नास्तिक – पिंकी नारंग

 मीरा के पड़ोस मे नई आयी थी आराधना |पहली बार मीरा ने उसे देखा तो देखती रह गई गेहुँआ रंग, बड़ी बड़ी बोलती आँखे, जो किसी को भी आकर्षित कर ले |बहुत ही पोसिटिव वाइब्स आती थी उससे, तभी तो पति सुमित भी सारा दिन आराधना के आगे पीछे घूमते रहते थे |कुल मिलाकर परफेक्ट कपल थे दोनों |

 मीरा को आराधना बहुत ही जहीन लगती शब्द भी इतने नापतोल कर बोलती, कुछ भी ऐसा नहीं जो किसी को दर्द दे जाए |पर एक बात उसे हमेशा अखरती जब कभी वो आराधना को मंदिर या किसी धर्म स्थल चलने के लिए कहती वो कोई ना कोई काम का बहाना बना देती |उसकी लाख अच्छाइयो को नज़रअंदाज़ करते हुए मीरा के अंदर आ ही जाता बहुत नास्तिक है |

  आराधना की उनकी सोसाइटी मे पहली दिवाली थी सब लोग आपस मे दिवाली के गिफ्ट एक्सचेंज कर रहे थे |ज्यादा से ज्यादा लेन देन और दिखावे की होड़ लगी थी |पर आराधना को इस तरह के दिखावे मे कोई दिलचस्पी नहीं थी |

  आराधना के स्वभाव को देखते हुए मीरा मन ही मन उसे कंजूस, तंगदिल उपाधियों से नवाजती जा रही थी और सोच रही थी जो भगवान के पास नहीं जाती उन्हें कुछ अर्पण नहीं कर सकती वो हमारे साथ क्या करेंगी |नास्तिक कही की |

  रात को मीरा पति के साथ दिया जलाने मंदिर जा रही थी रास्ते मे बनी झुगियों मे आराधना की गाड़ी खड़ी देख हैरानी से आसपास आराधना को ढूंढने लगी |आराधना वहां गरीब लोगों के रंग बिरंगे कागज़ों मे लिपटे गिफ्ट बांट  रही थी |वो और उसके पति सबको ख़ुशी ख़ुशी तोहफ़े दे रहे थे |मीरा आराधना के पास जा कर उससे शिकायत करते हुए कहने लगी “हमें तो नहीं दिया कोई दिवाली गिफ्ट, ऐसा कहते हुए मीरा की नज़रे आराधना के हाथों मे पकडे गिफ्ट पर थी |

आराधना ने हंसते हुए कहा “दीदी जिनके पेट भरे हो वो स्वादिष्ट व्यंजनों का लुतफ कैसे ले सकते है, व्यंजनों का असली स्वाद देखना हो तो किसी भूखे की थाली मे परोसना, उसके मुख पर मिली तृप्ति से जो आनन्द मिलेगा वही आनन्द यहाँ आने पर मिलता है |

ऐसा कहते हुए उसकी आँखे भर गई |तभी एक छोटी सी बच्ची मीरा की तरफ देखते हुए उससे पूछने लगी आंटी क्या आप भी हमारे लिए दिवाली लायी है? मीरा उसे प्यार करते हुए बोली “हां बेटा मुझे नहीं पता था भगवान रास्ते मे ही मिल जायँगे, अभी घर से हो कर वापिस आती हूँ, फिर सब मिलकर दिवाली मनायेंगे |आराधना मीरा को कुछ कहने वाली थी उससे पहले ही मीरा ने गिरते आँसुओ को पोछते हुए कहा मुझे भी तुम्हारी तरह वाला नास्तिक बनना है |

मौलिक

पिंकी नारंग

 

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