌ बताओ ,,,,

,,वो‌ चाची,हम पांच बहनें हैं,, हमारे भाई नहीं है,,हम बड़ी गरीबी में गुजर बसर करते हैं,,अब तो पापा भी घर में ही बेकार बैठे हैं,,,आप गांव आती हैं तो रूपए, कपड़ों, बर्तन से,सब तरह की‌ मदद कर देती हैं,, पापा, मुझे किसी भी रिश्तेदार के यहां भेज देते हैं,, जायेगी, कुछ काम करेगी, तो चार पैसे मिलेंगे,, मम्मी, मना करती है, पढ़ाई का नुक़सान होगा, उसे पढ़ने दो, तो मम्मी को शराब पी कर बहुत मारते हैं,,हम पांचों बहनों को भी पीटते हैं, और कहते हैं,, पांच पांच लड़कियां पैदा कर दी,, एक वारिस नहीं दे सकती,, एक दिन तो मम्मी को इतना मारा कि वो हम‌ सबको छोड़कर नानी के यहां भाग गई,, बाद में हमारे लिए लौट आई,,

पापा हम बहनों से कभी बात नहीं करते,, हमारी दादी भी हमसे सब‌ काम करवा लेती है,,पर पापा को भड़का कर हमें और मम्मी को खूब पिटवाती है, हमारी शिकायत करती है,,हम सब पापा से छुपते रहते हैं,,आप हर महीने तीन चार हजार रुपए भेज रहीं हैं, इसलिए कुछ नहीं कहते,, चाची, पापा हमसे नफ़रत करते हैं,, और वो बिलख बिलख कर रोने लगी,,

,, मैं सकते में आ गई,, क्या कोई पिता इतना कठोर हो सकता है,,

हे भगवान,इन मासूम बच्चियों का‌

क्या कसूर,, एक बेटे के चक्कर में पांच, पांच लड़कियां पैदा कर दी, और सारा दोष पत्नी और बेटियों

पर,,,

,, मैंने उसकी मां को फौरन फोन लगाया और, अपने विश्वास में लेकर बात की,, वो भी रोने लगी,, दीदी, मेरी तो किस्मत ही फूटी है,

,मैं बारहवीं पास हूं मेरी मां नहीं है, मेरी सौतेली मां ने मेरी शादी एक अनपढ़ से कर दी,, और नितांत गरीब घर में,ना तो खेती है,ना ही‌ नौकरी,, मैं दूसरों के खेतों में मजदूरी कर के अपना घर चलाती हूं,, जो भी हो जाए, मैं अपनी बेटियों को खूब पढ़ाऊंगी,,

,, मैंने कहा,, बिल्कुल सही है,, मैं हर महीने इसके खाते में पैसे डालती जाऊंगी,,इसकी शादी में भी भरपूर मदद करूंगी, जो भी परेशानियां आये मुझे जरूर बताना,,अब मैं तीस तारीख को इसे भेज रहीं हूं,,

,,, और इसी के साथ उसने एक और विस्फोट किया,, दीदी,, अबकी बेटा नहीं हुआ तो फिर क्या होगा मेरा,, यानी,, छठवीं संतान,, हे भगवान,, तुम कैसी हो,, यदि इस बार भी लड़की हुई तो,,, तो पता नहीं,मेरा क्या होगा,, गांव में भी सब ताने‌ मारते हैं,,पर इसके पापा तो तीन भाई हैं ना,, फिर,, वो तो उनका वंश बढ़ायेगें ना,, मैंने अपना‌ माथा पीट लिया,, सबसे बड़ी बेटी कक्षा नौ में,, सबसे छोटी अभी तीन साल की, और छठवीं की तैयारी,,

,हे प्रभु,इसे अबकी लड़का ही देना,, वरना वो इन सबकी जिंदगी बर्बाद कर देगा,,

,, मैंने प्रेरणा को सबसे बचने का तरीका समझाया और अच्छे और बुरे स्पर्श से वाक़िफ करवाया,, क्यों कि उसका पिता किसी भी रिश्तेदार के यहां चाकरी करने भेज देता था, ऐसे में उसे सही, ग़लत का पता होना चाहिए,, ताकि वो उसका पुरजोर विरोध कर सके,,

मैं सोचती हूं,, आखिर इन बच्चियों का क्या कसूर है,,इनको किस बात की सज़ा मिल रही है,

,इनका मासूम बचपन क्यों छीना जा रहा है,,इन बच्चियों से उनके पिता के प्यार से क्यों मरहूम किया जा रहा है,, वो जाना नहीं चाहती और हम उसे अपने पास रख नहीं सकते,, मैं कभी यहां तो कभी वहां जाती रहती हूं,समय बहुत ख़राब है, एक दिन के लिए भी अकेले नहीं छोड़ सकती,,उसको तो जाना ही होगा,, अपने पापा की नफ़रत भरी निगाहों को झेलना ही होगा,,

अपने पापा के प्यार को तरसती ये मासूम,भोली बच्चियां,,

,,, सुषमा यादव, प्रतापगढ़, उ प्र,,

स्वरचित मौलिक,,

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