नाटक – बीना शर्मा : Moral Stories in Hindi

“सुधा जल्दी से एक कप चाय बना कर ले आओ मेरे सर में बहुत तेज दर्द हो रहा है साथ में एक सिर दर्द की गोली भी ले आना” सुधीर ने शाम को ऑफिस से आने के बाद अपनी पत्नी सुधा से कहा तो सुधा चाय लाने की बजाए सुधीर को मुस्कुराकर छेड़ने लगी यह देखकर सुधीर गुस्से में  बोला”पागल हो गई

हो क्या जो तुम्हें शरारत सूझ रही है मेरे सिर में दर्द हो रहा है तुम से बोला ना मेरे लिए सिर दर्द की दवाई लेकर आओ परंतु, सुधा उसकी बात को अनसुना करते हुए बोली” क्यों नाटक करते हो तुम्हें कहीं सिर दर्द नहीं है फिर से उसके साथ छेड़छाड़ करने लगी

तो सुधीर एकदम से गुस्से में भड़क उठा वह सुधा से गुस्से में बोला “तुम्हें शर्म नहीं आती ऐसा कहते हुए एक तो मेरे सिर में दर्द हो रहा है ऊपर से दवाई लाने के बजाए तुम इसे नाटक कह कर मेरा मजाक उड़ा रही हो कैसी पत्नी हो तुम ? जो मेरे दर्द को समझने की बजाय मेरे साथ छेड़छाड़ कर रही हो?

यह सुनकर सुधा कुछ बातों को याद करके उदास हो गई थी जिसके कारण आज उसका अनकहा दर्द जुबान पर आ गया था वह दुखी स्वर में सुधीर से बोली “कल रात जब तुम अपने हाथों से मेरे बालों की लटॉ को बार-बार खींच रहे थे जब मैंने तुमसे कहा “मुझे परेशान मत करो आज मेरी तबीयत ठीक नहीं है

मेरे पेट में दर्द है” तब तुमने क्या कहा” यह तुम्हारा रोज रोज का है जब देखो दर्द का बहाना लेकर दुखी होने का नाटक करती रहती हो परसों कह रही थी मेरे सिर में दर्द है आज कह रही हो मेरे पेट में दर्द है तुम्हें तो रोजाना बहाना करने की आदत पड़ गई है” यह कहकर तुम गुस्से में  मुंह  बना कर सो गए थे

ये भी नहीं पूछा कि मुझे कोई दवाई चाहिए या नहीं तब मुझे बहुत दुख हुआ था वह तो मेरे पास पेट दर्द की एक गोली रखी थी उसे खा कर ही मैं सो गई थी यदि मैं भी तुम्हारे लिए दवाई लाने की बजाय  आराम से सो जाऊँ तो तुम्हें कैसा लगेगा ?अब पता लग रहा है ना जब दर्द मैं कोई दवाई देने की बजाय छेड़छाड़ करता है तो कैसा लगता है पतिदेव दर्द पत्नी को भी होता है?

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    मुझे पता है जब दर्द होता है तब कोई छेड़छाड़ करता है तो बहुत बुरा लगता है मैंने तो उस वक्त आप पर गुस्सा भी नहीं किया था बस प्यार से बताया ही था कि मुझे पेट में दर्द है मैं तो आपको आपकी गलती का एहसास कराने के लिए ही आपके साथ ऐसा बर्ताव कर रही थी ताकि आपको भी मेरे दर्द का एहसास हो सके

” सुधा की बात सुनकर सुधीर शर्मिंदा हो गया था वह सुधा से बोला “माफ कर दो मुझे मैं आगे से ऐसा नहीं कहूंगा तुम्हारे दुख को समझने की पूरी कोशिश करूंगा आज के बाद में तुम्हारे दर्द को नाटक नहीं कहूंगा।” सुधीर की बात सुनकर सुधा के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई थी वह हंसते हुए बोली

” तुम्हें अपनी गलती का एहसास हो गया है यह मेरे लिए काफी है मैं अभी तुम्हारे लिए चाय बना कर लाती हूँ साथ में सिर  दर्द की दवा भी लेकर आती हैं वह भी डॉक्टर की सलाह लेकर क्योंकि कभी-कभी खुद ही दवा लेकर खाना हानिकारक हो जाता है। ” सुधा की समझदारी से भरी बातें सुनकर सुधीर के दर्द भरे चेहरे पर भी मुस्कान आ गई थीं ।

   बहुत सी औरतों के साथ ऐसा होता है जब उनके पति उनके दर्द को समझने की बजाय नाटक कहकर उनका मजाक उड़ाते हैं तब पति को समझाने के लिए कभी-कभी ऐसा भी करना पड़ता है क्योंकि कभी-कभी जब घी सीधी उंगली से ना निकले तब उंगली को टेढ़ा भी करना पड़ जाता है तभी पति की समझ में आता है कि दर्द दर्द ही होता है कोई नाटक नहीं होता।

लेखिका : बीना शर्मा 

#अनकहा दर्द

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