नौकरी वाली देवरानी -मुकेश कुमार

कांता जी की दो बहुए थीं बड़ी बहू का नाम सरिता था और छोटी बहू का नाम मीरा था। कांता जी की दोनों बहुएं देखने में बहुत खूबसूरत थी। बड़ी बहू सरिता गांव की रहने वाली थी और सिर्फ मैट्रिक पास थी वही छोटी बहू मीरा शहर की रहने वाली थी और ग्रेजुएट थी। 

छोटी बहू मीरा  एक अखबार में विज्ञापन देखकर अपनी सासू मां के पास आई और बोली,” मम्मी जी मम्मी जी हमारे बगल मे  जो बड़ा सा प्राइवेट स्कूल है ना उस स्कूल में टीचर की वैकेंसी निकली है अगर आपकी इजाजत हो तो मैं वहां इंटरव्यू देने चली जाऊं।” 

 सासू मां ने कहा यह भी कोई पूछने वाली बात है, “बहू आखिर इतनी पढ़ी-लिखी होने का क्या फायदा जो घर में सिर्फ खाना बनाओ।” 

अगले दिन मीरा  इंटरव्यू देने जाती है और शाम को आते वक्त 1 किलो मिठाई लेकर घर आती है क्योंकि उसकी नौकरी पक्की हो जाती है। 



 घर आते ही अपनी सासू मां से कहती है, “सासु मां सासु मां मेरी नौकरी लग गई है। आज मैं बहुत खुश हूं घर में बैठे-बैठे बहुत बोर हो रही थी।” 

“अरे बहू यह तो बहुत खुशी की बात है आज से मेरी बहु तो नौकरी वाली हो गई है। कम से कम घर के खर्चों में तो हाथ बंटाओगी बड़ी बहू को देख लो इतने साल हो गए नौकरी नहीं कर सकती है तो घर में कम से कम सिलाई कढ़ाई का ही काम कर ले ” 

तभी बड़ी बहू सरिता आती है और वह अपनी देवरानी को बधाई देते हुए कहती है, “यह तो बहुत खुशी की बात है मीरा, तुमने अपनी पढ़ाई का सही उपयोग किया काश मैं भी तुम्हारे जैसे ग्रेजुएट होती तो मैं भी नौकरी करती।” 

सास बोली, “अरे बाहर जाकर नौकरी नहीं कर सकती है तो घर में भी बहुत सारे काम होते हैं अगल बगल के कपड़े ही सिलाई कर ले उससे भी आमदनी हो जाती है लेकिन नहीं तुम्हें घर में बैठने से फुर्सत मिले तब तो कुछ करोगी।” 

छोटी बहू मीरा  बोली, “हां भाभी  सासू मां सही कह रही हैं घर में भी तो आप कुछ काम कर सकती हैं आप चाहे तो अपना बूटीक  खोल सकती हैं लोग सुनेंगे तो क्या कहेंगे कि देखो एक बहू तो नौकरी करती है और दूसरी बहू घर में सिर्फ खाना बनाती है और बैठ कर आराम फरमाती है।” 



बड़ी बहू सरिता बोली, “मीरा तुम घर के कामों को इतना छोटा क्यों समझती हो घर के काम से फुर्सत मिले तब तो कोई बाहर का काम करें और मुझे लगता है कि घर के काम करने में कोई बुराई नहीं।  एक हाउसवाइफ है तभी सब लोग अपना काम अच्छे से कर पाते हैं।” 

मीरा- भाभी बचपन से मैं तो कभी हाउसवाइफ नहीं बनना चाहती थी मेरा  तो बचपन से सपना था कि मैं नौकरी करूंगी और आज मुझे नौकरी मिल गई मैं तो बहुत खुश हूं। घर के काम में तो मेरा बिल्कुल भी मन नहीं लगता है।

सासु मां – छोटी बहू लेकिन घर के काम तो करने ही पड़ेंगे ना आज तो एक साथ हो तो बड़ी बहू तुम्हारा काम कर देती है लेकिन जब अलग रहने लगेगी तो तुम्हें अपना काम तो खुद ही करना पड़ेगा ना। 

