निस्वार्थ प्रेम… – विनोद सिन्हा “सुदामा”

कोमल मृदुल के सीने से लग लगातार रोए जा रही थी..उसके आँखों के आँसूँ रूकने का नाम नहीं ले रहें थे..गोद में लिए नन्हे बच्चे को देख आँसूँ बहाए जा रही थी.. उसकी नर्म कोमल त्वचा का स्पर्श महसूस कर रोमांचित हो रही थी, बच्चे की मातृत्व सुख पाकर निढाल हो रही थी…

यही कोमल कुछ महीने पहले…गहरे अवसाद का शिकार हो चुकी थी..

राहुल के धोखे और उसकी जिंदगी बर्बाद कर इस तरह अकेला छोड़ कर चले जाने से वह बिल्कुल टूट कर रह गई थी.उसके मन में जीने की कोई इच्छा शेष ही न रही थी.

उसका मन हरपल कचोटता रहता था..रह रहकर उसे अपने किए पर शर्मींदगी के साथ साथ आत्मग्लानि महसूस होती थी..

यहाँ तक उसने कई बार ख़ुदखुशी करने की भी कोशिश की थी..एक बार तो लगभग खुद को खत्म ही कर लिया था उसने ..लेकिन संयोग था कि मृदुल ने उसे तेज आती ट्रेन के सामने से खींच लिया था..और उसकी जान बचा ली थी…

कोमल अपने माता पिता की एक मात्र बेटी..नाजों पली बढ़ी…कभी भी किसी तरह की  कोई चीज़ की कमी नहीं..जब जो चाहा पा लिया..हँसती खेलती मुस्कुराती रहने वाली लड़की…

अनजाने में हुई एक भूल की वजह से गर्भवती हो गई थी और उसे पता भी तब चला जब समय काफी गुजर चुका था…

उस डिस्को नाईट वाली रात उसे यह समझ तक नहीं आया था कि कब वो राहुल के झाँसे में आ गई और कब राहुल ने उसके कोल्डड्रिंक में नशे की गोलियां डाल दी थी…

राहुल उसके कॉलेज का दोस्त…काफी हैंडसम.. कितनी लड़कियां जान छिड़कती थी उसपर लेकिन राहूल ने कोमल को चुना था पसंद किया था..वह खुश थी कि उसे राहुल जैसा स्मार्ट लड़का चाहने वाला मिल गया था..


मिलते मिलते कब राहुल से हुई दोस्ती प्यार में बदल गई पता नहीं चला..उसने प्यार का नाम सुना तो था लेकिन भोली भाली कोमल यह नहीं जानती थी प्यार की राह आसान नहीं होती, ना ही हर बार अंजाम सुखद होता है. क्षणिक प्यार की मंजिल मिलने से पहले हजार मुश्किलें आती हैं,कोई हार मानकर मजबूरी में दूर हो जाता है तो कोई अपने प्यार को पाने के लिए जान लगा देता है.वहीं कोमल जैसी कुछ लड़कियां प्यार में धोखे कि शिकार हो जाती हैं..और उनका अंजाम वही होता है जो कोमल के साथ हुआ…

हालांकि राहुल के प्रति कोमल का प्यार सच्चा था..वह राहुल को सच्चे दिल और मन से प्रेम करती थी,पहली ही नजर में कोमल राहूल को अपना दिल दे बैठी थी..उसके खूबसूरत चेहरे और मांशल शरीर के आगे सबकुछ भूल गई थी..लेकिन राहुल और उसके झूठे प्यार को नहीं समझ पाई थी..उसपर विश्वास करती रही..

यह उसका विश्वास ही था जो उस रात राहूल की दी हुई ड्रींक उसने बड़े प्यार से पी ली थी..उसने तो सपने में भी नहीं सोचा था कि राहूल उसके साथ ऐसी हरकत करेगा..उसे तो भनक भी नहीं थी कि राहूल ने ड्रींक में कुछ मिला रखा है..

जैसे जैसे नशा उस पर हावी होता जा रहा था वह अपना होश खोती जा रही थी..

देखते देखते वह राहुल के मजबूत बाहों में थी और दूसरे ही पल मदहोशी की हालत में उसके कमरे में…..कोमल की सांसें तेज चल रही थीं..उसके कपड़े अस्त व्यस्त हो चुके थें…

फिर राहुल ने नशे की हालत और उसका फायदा उठाकर धीरे धीरे उसके जिस्म को ढकती सारी परतें खोलता गया.. उसका सबकुछ लूट लिया था..उसकी जिंदगी बर्बाद कर दी थी…


लेकिन मृदुल उसकी जिंदगी में फरिश्ता बन कर आया था…उसने न केवल कोमल की जान बचाई थी बल्कि अपनत्व प्रेम और सहारा भी दिया था..

बाद जब कोमल को मृदुल के सच का पता चला था तो उसके मन में मृदुल के लिए प्रेम और सम्मान पहले से ज्यादा बढ़ गया था..

मृदुल का साथ पाकर कोमल सामने आई परिस्थितियों से थोड़ी हल्की हो गई थी तो मृदुल ने उसे अपना सारा सच बेहिचक बता दिया था कि उसे उससे किसी तरह का कोई खतरा नहीं…वह एक किन्नर लड़का है…और नापुंसक है..इक पल को तो कोमल को मृदुल के शांत सरल व्यवहार देख विश्वास ही नहीं हुआ था दूसरी मृदुल की दर्द भरी कहानी सुनकर काँप सी गई थी..

मृदुल की आपबीती सुनकर कोमल के रोंगटे खड़े हो गए थे..उसने उसे बतलाया कि किस तरह की यातनाएं देकर मृदुल को किन्नर बनाए जाने की प्रक्रिया अपनाई गई थी, वह कोमल की रूह कंपाने के लिए काफी थी..मृदुल ने कोमल को बतलाया कि कैसे उसे नापुंसक बनाने के लिए उसके गुप्तांग पर गरम-गरम पानी डाला जाता था और वह दिन रात दर्द से चीखता-चिल्लाता व बिलबिलाता रहता था लेकिन उसकी दर्दभरी चीखें सुनने वाला वहां कोई नहीं होता था…..

फिर एक दिन मौका पाकर वह कैसे उस नरक भरे दलदल से भाग निकला.और अपना सच छुपाकर यहाँ रहने लगा..

आज उसी मृदुल और उसके अपनत्व के सहारे कोमल को उसके साथ रहते पूरे नौ महिने हो गए थें..

आज़ कोमल ने एक बेटे को जन्म दिया था और मृदुल ने उसके बेटे को अपना नाम…”सुगम”

#मृदुल जिसके दिल में कोमल के प्रति पनपा प्रेम बिल्कुल निस्वार्थ और निश्चल था…बिल्कुल उसके नाम और व्यवहार की तरह…सरल और शिष्ट..

विनोद सिन्हा “सुदामा”

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