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ननद जी! आज के बाद इस गरीब भाभी के घर आप मत आना – अर्पणा जायसवाल

“हद करती है भाभी आप भी… अभी तक आपको अपने ऊपर पैसे खर्च करना नहीं आया। मुझे देखिये आज मेरे पास कम से कम पांच लाख के जेवर हैं और कोई भी कपड़ा तीन-चार हजार से नीचे का नहीं पहनती और मेरे दोनों बच्चों को ब्रांडेड कपड़े ही भाते हैं। प्लीज भाभी आप अब मेरे परिवार के लिए कुछ मत खरीदा करिए। आप पैसे दे दिया करिए मैं अपने पास से और मिला कर दुकान में सबसे महंगा वाला खरीद लूंगी” अपने पैसे के घमंड में नीलम अपनी उस भाभी के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचा रही थी जिसने उसका तब साथ दिया था जब खुद उसकी मां उसे दिन-रात कोसती रहती थी।

नीलम की बात सुन अर्पिता सिर्फ मुस्कुरा कर रह गयी। यह अलग बात है कि आज उसे बहुत दुख हो रहा था। उसने वहीं पास बैठी सास अनीता जी को देखा जिनकी आंखें अपनी बेटी के ऐश्वर्य से अभिमान में चमक रही थीं और अर्पिता को बहुत ही उपेक्षा की तरह देख रही थीं।

नीलम अपने बच्चों के साथ भाईदूज पर आयी थी। अर्पिता ने अपनी सामर्थ्य के अनुसार उसे कपड़े दिये लेकिन नीलम ने लेने से इंकार कर दिया और साथ ही अर्पिता को अपने पैसे का रुबाब दिखाने लगी।

नीलम अर्पिता के बच्चों को बुलाकर उनके लिए लाए कपड़े उन्हें देने लगी, “आशु और आशी यह देखो बुआ के राज में तुम लोग भी ब्रांडेड कपड़े पहन लो वरना भैया-भाभी के पास इतने पैसे कहां कि तुम लोगों को इतने महंगे कपड़े दिला सकें।”

आशु और आशी बुआ की बात सुन कर स्तब्ध थे…उन्हें बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा। आशी छोटी थी इसलिये कुछ नहीं बोली लेकिन आशु उससे सहन नहीं हुआ तो वो बोल पड़ा, “बुआ जी, मेरे मम्मी-पापा भले ही ब्रांडेड और महंगे कपड़े नहीं दिलाते लेकिन उनका प्यार सौ फीसदी ब्रांडेड और सबसे महंगा है।”

आशु कुछ और बोलने वाला था लेकिन तभी अनीता जी उसे डांटने लगीं,”आजकल तेरी ज़ुबान बहुत तेज चलने लगी है। मेरे सामने ही तुम बुआ का अपमान कर रहे… माफ़ी मांगो।”




“आपके सामने बुआ जी मेरे मम्मी-पापा का अपमान कर रहे वो आपको नहीं दिखा… माफी नहीं मांगूंगा। और ये लीजिए नहीं चाहिये आपके ब्रांडेड और महंगे कपड़े” आशी के भी हाथ से कपड़े लेकर आशु ने वही नीलम के पास रख दिया और आशी का हाथ पकड़कर वहां से चला गया।

भतीजे द्वारा अपनी बेइज्जती नीलम कैसे बर्दाश्त कर सकती थी। थोड़े ही देर में वहां कोहराम मच गया… बेटी घर से नाराज होकर जा रही थी भला यह बात अनीता जी कैसे सहन कर सकती थी। उन्होनें हंगामा कर दिया… अर्पिता के सामने आशु को “बदतमीज, नकचढ़ा, घमंडी, बिगड़ी औलाद और भी ना जाने क्या-क्या उपाधि से उसे नवाज़ा जाने लगा।

“बस मम्मी जी, बहुत बोल दिया… आशु ने ऐसा क्या कर दिया कि आप और दीदी उसके कैरेक्टर को सर्टीफिकेट देने लगी” अर्पिता अनीता जी को रोकते हुए बोली।

“इसी ने, अरे इसी ने इन बच्चों को सीखाया होगा। वरना इनकी क्या मज़ाल” अनीता जी अभी भी गुस्से से चिल्ला रही थी।

“बस मम्मी जी, बहुत बोल लिया आपने और दीदी ने… जिस पैसे का घमंड दीदी मुझे दिखा रही है मत भूलियेगा कि यह सब मेरी देन है। वरना आप यही अपने भाई के टुकड़ों पर पल रही होतीं और मम्मी जी आपको रोज कोस रही होतीं। इंसान को कभी भी अपना बुरा वक़्त और उस बुरे वक़्त में साथ देने वाले को कभी नहीं भूलना चाहिये। दो साल तक आप ससुराल छोड़ कर यहां मायके में पड़ी थी यही मम्मी जी आपको दिन रात कोसती थीं कि सिर पर आकर बैठ गयी है। लेकिन मैनें हमेशा आपका साथ दिया। मैनें आपके और जीजा जी के बीच सुलह करवायी और मेरे ही समझाने पर जीजा जी आपको अपने घर ले गए। आज आप दोनों के बीच रिश्ते सही हो गए इसलिये आज आप पैसों के बिस्तर पर लोट रही हैं और आप मुझे और मेरे बच्चों को ही पैसों का रौब दिखा रही हैं। ब्रांडेड कपड़ों की जगह आपने रिश्तों में ईमानदारी दिखायी होती। लेकिन आप लोगों का प्यार तो पैसों पर टिका है। बेटी के पैसों को देख मम्मी जी के भी सुर बदल गए” बोलते-बोलते अर्पिता की आवाज रुंध गयी।

“दीदी, अच्छा होगा कि आप आज के बाद इस गरीब भाभी के घर मत आए” अर्पिता ने हाथ जोड़ कर कहा और फिर अपने कमरे में चली गयी और पीछे रह गयी किंकर्तव्यविमूढ़ स्थिति में नीलम और अनीता जी।

स्वरचित,

अर्पणा जायसवाल

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