मीरा – देखिए मम्मी जी या तो मैं नौकरी करूंगी या तो घर का काम करूंगी एक साथ मैं  दोनों काम नहीं कर सकती हूँ   भाभी  जब कुछ नहीं करती हैं तो घर का काम तो करना ही पड़ेगा ना। 

बड़ी बहू सरिता चुपचाप खड़े होकर अपनी  देवरानी मीरा की बातें सुन रही थी। बड़ी बहू स्वभाव से सीधी थी इसीलिए उसने कुछ नहीं बोला। 

अगले दिन सुबह

 सरिता- मीरा तुम्हें कितने बजे तक स्कूल जाना है ताकि मैं तुम्हारा नाश्ता जल्दी से बना दूं।  

मीरा-बस भाभी 1 घंटे में निकलने वाली हूं, फटाफट से मेरा नाश्ता और लंच दोनों तैयार कर दीजिए। “

सरिता- ठीक है मीरा तुम फटाफट से तैयार हो जाओ मैं तुम्हारे लिए जल्दी से नाश्ता और लंच पैक कर देती हूं।

सास-अरे यह तो बहुत अच्छी बात है दोनों जेठानी और देवरानी मिलकर कितना बढ़िया से घर को संभाल रही हैं ऐसे ही दोनों एक दूसरे से तालमेल मिलाकर जिंदगी की गाड़ी चलाते रहो। 

सरिता -मम्मी जी मीरा को स्कूल जाना है तो मैंने सोचा जल्दी से उसका  नाश्ता और लंच पैक कर दूँ। 



सास- बहू यह सब तो ठीक है लेकिन कब तक तुम अपनी देवरानी की सेवा करती रहोगी तुम भी तो कुछ करने की सोचो मैं तो कब से कह रही हूं कि एक छोटी सी  बूटीक  की दुकान ही खोल  लो। सब लोग कहेंगे कि जेठानी और देवरानी में कितना अंतर है छोटी बहू नौकरी करती है और बड़ी बहू सिर्फ घर के ही  काम करती है लोग तो मुझे ही गलत कहेंगे कि देखो कैसी सास है बड़ी बहू से घर का काम करवाती है और छोटी बहू को नौकरी करने भेजती है। 

सरिता- ठीक है मम्मी जी एक बार मैं आपके बेटे से बात कर लेती हूं फिर अगले महीने से अपनी दुकान खोलने के बारे में सोचती हूं। 

 स्कूल से लौटते ही देवरानी मीरा सोफे पर बैठ गई और अपनी जेठानी को आवाज देते हुए बोली

मीरा- भाभी मैं बहुत थक गई हूं प्लीज एक कप चाय बना कर दीजिए ना पहला दिन था ना तो और ज्यादा थक गई हूं। नौकरी का पहला दिन था  धीरे-धीरे आदत हो जाएगी”

सरिता -“मीरा यह लो अपनी चाय,  चाय पी कर थोड़ी देर आराम कर लो  फिर मैं तुम्हारे लिए गरमा गरम पकोड़े तलती हूं। 

 मीरा- थैंक यू भाभी भगवान करे सबकी जेठानी आप ही की जैसे बिल्कुल स्वीट हो। 

संडे का दिन था सब लोग देर से सोए हुए थे लेकिन जेठानी सरिता सुबह सुबह उठकर घर में झाड़ू लगा रही थी तभी उसका पति राकेश बोला।

राकेश- सरिता माना कि तुम मीरा जितनी  पढ़ी-लिखी नहीं हो लेकिन जरूरी तो नहीं है इंसान नौकरी ही करें। तुम क्या अपनी पूरी जिंदगी इसी तरह झाड़ू लगाने और घर के काम करने में बिता दोगी अपना काम तो और अच्छा होता है नौकरी से भी अच्छा। 

 सरिता – सही कह रहे हैं जी आपकी मम्मी जी भी कई दिनों से कह रही हैं  क्योंकि मुझे कढ़ाई सिलाई का हुनर तो है ही  मैं अपना बुटीक  की दुकान क्यों नहीं खोल लेती हूं।  मैं आपसे पूछने ही वाली थी।

