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नंबर वन – अमित किशोर

मोहल्ले में श्याम बाबू का एक अनोखा रुतबा था. बाहर से देखने वालों को वो मोहल्ले के सबसे धनाढ्य और संपन्न दिखाई देते. सब तो था उनके पास. तीन मंजिला आलीशान मकान, पत्नी और तीन बेटे. हां, बिटिया नहीं थी उनके यहां. लोग उनका उदाहरण देते. कहते, ” जीवन ही तो श्याम बाबू जैसा, वरना न हो……”

श्याम बाबू को भी चर्चा में बने रहना हमेशा से पसंद रहा. बड़ा सा संभ्रांत मोहल्ला था. जाति विशेष के बहुत सारे परिवार साथ रहते थें. उनका भी अपना एक अलग समाज था. समाज का वार्षिकोत्सव भी मनाया जाता था. हर साल श्याम बाबू का परिवार उसमें नंबर वन आता. श्याम बाबू स्टेज पर अपनी पत्नी संग जाते और हर बार यही कहते, ” मित्रों !!! ये आपका प्रेम भले हो मेरे प्रति, कि, आप मेरे परिवार को नंबर वन चुनते रहे हैं, पर, ये मत भूलिए,  आप सब, कि मैं और मेरा परिवार सच में नंबर वन है. ” इसके बाद से फिर अपनी बड़ाई करते. लोग तालियां बजाते और इसी तरह से उनका दंभ भी रह जाता .

बेटों पर उनके अजीब विचार थें. श्याम जी का कहना था कि  “ये बेटे ही तो होते हैं, जो मोक्ष दिलाते हैं. बेटा मतलब मोक्ष” लोगों के बीच तो दबी जबान से ये भी चर्चा थी कि अपने इन तीन बेटों के लिए श्यामजी ने न जाने कितनी बेटियों को गर्भ में ही मरवा दिया था.

अभी पिछले कुछ महीनों से श्यामजी की तबियत कुछ खराब थी. मुख पर मलीनता छा रही थी. शरीर भी कमजोर सा हो रखा था.  जो  भी  मिलता   उनसे, कहता, ” श्याम बाबू, डॉक्टर को दिखाएं” श्याम जी कहते,          ” और कुछ नहीं, सब ठीक हो जायेगा.” उनकी इस बीमारी का पता उनके परिवार को छोड़कर किसी को भी न था. 



दरअसल, पिछले कई महीनों से उनकी प्रसिद्धि और जनमानस में चर्चा कम हो गई थी. ये उनके लिए किसी आघात से कम नहीं था. काम, जनसेवा वो कर तो पहले की ही तरह कर रहे थे, पर चर्चाएं होना अचानक से बंद हो गई थी. तबियत खराब रहने लगी उनकी. समझ में ही नहीं आ रहा था, कैसे क्या करें कि नंबर वन का खिताब बरकरार रहे. मन में कुछ सोचने लगे.

एक सुबह तड़के उनके घर से चीखने चिल्लाने की आवाज़ें मोहल्ले वालों  ने सुनी. लोगों ने सोचा, ” क्या हो गया, चलकर देखते हैं.” पता चला कि श्याम जी के घर बीते रात डकैती हो गई. इतना माल़ चला गया कि श्याम जी और उनकी पत्नी माथे पर हाथ रखकर अफसोस कर रहे थे. बेटे और बहुओं का भी हाल बुरा था. पता करने पर पता चला कि उनके यहां के नौकर ने ये कारनामा किया. पर मजेदार बात ये थी कि, श्याम जी अपने घर में तो नौकर रखते ही नहीं तो फिर ये हुआ कैसे !!!” फिर पता करके पता चला कि अभी दो दिन पहले ही नौकर रखा था श्याम जी ने. पूरा हंगामा हुआ, हो हल्ला मचा. पुलिस आई. एफआईआर दर्ज हुआ. पुलिस ने जब नौकर का अता पता हुलिया पूछा तो श्यामजी बताने में असमर्थ निकले. पुलिस ने भी अज्ञात पर मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी.

फिर से मोहल्ले में श्यामजी की चर्चा शुरू हो गई. सबकी जुबान पर एक ही बात थी. “इतना माल चला गया उनका, क्या कहें। बहुत नुकसान हो गया उनका। कितने भलेमानस लोग हैं, कि, उस चोर नौकर को अब भी बचा ही रहे हैं, अता पता भी नहीं बता रहे हैं. बहुत पैसे वाले हैं अपने श्याम बाबू। देखा बताया उन्होंने, दस लाख से कम का नीचे माल नहीं गया उनका फिर भी देखो उनको रंज तक नहीं….”

दूसरी ओर ये भी श्याम जी को लेकर चर्चा थी, ” क्या स्वांग रचा श्रीमान ने, खुद का घर, खुद की चोरी, खुद का नौकर और चोर गायब. जिसे किसी ने न पहले देखा और न ही कभी आगे देखेगा.”

नंबर वन रहने का ये भी एक नायाब तरीका था श्याम जी का.

स्वरचित एवं मौलिक

अमित किशोर

 

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