पैसे की ताकत – रीटा मक्कड़

सुनीता के घर के  वेहड़े में  पीछे की तरफ एक सर्वेंट क्वार्टर था।जिसमे एक जोड़ा रहता था उनको देख कर लगता था कि उनकी शादी को अभी डेढ़ दो साल से ज्यादा नही हुए थे।वो लड़की जिसका नाम मीना था ,वो वैसे तो किसी कोठी में काम करती थी लेकिन कोविड की वजह से उसका

काम छूट गया था लेकिन उसका पति किसी डॉक्टर के यहां ड्राइवर था इसलिए उसको तो हर हाल में अपने काम पर जाना ही होता था।वो सारा दिन घर पर अकेली रहती ।थोड़ा बहुत घर का काम करती,फिर सो जाती या टीवी देखती रहती।

उन दिन पार्लर भी बंद हो चुके थे। कुछ दिन तो निकल गए फिर उसके बाद  पार्लर के काम की सब को दिक्कत होने लगी।वो लड़की मीना सुनीता के सामने बहुत बार शेखी मार चुकी थी कि उसने पार्लर का काम सीखा हुआ है। सुनीता ने सोचा कि चलो इससे बालों में कलर लगवा लेती हूं।बाकी काम का अभी रिस्क नही लेती ।जब तक चलता है चला लेती हूं।कलर के बिना ज्यादा अजीब लगता है।ये सोचकर सुनीता उसके कमरे में गयी और उसको बोला,” मीना..मेरे बालों मे कलर लगा दो जरा।”

उसने बोला,”मैं थोड़ी देर में आती हूँ।”

सुनीता शाम तक उसकी राह देखती रही लेकिन वो नही आई।पहले तो सुनीता को लगा किसी काम मे बिजी हो गयी होगी। सुनीता ने दूसरे दिन फिर उसको बोला,तब भी उसने कोई न कोई बहाना बना के टाल दिया जैसे खाना बना के आती हूँ।फिर तीसरे दिन कोई और बहाना बना दिया।

सुनीता उसके बहानो को सच मान कर  उसका इंतज़ार करती रही।आखिर में सुनीता ने उसको बोल दिया,नही आना तो साफ मना कर दो ,मुझे लारे मत लगाओ ..मैं किसी और से करा लेती हूं।




उसके बाद वो आ तो गई लेकिन ऐसे कर रही थी जैसे बहुत बड़ा अहसान कर रही हो।सुनीता ने ऐसे तो मन बना लिया था कि अब इससे नही लगवाना मैंने कलर..लेकिन वक़्त की नजाकत को देखते हुए सोचा अभी कोई ऑप्शन तो है नही..इसलिए लगवाने में ही भलाई है ।

जब वो कलर लगा कर जाने लगी तो सुनीता ने उसके हाथ मे 100 का नोट डाल कर उसकी मुट्ठी बन्द कर दी।वो पैसे देख कर थोड़ी हैरान तो हुई..लेकिन  जब उसने थोड़ी बहुत आनाकानी की तो सुनीता ने बोल दिया कि वो किसी की मेहनत का एक पैसा भी नही रखती।

वो दिन और पूरा लॉक डाउन और उस के बाद भी वो आते जाते सुनीता से खुद ही पूछती रहती..”आंटी जब भी कलर लगवाना हो तो बता देना..और भी कोई काम हो तो मुझे जब मर्ज़ी आवाज़ लगा लेना। अब सुनीता को समझ आ गया था कि वो सोच रही होगी कि आंटी मुफ्त में काम कराएगी इसीलिए इतने बहाने बना रही थी।

मौलिक रचना

रीटा मक्कड़

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