 राकेश- इसमें पूछने की क्या बात है अगले महीने सड़क के किनारे वाले कमरे की दीवार तोड़ कर मैं सटर वाला गेट लगवा देता हूं उसी में तुम अपनी बूटीक  की दुकान खोल लो। देखो सरिता मैं कई दिनों से नोटिस कर रहा हूं कि जब से मीरा ने नौकरी ज्वाइन किया है तब से मां की रवैया तुम्हारे प्रति बदल गया है तुम्हें इस तरह से इज्जत नहीं करती है जैसे कि मीरा का करती है मां को यह लगता है कि मीरा  नौकरी करती है इसीलिए वह तुमसे ज्यादा काबिल है।  इसीलिए तुम्हें कुछ न कुछ तो करना ही होगा।  घर के कामों के लिए हम कोई नौकरानी भी तो रख सकते हैं। 



जब से मीरा ने नौकरी ज्वाइन किया है अब तो घर के कामों में हाथ भी नहीं लगाती थी बस नौकरी जाती और आराम से घर में बैठकर टीवी देखती कुछ भी जरूरत हो अपनी बड़ी जेठानी सरिता  से फरमाइश कर देती थी जैसे सरिता जेठानी ना होकर उस घर की नौकरानी हो। 

एक दिन  उनकी सासू मां कांता जी की बहन  रूपा  कांता जी से मिलने उनके घर आई। 

ड्राइंग रूम में बैठकर दोनों बहने   आपस में बात कर रही थी तभी बड़ी बहू सरिता चाय और बिस्किट लेकर अपनी मौसी सास को देने आई। 

रूपा – अरे बड़ी बहू मुझे आए आधा घंटा से ज्यादा हो गया लेकिन छोटी बहू अभी तक नजर नहीं आई, कहां है वो? 

 कांता जी – रूपा तुम्हें पता नहीं है छोटी बहू मीरा अब नौकरी करने लगी है तुम्हारे आने से 5 मिनट पहले ही नौकरी करके घर आई है अपने कमरे में आराम कर रही होगी अभी बुलाती हूं उसे। अरे ओ छोटी बहू, जरा इधर आओ तो, देखो कौन आया है मेरी बहन रूपा आई है तुमसे मिलना चाह रही है। 

छोटी बहू मीरा अपने कमरे से आकर रूपा जी को नमस्ते किया। ” 

मीरा -नमस्ते मौसी जी कैसी हैं आप”

रूपा – अरे बेटा नमस्ते नमस्ते मेरे बगल में आ जाओ बैठ जाओ” 

मीरा – क्या बताऊं मौसी जी जब से मैंने नौकरी ज्वाइन करी है नौकरी से आते ही थक जाती हूं, इसीलिए आकर अपने कमरे में आराम कर रही थी। 

रूपा – दीदी आपने बताया नहीं कभी कि आपकी छोटी बहू नौकरी करने लगी है

 कांता – अरे रूपा मैं तुम्हें बताना भूल ही गई अभी  कल ही से तो नौकरी करने जा रही है आज इसका दूसरा दिन है। 

रूपा- दीदी आपकी दोनों बहुएं कितनी अच्छी है छोटी बहू नौकरी करती है और बड़ी बहू ने कितने अच्छे से घर को संभाल रखा है। 



सरिता-  मौसी जी मैं भी अगले महीने से अपना बुटीक खोलने वाली हूँ  क्यों मम्मी जी। 

 कांता – रूपा बड़ी बहू सही कह रही है मैंने ही इसे सलाह दी है कि कब तक घर के कामों में उलझी रहेगी आखिर तेरे पास भी सिलाई कढ़ाई का हुनर है उसका इस्तेमाल कर। 

 रूपा – सही कह रही हो दीदी अब जमाना बदल रहा है सब को आत्मनिर्भर होना चाहिए।  सिर्फ औरतों का काम घर संभालना नहीं है।  दो पैसे पास होते हैं तो आगे भविष्य के लिए भी अच्छा होता है। 

अगले महीने बड़ी बहू सरिता  ने भी अपना बुटीक खोल लिया फिर दोनों देवरानी जेठानी मिलकर घर के काम करती। और दोनों मिलकर खुशी खुशी अपना  जीवन बिताने लगी।

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!